धरती गोल नहीं बल्कि चपटी है, इसे साबित करने के लिए गैराज में बने रॉकेट से खुद को लॉन्च कर डाला
अमेरिका के कैलिफोर्निया में रहने वाले 61 वर्ष के माइक हग्स ने सिर्फ इस बात को साबित करना चाहते थे कि धरती गोल नहीं बल्कि चपटी है और इसे साबित करने के लिए ही उन्होंने सेल्फमेड रॉकेट से यह कारनामा कर दिखाया है। हैरानी की बात है कि माइक को इस दौरान कोई चोट नहीं आई है और वह पूरी तरह से सुरक्षित हैं।
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कैलिफोर्निया। आपने अक्सर कॉमिक्स में पढ़ा होगा या फिर किसी कॉमेडी फिल्म में देखा होगा कि कोई व्यक्ति अपने ही बनाए हुए रॉकेट में बैठकर खुद को उड़ा लेता है। अगर आपको पता लगे कि असल जिंदगी में ऐसा हुआ है तो। आपको शायद यकीन करना मुश्किल होगा लेकिन अमेरिका में कुछ ऐसी ही घटना हुई है जहां पर एक व्यक्ति ने अपने ही बनाए हुए रॉकेट में खुद को लॉन्च कर दिया है। अमेरिका के कैलिफोर्निया में रहने वाले 61 वर्ष के माइक हग्स ने सिर्फ इस बात को साबित करना चाहते थे कि धरती गोल नहीं बल्कि चपटी है और इसे साबित करने के लिए ही उन्होंने सेल्फमेड रॉकेट से यह कारनामा कर दिखाया है। हैरानी की बात है कि माइक को इस दौरान कोई चोट नहीं आई है और वह पूरी तरह से सुरक्षित हैं।
लिमोजिन चलाने के शौकीन माइक
माइक ने यह रॉकेट अपने गैराज में तैयार किया था और शनिवार को उन्होंने इसे लॉन्च किया था। माइक जिन्हें लिमोजिन चलाने का शौक है उन्होंने मोबाइल होम को रैंप में बदला और फिर उसमें कई अहम बदलाव किए ताकि वह नीचे न गिरें। पैराशूट खोलने से पहले माइक ने 350 मील प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरी और वह 1,875 फीट की ऊंचाई तक पहुंचे। इसके बाद उन्होंने मोजावे रेगिस्तान में लैंड किया। माइक का मानना है कि यह धरती चपटी है और अपने इस विश्वास को पक्का करने के लिए ही माइक अंतरिक्ष में जाना चाहते हैं। इसके लिए ही उन्होंने घर में पड़े कबाड़ से रॉकेट तैयार किया है।
नवंबर 2017 से जारी थी कोशिश
यह उड़ान उनके इस प्रोग्राम का पहला फेज था। हग्स का आखिरी लक्ष्य लॉन्च के जरिए धरती से मीलों दूर पहुंचना है, जहां से वह एक ऐसी तस्वीर खींच सकें जो पृथ्वी के आकार को लेकर अपनी थ्योरीज को दुनिया के सामने साबित कर सकें। माइक ने पहला मानव चलित रॉकेट साल 2014 में बनाया था जो एक चौथाई मील उड़ने में कामयाब रहा था। माइक नवंबर 2017 से ऐसा करने की कोशिश कर रहे थे और अपने रॉकेट लॉन्चिंग का पहला ऐलान किया था।
पीठ दर्द का सामना कर रहे माइक
लैंडिंग के बाद माइक ने बताया कि पीठ दर्द के बाद भी वह पूरी तरह से सुरक्षित हैं। उन्होंने कहा कि वह इस बात को सुन-सुनकर थक चुके थे कि वह एक कायर हैं और कभी रॉकेट नहीं बना पाएंगे। इसलिए उन्होंने एक रॉकेट तैयार किया और फिर इसे लॉन्च कर दिया। शुरुआत में ऐसा लग रहा था कि माइक को अपना मिशन अधूरा छोड़ना पड़ेगा क्योंकि हवा काफी तेज थी और उनका रॉकेट लगातार स्टीम को खो रहा था। ज्यादा जोर के लिए रॉकेट में स्टीम प्रेशर को 350पीएसआई होना चाहिए लेकिन यह 340 पीएसआई तक आ चुका था।
अब गैस से लॉन्च होने वाला रॉकेट
माइक के साथ इस मिशन में लगातार साथ रहने वाले वाल्डो ने माइक से कहा था कि उन्हें इसे लगातार चार्ज करते रहना चाहिए ताकि यह गर्म बना रहे। लेकिन माइक ने ऐसा करने से मना कर दिया था। माइक अब एक ऐसा रॉकेट तैयार करना चाहते हैं जो गैस से लॉन्च होगा। यह रॉकेट बाद में अलग हो जाए और फिर माइक को 68 मील यानी 110 किलोमीटर दूर तक ले जा सके। यहां से वह धरती की फोटोग्राफ्स लेना चाहते हैं और साबित करना चाहते हैं कि धरती फ्लैट यानी चपटी है। करीब 35,000 फीट या 6.6 मील की दूरी से कोई यह देख सकता है कि धरती गोल है।