यूके-इंडिया लीडरशिप क़ॉन्क्लेव : एक यादगार मौका
लंदन: इंडिया इंक फाउन्डर और सीईओ मनोज लाडवा ने गहराई से उस महत्वपूर्ण घटना पर नज़र रखी है जिसका मकसद भारत-ब्रिटेन के बीच रणनीतिक संबंध को आगे बढ़ाना है। साथ ही, ग्लोबल इंडिया और ग्लोबल ब्रिटेन के बीच भविष्य के लिए रास्ता बनाना है। नियमित पाठक जानते होंगे कि इंडिया इंक भारत-ब्रिटेन संबंध का लम्बे समय से पैरोकार रहा है। मेरी टीम और मैंने पूरे उत्साह के साथ दर्जनों मशहूर व्यक्तियों और संस्थानों को उत्साहित किया है। भले ही ये लोग ब्रिटेन, भारत और दूनिया में कहीं भी इस मकसद से जुड़े रहे हों। जो द्विपक्षीय संबंध इन दिनों लेन-देन का रह गया है उसका स्वरूप बदलने के लिए जो प्रयास हुए हैं उनकी भी मदद की गयी है।
हमने उस बड़ी तस्वीर और बारीकियों का भी विश्लेषण किया है और रिपोर्ट सामने रखी है जो द्विपक्षीय साझेदारी में गर्मजोशी पैदा कर सकते हैं। इसके लिए हमारा अपना एक विनम्र तरीका रहा है। ब्रेक्जिट के बाद के ग्लोबल ब्रिटेन और उदारवाद के बाद के ग्लोबल इंडिया के बीच सेतु बनने का भी प्रयास हमने किया है।
दो सरकारों और दो देशों की जनता को एक-दूसरे के करीब लाने के प्रयास का हिस्सा बनकर इंडिया इंक 5वां वार्षिक ब्रिटेन-भारत लीडरशिप कॉनक्लेव आयोजित कर रहा है। ब्रिटेन-भारत सप्ताह (18 जून-22 जून) का उद्घाटन दोनों देशों के बीच मजबूत साझेदारी का उत्सव है। इसका मकसद दुनिया की पांचवीं और छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना है।
उम्मीद की जा रही है कि भारत-ब्रिटेन सप्ताह भविष्य में दोनों देशों के बीच सहयोग के अवसरों को मजबूत करेगा और इसमें निम्न कार्यक्रम नज़र आएंगे। 5वां वार्षिक भारत-ब्रिटेन लीडरशिप कॉनक्लेव : भारत और ब्रिटेन के बीच रणनीतिक संबंध के विकास के लिहाज से बड़ी घटना है। इस साल यह एक-दूसरे से मेल खाते ब्रेक्जिट ब्रिटेन और ग्लोबल इंडिया के दरम्यान संबंध का रास्ता बनाने पर ध्यान केन्द्रित कर रहा है।
भारत-ब्रिटेन अवार्ड्स 2018:
पहली बार शुरू हो रहा यह उत्सव भारत और ब्रिटेन के बीच साझेदारी का अद्वितीय और साहसिक कदम है। इसमें वैसे भारतीय और ब्रिटिश नागरिकों और संगठनों को सम्मानित किया जाएगा जो नवाचारी हैं जिन्होंने वैश्विक साझेदारी में असरदार भूमिका निभाते हुए नये रास्ते खोले हैं।
वैश्विक कारोबारी, राजनीति, राजनयिक, कला और संस्कृति के क्षेत्रों से 400 से अधिक वरिष्ठ नेता एक साथ इकट्ठा हो रहे हैं। ये अवार्ड्स 22 जून की शाम दोनों देशों के बीच संबंध के गवाह बनेंगे। कारोबार और राजनीति से जुड़ी हस्तियों के एक पैनल यूके-इंडिया अवार्ड्स तय करेंगे।
कॉमनवेल्थ एन्टरप्राइज एंड इनवेस्ट्मेंट काउंसिल के चेयरमेन लॉर्ड मारलैंड,
शैडो सेक्रेट्री ऑफ स्टेट फॉर इंटरनेशनल ट्रेड माननीय बैरी गार्डिनर, सांसद;
इंटरनेशनल डेवलपमेंट फॉर स्टेट की पूर्व सचिव माननीय प्रीति पटेल, एमपी;
भारती एन्ट्रप्राइजेज के संस्थापक व चेयरमेन सुनील भारती मित्तल,
लेखिका और ब्रॉडकास्टर बरखा दत्त,
स्टारकराउंट के सीईओ एडविना डून
भारत-अमेरिका संबंध में 100 सबसे प्रभावशाली लोग:
यूके इंडिया वीक के उद्घाटन समारोह में शक्तिशाली लोगों की सूची का यह दूसरा संस्करण सामने आएगा। उनका सम्मान होगा और शीर्ष 100 लोगों की उपलब्धियों का उत्सव होगा, जिन्होंने द्विपक्षीय संबंध को मजबूत करने में अधिकतम प्रभाव डाला।
हाई कमिशनर्स कप:
एक दिन का गोल्फ टूर्नामेंट जो कॉमनवेल्थ देशों के राजनयिक और कारोबारी हस्तियों को एकजुट करेगा। इसमें चार्ल्स की ब्रिटिश एशियन ट्रस्ट भी होगी। यह समारोह और ऐसी ही कोशिशें जो कई लोगों ने और संस्थानों ने की है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इससे लम्बे समय से सूखे रहे द्विपक्षीय संबंधों के लिए नये अवसर बनेंगे और इसमें गति आएगी।
450 साल से पीछे की परम्परा से हटते हुए ब्रिटेन ने ब्रेक्जिट तक पिछले चार दशकों तक कारोबार और दूसरे द्विपक्षीय या बहुपक्षीय संबंधों में यूरोपीय यूनियन की ओर रुख किया। वहीं भारत और दुनिया के देशों की ओर देखा तक नहीं। और भारत, शीत युद्ध के अंत के बाद से और 1991 से जबकि इसने दुनिया के साथ अपनी आर्थिक व्यवस्था को एकीकृत करना शुरू किया, यह अमेरिका के करीब आया। एशिया के दूसरे देशों के भी करीब आया भारत (लुक ईस्ट और अब एक्ट ईस्ट)।
आधिकारिक तौर पर अनदेखी के बावजूद दोनों देशों के राजनीतिक नेतृत्व ने इस दौरान ऐतिहासिक संबंधों की पृष्ठभूमि में एक-दूसरे के नजदीक आने की द्विपक्षीय कोशिशों पर सक्रियता दिखलयी। इस दौरान दोनों देशों की जनता के बीच का संबंध ही था जिसने रिश्ते में गर्मजोशी बरकरार रखी। खासकर ब्रिटेन में 15 लाख प्रवासी भारतीयों की कोशिश प्रभावशाली रही है जिसे भारतीय प्रधानमंत्री ने 'जीवंत सेतु' कहा है। इसके अलावा भारतीय कारोबारी क्षेत्र के प्रयास भी अहम रहे हैं जो ब्रिटेन के उस समूह में शामिल हुआ जिसने भारत-ब्रिटेन संबंध में बदलाव लाया।
इतिहास में किसी भी समय के मुकाबले यह संबंध आज अधिक महत्वपूर्ण है। दुनिया में सब कुछ नये सिरे से परिभाषित हो रहा है। ऐसे समय में भारत और इंग्लैंड एक-दूसरे से जुड़े रह सकते हैं। इन दो वैश्विक शक्तियों के बीच कारोबारी और सांस्कृतिक हस्तांतरण के लिहाज से क्षमता को सामने लाने में यूके-इंडिया सप्ताह उत्प्रेरक का काम कर सकता है। तभी दोनों आन वाले समय में वैश्विक चुनौतियों को मिलकर सम्भाल सकेंगे।
दुनिया के स्तर पर भारत तेजी से निर्णायक ताकत बन रहा है और ब्रिटेन भी द्विपक्षीय संबंधों को नये सिरे से खड़ा करने की कवायद में जुटा है। रणनीतिक रूप से एक साथ काम करते हुए दोनों साझेदार देश उद्योग और अंतरराष्ट्रीय संबंध में बदलाव का नेतृत्व कर सकते हैं। ऐसा करने के लिए हमें कई बड़ी चुनौतियों का सामना करने के लिए खड़ा होना होगा। भारत के लिए यूरोप का मार्ग है ब्रिटेन, इसलिए ब्रिटेन को अपनी भूमिका निश्चित रूप से मजबूत बनानी होगी और भारत के साथ मुक्त व्यापार के लिए नयी बाधाओं को दूर करना होगा। यह कॉनक्लेव ब्रिटेन और भारत की जनता के प्रयासों की पहचान है जिन्होंने शांतिपूर्ण तरीकों से बिना उम्मीद के काम किया है। वैश्विक साझेदार के रूप में उभरते हुए यह संबंध उस मोड़ पर है जहां से हममें से कई लोगों को उम्मीद है कि यह 21वीं सदी में आर्थिक-राजनीतिक रणनीतिक संबंध को नये सिरे से परिभाषित करने वाला साबित होगा।
भारत और इंग्लैंड लेन-देन वाले साझेदार से ऊपर उठकर आर्थिक साझेदार के रूप में दुनिया में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। एक साथ ये दोनों देश रिसर्च और शिक्षा पर काम करते हुए और गहरा संबंध बना सकते हैं। नयी पीढ़ी के लिए क्षमता का विकास और नयी तकनीक पर साझेदारी के साथ-साथ विकास के लिए नये कोष बनाने की दिशा में दोनों देश काम कर सकते हैं। जो लोग इस चर्चा और प्रभावशाली नेटवर्क का हिस्सा बनना चाहते हैं उनके लिए यूके-इंडिया वीक में हिस्सा लेना बेहद लाभदायक होगा।