बड़े जोर-शोर से हुआ था तालिबान से जो समझौता वो 48 घंटे में ही क्यों तार-तार हुआ?
काबुल
।
तालिबान
ने
29
फरवरी
को
अमेरिका
के
साथ
हुए
अफगान
शांति
समझौते
को
मानने
से
इनकार
कर
दिया
है।
तालिबान
ने
अपने
गढ़
कंधार
प्रांत
के
दो
जिलों
में
स्थित
पांच
पुलिस
पोस्ट्स
को
निशाना
बनाया
और
इसके
साथ
ही
इस
समझौते
को
मानने
से
इनकार
कर
दिया।
अमेरिका
और
तालिबान
के
बीच
जो
शांति
समझौता
हुआ
था,
उसका
मकसद
अफगानिस्तान
में
शांति
कायम
करना
था।
जो
वजह
सामने
आ
रही
है
कि
उसके
मुताबिक
अफगानिस्तान
के
राष्ट्रपति
अशरफ
घनी
ने
इस
बात
को
मानने
से
इनकार
कर
दिया
है
कि
उनके
देश
की
जेलों
में
बंद
5000
तालिबानी
लड़ाकों
को
रिहा
किया
जाएगा।
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जब तक रिहाई नहीं तब तक बातचीत नहीं
शनिवार को जो डील हुई है उसके तहत दोनों पक्ष यानी अमेरिका और तालिबान इस बात पर राजी हुए थे कि वह विश्वास निर्माण प्रक्रिया के तौर पर राजनीतिक और युद्ध बंदियों को रिहा करने के लिए काम करेंगे। समझौते के तहत करीब 5000 लड़ाकों की रिहाई पर बात बनी थी। इसके बदले तालिबान को भी 10 मार्च तक अफगान सरकार के 1000 बंदियों को रिहा करना था। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति घनी इस वार्ता में शामिल नहीं थे और उन्होंने इस मांग को मानने से इनकार कर दिया है। संगठन अब नाराज है और उसने इस डील को मानने से इनकार कर दिया है।
कैदियों की रिहाई के बाद ही वार्ता
तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया, 'हम इंट्रा-अफगान वार्ता के लिए पूरी तरह से तैयार हैं मगर हम अपने 5000 बंदियों की रिहाई का इंतजार कर रहे हैं।' मुजाहिद ने आगे कहा, ' जब तक हमारे 5000 बंदी रिहा नहीं हो जाते तब तक वार्ता नहीं होगी।' मुजाहिद ने आगे यह भी कहा है कि यह संख्या 100 या 200 से कम हो तो भी इससे फर्क नहीं पड़ता है। अमेरिका ने दूसरी तरफ उम्मीद जताई है कि राजनीति स्थिरता के लिए एक स्थायी हल की दिशा में काम होगा और आने वाले दिनों में युद्धविराम हो सकता है। घनी ने रविवार को कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अभी तक कैदियों की रिहाई के लिए नहीं कहा है। साथ ही कैदियों की आजादी के मसले पर विस्तृत शांति समझौते के तौर पर चर्चा करनी चाहिए।
ट्रंप ने नहीं किया है कोई वादा
अफगान राष्ट्रपति के प्रवक्ता ने तालिबान के मुजाहिद को जवाब दिया है। प्रवक्ता सादिक सिद्दीकी ने कहा है, 'अफगान सरकार ने 5000 कैदियों की रिहाई के लिए कोई वादा नहीं किया है।' उन्होंने यह भी कहा कि कैदियों की आजादी को वार्ता के लिए शर्त के तौर पर पेश नहीं किया जा सकता है। न्यूज एजेंसी एएफपी के साथ बातचीत में लोकल पुलिस चीफ सुल्तान मोहम्मद हकीमी ने बताया कि तालिबान ने पंजवाही और मायीवांड में उनकी पांच पोस्ट्स पर हमला शुरू कर दिया था। पुलिस चीफ ने बताया कि लड़ाई अभी जारी है। तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने एएफपी को बताया, 'हिंसा में कमी, अब खत्म हो चुकी है और हमारे ऑपरेशंस पहले की ही तरह साामान्य तौर पर जारी रहेंगे।'
लड़ाकों को दिया हमलों का आदेश
जबीउल्ला ने आगे कहा है कि अमेरिकी समझौते के तहत तालिबान विदेशी बलों को निशाना नहीं बनाएगा मगर काबुल एडमिनिस्ट्रेशन फोर्सेज पर हमले जारी रहेंगे। तालिबान ने अपने लड़ाकों को आदेश दिया है कि वह अफगान आर्मी और पुलिस बलों पर हमले करे। इस आदेश के बाद माना जा रहा है कि तालिबान ने आधिकारिक तौर पर साइन डील को खत्म करने की तरफ कदम बढ़ा दिए हैं। अमेरिका और तालिबान के बीच बड़ी मशक्कत से डील साइन हुई थी। तालिबान मिलिट्री कमीशन की तरफ से लड़ाकों को पिर्देश दिए गए हैं कि वे हमले बहाल करें।