वो 7 कारण, मसूद अजहर को चीन नहीं बनने देना चाहता वैश्विक आतंकी
नई दिल्ली। आतंकी मसूद अजहर को चीन ने फिर नयी ज़िन्दगी दे दी है। 2009, 2016, 2017 और 2019 में लगातार चार बार मसूद को चीन ने बचाया है। मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने की कोशिश फिर नाकाम हो गयी है। भारत पर हमले की खुलेआम ज़िम्मेदारी लेते रहे मसूद के साथ एक बार फिर चीन खड़ा दिखा और उसने अपने वीटो पावर से दुनिया की मुहिम को रोक दिया। पाकिस्तान में जश्न है, भारत में ग़म और गुस्सा।
पी 3 देश अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के साथ-साथ जर्मनी ने भी मसूद अजहर को आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रखा था। मगर, चीन ने यह कहते हुए इस पर वीटो लगा दिया कि वह बिना सबूतों के कार्रवाई के ख़िलाफ़ है। मसूद अजहर के संगठन जैश-ए-मोहम्मद पर 2001 से ही प्रतिबंध है। खुद मसूद भारत पर आतंकी हमलों की जिम्मेदारी लेता रहा है। हाल में पुलवामा हमले की भी उसने जिम्मेदारी ली थी जिसमें भारत के 40 जवान मारे गये थे।
चीन के इस कदम का क्या मतलब लगाया जाए
क्या मतलब लगाया जाए? क्या मसूद अजहर की आतंकी की कार्रवाई को पाकिस्तान के साथ-साथ चीन का भी समर्थन हासिल है? यह मतलब लगाना इसलिए बुद्धिमानी नहीं है क्योंकि भारत लम्बे समय से आतंकवाद से पीड़ित देश रहा है लेकिन दुनिया को इसे समझने में वर्षों लग गये। अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी जैसे देशों को बात पहले समझ में आ गयी, लेकिन चीन को यह बात अब तक समझ में नहीं आयी है। चीन जानबूझकर नासमझ बन रहा है तो इसके पीछे कई कारण हैं।
इसे भी पढ़ें:- सुषमा स्वराज ने किया इमरान को चैलेंज, कहा शांति चाहिए तो हमें मसूद अजहर सौंपो
संयुक्त राष्ट्र में भारत को सफल होते नहीं देखना चाहता है चीन
· संयुक्त राष्ट्र में भारत को सफल होते नहीं देखना चाहता है चीन। दुनिया के प्रमुख देशों के समर्थन वाले प्रस्ताव के पारित होने से भारत की साख बढ़ जाती। चीन यह नहीं होने देना चाहता। वह अपने कदम से एक साथ भारत और शेष विश्व को संदेश देना चाहता है कि उसकी मर्जी के बिना एशिया में पत्ता भी नहीं हिल सकता।
· चीन ने आतंकवाद को परिभाषित करने का अधिकार भी अपने अलावा किसी और को देने से मना कर दिया है। पाकिस्तानी पत्रकार हामिद मीर की मानें तो चीन दलाई लामा को आतंकी घोषित कर चुका है जिसे भारत ने शरण दे रखा है। इसका जवाब चीन ने दिया है।
· पाकिस्तान में चीन 7 लाख करोड़ का निवेश कर रहा है। इस वजह से वह हर हाल में अपने आर्थिक उद्देश्यों को पूरा करने में जुटा है। लिहाजा चीन राजनीतिक व कूटनीतिक तौर पर पाकिस्तान के साथ है। चीन ने साबित किया है कि पाकिस्तान का समर्थन करने के लिए वह भारत के ख़िलाफ़ भी जा सकता है।
· चीन की कोशिश भारत को अपने ऊपर निर्भर बनाने की है। वह नहीं चाहता कि भारत अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस के साथ मिलकर स्वतंत्र ताकत के रूप में उभरे। उसकी कोशिश भारत को अपने पीछे हांकने की है।
मसूद अजहर पर चीन का रवैया नया नहीं
· भारत को आंतरिक मुद्दों में उलझा कर रखना चीन का मकसद है। चीन नहीं चाहता कि भारत आंतरिक मुद्दों का सामना करने में कामयाब हो।
· भारत के साथ चीन का सीमा विवाद है। विगत वर्षों में डोकलाम जैसे मुद्दे भी सामने आए हैं। इस वजह से चीन ने भारत के विरोध की नीति को आगे बढ़ाने की ठानी है।
· चीन का पाकिस्तान प्रेम भी एक बड़ा कारण है। अपने देश में चीन को मुसलमानों से निबटने में पाकिस्तानी मदद चाहिए। इस वजह से भी वह पाकिस्तान की कूटनीतिक व राजनीतिक जरूरतों को पूरा करने में उसके साथ खड़ा हो जाता है।
मसूद अजहर पर चीन का रवैया नया नहीं है। मगर, चीन के ताजा रुख से यह बात स्पष्ट हो जाती है कि चीन को काबू करने के मोदी सरकार की कोशिशें परवान नहीं चढ़ सकी हैं। वुहान में बगैर एजेंडे के बातचीत को बड़ी सफलता बताती रही थी मोदी सरकार, मगर वह भी गलत साबित हुई है।
चीन के इस कदम का क्या हो सकता है असर?
सवाल ये है कि क्या मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित नहीं होने का खामियाजा क्या मोदी सरकार को चुनाव में भुगतना पड़ सकता है? अगर मसूद अजहर वैश्विक आतंकी घोषित हो जाता, तो उसका फायदा मोदी सरकार जरूर उठाती। मगर, वर्तमान परिस्थिति में बीजेपी को कोई नुकसान होगा, ऐसा बिल्कुल नहीं लगता। भारत के ख़िलाफ़ चीन और पाकिस्तान की दोस्ती कोई नयी बात नहीं है कि इसका खामियाजा बीजेपी को उठाना पड़े। हाल में मसूद अजहर के लिए ‘जी' बोलने पर राहुल गांधी को घेरने में जुटी बीजेपी अब और हमलावर होगी। मसूद अजहर को जिस तरीके से चीन ने ‘कामरेड' बनाया है उसके लिए वामपंथी दलों को भी बीजेपी चुनाव में घेरेगी। इसलिए ऐसा नहीं लगता कि बीजेपी को इस मुद्दे पर चुनाव में कोई बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
इसे भी पढ़ें:- राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर कसा तंज बोले, जिनपिंग से डर गए हैं प्रधानमंत्री