काठमांडू डिक्लेयरेशन के साथ खत्म हुआ नेपाल में चौथा बिमस्टेक सम्मेलन, जानिए क्या है काठमांडू घोषणा पत्र
काठमांडू। नेपाल की राजधानी काठमांडू में शुक्रवार को चौथे बिमस्टेक शिखर सम्मेलन का समापन हो गया। इस सम्मेलन का समापन आखिरी दिन काठमांडू घोषणा पत्र पर साइन करने के साथ हुआ। इस घोषणा पत्र पर सभी सात सदस्यों ने साइन किए हैं। इस शिखर सम्मेलन की शुरुआत 30 अगस्त को हुई थी और यह चौथा बिमस्टेक सम्मेलन था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस दौरान काठमांडू में मौजूद थे और उन्होंने यहां पर कई नेताओं से मुलाकात की। सम्मेलन के दौरान साइन हुआ काठमांडू घोषणा पत्र का मकसद बिमस्टेक संगठन में शामिल देशों के बीच आपसी सहयोग को बढ़ाना और इस संगठन को नई दिशा देना है।
18 सूत्रीय घोषणापत्र की खासियत
18 सूत्रीय काठमांडू घोषणा पत्र इस क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के तकनीकी और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देगा, ऐसी उम्मीद जताई जा रही है। बिमस्टेक संगठन की स्थापना साल 1997 में हुई थी और दो दशकों से चले आ रहे इस संगठन से जुड़ा यह घोषणा पत्र 14 विषयों पर आधारित है। अधिकारियों की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक घोषणा पत्र का मकसद कनेक्टिविटी, व्यापार, काउंटर टेररिज्म, जीवन-यापन से जुड़े मुद्दे और डिजास्टर मैनेजमेंट से जुड़े पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करना है।
कनेक्टिविटी है सबसे अहम
जब से बिमस्टेक की शुरुआत हुई है तब से लेकर अब तक इससे जुड़े सिर्फ तीन सम्मेलन ही हो सके, सान 2004, 2008 और 2014 में। अब सदस्य देशों ने तय किया है कि राष्ट्राध्यक्षों या फिर सरकारों को जल्दी-जल्दी मुलाकात करनी होगी। इस घोषणा पत्र में कनेक्टिविटी से जुड़ा मास्टर प्लान इसकी हाइलाइट है। साल 2010 में बिमस्टेक ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चा एंड लॉजिस्टिक स्टडी को एशियन डेवलपमेंट की ओर से अंजाम दिया गया था। इस स्टडी में 167 प्रोजेक्ट्स को शामिल किया गया था जिसमें से 66 प्रोजेक्ट्स को साल 2014 में प्राथमिक प्रोजेक्टृस के तौर पर श्रेणियों में बांटा गया था। ज्यादातर प्रोजेक्ट्स में सड़क और समंदर के रास्ते के जरिए कनेक्टिविटी को बेहतर करना था।
साइन हुआ एमओयू
इस समिट के दौरान बिमस्टेक देशों के विदेश मंत्रियों के बीच हुई मुलाकात में एक एमओयू साइन किया गया था। इस एमओयू में बिमस्टेक ग्रिड इंटर-कनेक्शन की स्थापना का जिक्र था। इस समय नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली बिमस्टेक के अध्यक्ष हैं और अगले वर्ष यह सम्मेलन श्रीलंका में होगा। इस सम्मेलन के दौरान ओली ने अगले वर्ष के लिए अध्यक्ष का पद श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सीरिसेना को सौंपा। श्रीलंका पांचवे सम्मेलन की मेजबानी करेगा। इस सम्मेलन में पीएम मोदी के अलावा श्रीलंका के राष्ट्रपति सीरिसेना, म्यांमार के राष्ट्रपति यू विन मिंत, भूटान के चीफ जस्टिस और पीएम दाशो तेशरिंग वांगचुके के मुख्य सलाहकार के अलावा बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना और थाइलैंड के पीएम प्रायुत चान-ओ छा ने इसमें शिरकत की थी।
पीएम मोदी ने किया धर्मशाला का उद्घाटन
इस सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी और नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली ने साथ में मिलकर पशुपति नाथ मंदिर प्रांगण में नेपाल भारत मैत्री धर्मशाला का उद्घाटन किया। इस धर्मशाला की नींव साल 2001 में रखी गई थी। भारत सरकार की ओर से इस धर्मशाला के निर्माण में करीब 22 करोड़ रुपए की मदद की गई है। इस धर्मशाना में 82 कमरे हैं और यहां पर एक बार में 398 तीर्थयात्री रुक सकते हैं। इस धर्मशाला में थ्री स्टार होटल की सुविधाएं दी गई हैं।