डायनासोर काल की 42 करोड़ साल पुरानी मछली मिली, 4 पैरों वाली मछली को देख वैज्ञानिक हैरान
मेडागास्कर तट पर कुछ मछुआरे समुन्द्र में मछलियां पकड़ने गये थे। मछुआओं के निशाने पर शार्क मछली थी, लेकिन उनके जाल में ये अद्भुत मछली फंस गई।
नई दिल्ली, मई 14: दुनिया में कब कहां और क्या हैरान करने वाली चीज मिल जाए ये कभी सोचा भी नहीं जा सकता है। प्रकृति के गर्भ में हैरान-परेशान करने वाली ऐसी ऐसी चीजें छिपी हुईं हैं, जिसके बारे में इंसान कभी कल्पना भी नहीं क सकता है। साउथ अफ्रीका के मछुआरों के हाथ एक ऐसी मछली लगी है, जिसकी प्रजाति 42 करोड़ साल पुरानी है और इसे दुनिया से विल्पुप्त मान लिया गया था। लेकिन, जब मछुआरों ने इस मछली को पकड़ा तो इसे देख वैज्ञानिक हैरान रह गये।
42 करोड़ साल पुरानी प्रजाति
हिंद महासागदर में बसे मेडागास्कर के तट पर मछली पकड़न के दौरान मछुआरों के हाथ में ये विलुप्त हो चुकी मछली लगी है। इस मछली के चार हैं, जिसे देख मछुआरे हैरान रह गये। वैज्ञानिकों ने कहा है कि चार पैर वालों ये मछली करीब 42 करोड़ साल पुरानी प्रजाति से है और इस मछली को 'सीउलैकैंथ' के नाम से जाना जाता है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि ये मछली डायनासोर के समकालीन है और इसका फिर से मिलना पूरी तरह से दुर्लभ है।
आश्चर्य में विज्ञान जगत
समुन्द्र के अंदर से अकसर अद्भुत चीजें मिलती रहती हैं और ये मछली भी अचानक ही मिली है। मोंगबे न्यूज के मुताबिक, मेडागास्कर तट पर कुछ मछुआरे समुन्द्र में मछलियां पकड़ने गये थे। मछुआओं के निशाने पर शार्क मछली थी, जिसे पकड़कर वो पंख और तेल हासिल करना चाह रहे थे। शार्क मछली को पकड़ने के लिए एक खास तरह के जाल 'गिलनेट्स' का इस्तेमाल किया जाता है, जो समुन्द्र में 328 फुट से लेकर 492 फुट तक जा सकती है। जब मछुआरे शार्क को पकड़ने की कोशिश कर रहे थे, उसी दौरान जाल में 'सीउलैकैंथ' मछली भी फंस गई।
मछली के अस्तित्व पर खतरा
मछुआरों के जाल में फंसी 'सीउलैकैंथ' मछली के चार पैर और आठ पंख हैं और इस मछली को 1938 तक विलुप्त माना जा रहा था लेकिन एक बार पहले भी ये मछली साउथ अफ्रीकन समुन्द्र में मिल चुकी है। दरअसल, वैज्ञानिकों में हैरानी इस बात को लेकर है कि आखिर 42 करोड़ साल पुरानी मछली की प्रजाति अभी तक धरती पर मौजूद कैसे है, जबकि इस दौरान पृथ्वी की भौगोलिक परिस्थितियां कई बार बदल चुकी हैं। दक्षिण अफ्रीका के जर्नल ऑफ साइंस में एक रिसर्च के दौरान कहा गया है कि शार्क के शिकार की वजह से 'सीउलैकैंथ' मछली के अस्तित्व पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। आपको बता दें कि 1980 के बाद से शार्क मछलियों का काफी तेजी से शिकार किया जा जा रहा है। रिसर्चर्स का कहना है कि मछुआरों ने शार्क मछली को पकड़ने के लिए जिलनेट की काफी खतरनाक खोज की है और ये इतने विशाल होते हैं कि समुन्द्र में काफी गहरे पानी में होने के बाद भी ये जाल मछलियों को फंसा लेते है।
शोधकर्ताओं को डर
'सीउलैकैंथ' मछली के एक बार फिर से मिलने के बाद शोधकर्ताओं के मन में इस मछली को लेकर आशा की किरण भले ही जगी है लेकिन रिसर्चर का मानना है कि इस अद्भुत मछली का बड़े पैमाने पर शिकार कर इसके अस्तित्व को खतरे में डाला जा सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि मेडागास्कर की सरकार ने अभी तक 'सीउलैकैंथ' प्रजाति की मछलियों के शिकार पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाया है, जिसकी वजह से मछली की इस प्रजाति के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है।
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