भारत के विरोध के बाद UN ने अपने ड्राफ्ट से हटाया एक वाक्य
न्यूयॉर्क। यूनाइटेड नेशंस जनरल एसेंबली (यूएनजीए) में भारत के विरोध के बाद एक बदलाव किया गया है। यूएनजीए के मुखिया तिज्जानी मुहम्मद बांदे ने महासभा की 75वीं सालगिरह पर तैयार घोषणा पत्र में भारत और पांच दूसरे सदस्यों की आपत्ति के बाद एक संशोधन किया है। भारत के साथ ही अमेरिका और ब्रिटेन की तरफ से भी एक कथन को लेकर विरोध जताया गया और फिर इसमें बदलाव किया गया है। जिस कथन में बदलाव हुआ है उसी तरह की शब्दावली का प्रयोग चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की तरफ से भी किया जाता है।
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भारत के साथ पांच और देशों का विरोध
मुहम्मद बांदे ने साइलेंस प्रॉसिजर यानी मौन प्रक्रिया के तहत सदस्य देशों के साथ ड्राफ्ट डिक्लेयरेशन साझा किया था। इसके बाद कहा गया था कि अगर कोई सदस्य देश तय समयसीमा के अंदर ड्राफ्ट पर कोई आपत्ति नहीं उठाता है, तो इसे अपनाया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र संघ-यूके (यूएनए-यूके) जो एक चैरिटेबल कंपनी है, उसकी तरफ से संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटेन की कार्रवाई पर ध्यान केंद्रित करने , कार्यवाहक राजदूत जोनाथन एलन ने 24 जून को पांच देशों की तरफ से चुप्पी तोड़ दी और मसौदे एक एक वाक्य पर अपना विरोध जताया। जोनाथन एलन ने फाइव आईस इंटेलीजेंस कम्युनिटी जिसमें यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, कनाडा और भारत शामिल हैं, उनकी तरफ से विरोध जताया था। यूएन के मुताबिक छह देशों ने ड्राफ्ट के अंत में प्रयुक्त एक कथन, 'एक समान भविष्य के लिए हमारी साझा दृष्टि का अहसास करने के लिए' पर विरोध जताया गया था। विरोध के बाद इस कथन को बदलकर 'संयुक्त राष्ट्र चार्टर की प्रस्तावना में बदलकर 'एक बेहतर भविष्य के लिए हमारी साझा दृष्टि को साकार करने' कर दिया गया है।