कौन हैं ICJ प्रेसीडेंट अब्दुलकावी अहमद युसूफ जो जाधव पर सुनाएंगे फैसला
हेग। आज इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस यानी आईसीजे में इंडियन नेवी से रिटायर ऑफिसर कुलभूषण जाधव पर बड़ा फैसला है। जाधव जो इस समय पाकिस्तान की जेल में बंद हैं, उन्हें मौत की सजा सुनाई गई है। आईसीजे के प्रेसीडेंट, जज अब्दुलकावी अहमद यूसुफ, जाधव पर आने वाले फैसले को पढ़ेंगे। भारत को उम्मीद है कि आईसीजे की तरफ से जाधव को मिली फांसी की सजा खत्म की जाएगी और पाकिस्तान उसे मौत की सजा नहीं दे पाएगा। ऐसे में आज यूसुफ का क्या रुख होता है, इस पर करीब से नजर रहेगी। जानिए कौन हैं आईसीजे के प्रेसीडेंट जज अहमद यूसुफ।
साल 2018 में बने आईसीजे प्रेसीडेंट
सोमालिया के जज अब्दुलकावी अहमद यूसुफ को फरवरी 2018 में आईसीजे का प्रेसीडेंट चुना गया था। आईसीजे जो यूनाइटेड नेशंस के लिए काम करने वाली संस्था है, जब उसके लिए यूसुफ को चुना गया तो उनके देश में खुशी की लहर दौड़ गई थी। 70 वर्ष के युसूफ का जन्म सोमालिया के पुराने शहर आईल में हुआ। उन्होंने सोमालिया के सोमाली नेशनल यूनिवर्सिटी से ज्यूरिस डॉक्टर की डिग्री ली। इसके बाद वह स्विट्जरलैंड के जेनेवा पहुंचे।
UN के साथ काम करने का अच्छा अनुभव
जेनेवा से उन्होंने ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज से इंटरनेशनल लॉ में पीएचडी की। इसके बाद वह इटली के फ्लोरेंस भी गए और यहां यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरेंस से उन्होंने इंटरनेशनल लॉ की पढ़ाई की। यूसुफ को सोमाली, अरबी, इंग्लिश, फ्रेंच और इटैलियन भाषा का अच्छा खासा अनुभव है। यूसुफ को यूएन की कई संस्थाओं जैसे यूनेस्को और यूनाइटेड नेशंस इंडस्ट्रीयल डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (यूएनआईडीओ) के लिए काम करने का अच्छा खासा अनुभव है।
ICJ जज बनने वाले तीसरे अफ्रीकी
इसके अलावा उनके पास अफ्रीकी कानून का भी अच्छा खासा ज्ञान है। पहली बार साल 2009 में यूसुफ को आईसीजे का जज नियुक्त किया था। छह फरवरी 2015 को उन्हें आईसीजे का वाइस प्रेसीडेंट नियुक्त किया गया। जज यूसुफ के लिए कहा जाता है कि उनके जैसा अनुभव रखने वाला वकील मिलना मुश्किल है। आईसीजे में प्रेसीडेंट बनने वाली वह अफ्रीका के तीसरे व्यक्ति हैं।
अमेरिका के खिलाफ दिया बड़ा फैसला
अब्दुलकावी युसूफ पिछले दिनों उस समय चर्चा में आए थे जब आईसीजे का प्रेसीडेंट बनने के बाद अमेरिका के खिलाफ उन्होंने एक बड़ा फैसला दिया था। यूसुफ की अगुवाई में आईसीजे ने ईरान को लेकर बड़ा फैसला दिया था। आईसीजे ने कहा था कि ईरान का उस दो बिलियन की संपत्ति पर पूरा कानूनी अधिकार है जिसे अमेरिका ने फ्रीज किया हुआ है। इसके कुछ ही दिन बाद आईसीजे ने छागोस द्वीप पर यूके के दावे को पूरी तरह से गैरकानूनी ठहराने का फैसला दिया था।