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दुनिया की 28 कंपनियों ने लिया बड़ा संकल्प

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दुनिया की 28 बड़ी कंपनियों ने पर्यावरण को स्‍वच्‍छ बनाने की ओर कदम बढ़ाते हुए नया संकल्‍प लिया है। क्लाइमेट चेंज यानी मौसम परिवर्तन का सबसे बड़ा कारक है पृथ्‍वी का बढ़ता तापमान और उसकी सबसे बड़ी वजह है कार्बन एमिशन। कार्बन एमिशन को नियंत्रित करने की ओर ठोस कदम बढ़ाने का संकल्‍प इन कंपनियों ने लिया है। बाज़ार में इन कंपनियों की कुल पूंजी करीब 1.7 ट्रिलियन डॉलर है। 23 सितंबर को होने वाले यूएन क्लाइमेट ऐक्शन समिट में इन कंपनियों के प्रतिनिधि अपने ऐक्शन प्लान पर चर्चा करेंगे। खास बात यह है कि इन 28 कंपनियों में भारतीय कंपनियां भी शामिल हैं

Pollution

क्या है पर्यावरण संकल्‍प?

संयुक्त राष्‍ट्र के तत्‍वावधान में लिये गये इस संकल्‍प के अंतर्गत कंपनियां अपने प्रोडक्शन के कार्य को इस प्रकार से आगे बढ़ायेंगी, कि 2050 तक वे जीरो-कार्बन एमिशन कंपनी में शामिल हो जायें। यानी कि वैश्विक तापमान में होने वाली 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि में उनका योगदान न्यूनतम होगा। इसके लिये ऐसी सभी इकाईयों को बंद करना होगा, जिसमें से हवा में कार्बन रिलीज़ होता है।

कौन-कौन सी कंपनियां

पहले चरण में जो कंपनियां आगे आयी हैं उनके नाम हैं- एक्सियोना, ऐस्‍ट्राजिनेका, बंका बायोलू, डालमिया सीमेंट लिमिटेड, ईको-स्‍टील अफ्रीका लिमिटेड, हेवलेट पैकर्ड एंटरप्राइसेज, इबेरड्रोला, केएलपी, लेविस स्‍ट्रॉस एंड कंपनी, महिंद्रा ग्रूप, नेचुरा एंड कंपनी, नोवोज़ाइम्स, रॉयल डीएसएम, सैप, सिग्नीफाई, टेलीफोनिका, टेलिया, यूनीलीवर, वोडाफोन ग्रुप, पीएलसी और ज्यूरिक इंश्‍योरेंस शामिल हैं। पूरी दुनिया में इन कंपनियों के कुल कर्मियों की संख्‍या करीब 10 लाख के आस-पास है। ये कंपनियां 16 देशों में 17 क्षेत्रों में सक्रिय रूप से चल रही हैं।

इन कंपनियों में बीटी, हेवलेट पैकर्ड, लेवी स्‍ट्रॉस एंड कंपनी और सैप ने पहले ही 1.5 डिग्री सेल्सियस एलाइंड क्लाइमेट टार्गेट को पूरा करने इंतजाम अपने प्रोडक्शन हाउस में कर लिये हैं।

अब बात भारत की

एक तरफ संयुक्त राष्‍ट्र ने यह सूची जारी की, तो दूसरी ओर संयुक्‍त राष्‍ट्र के विशेष प्रतिनिधि लुइस अल्‍फोन्‍सो दि एल्बा ने नई दिल्ली में आज भारत सरकार के कई मंत्रालयों के अधिकारियों व बिजनेस समूहों के प्रतिनिधियों से इस विषय पर चर्चा की। सितंबर में होने वाले शिखर सम्मेलन की तैयारियों के सिलसिले में लुइस अल्‍फोंन्सो भारत आये हैं। अल्‍फोंसो ने इस मौके पर कहा कि भारत सरकार के प्रतिनिधियों से उनकी चर्चा जारी है। उन्‍होंने कहा, "मुझे लगता है कि भारत पेरिस एग्रीमेंट की शर्तों को पूरा करने में कामयाब जरूर होगा।"

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अल्फोंसो ने आगे कहा कि उन्होंने भारत के विभिन्न मंत्रालयों के अधिकारियों से बात की। साथ ही उन बिजनेस समूहों और ऊर्जा संसाधन संस्थानों के प्रतिनिधियों से मिले जिसमें। सभी के साथ मीटिंग का एक ही अजेंडा था- लो कार्बन एमिशन। इस मौके पर उन्होंने भारत सरकार से एक बड़ी योजना के साथ आगे आने का आग्रह किया। उन्‍होंने कहा, "कृषि, एयर क्वालिटी और एनडीसी के क्षेत्र में जो भी कदम अब तक उठाये गये हैं, उन पर भारत सरकार को गर्व है। मुझे विश्‍वास है कि भारत सरकार अपनी नई योजनाओं के साथ शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेगा और बड़ी घोषणा करेगा।"

भारत की सेंट्राल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (सीईए) की नई रिपोर्ट के अनुसार पेरिस एग्रीमेंट के तहत किये गये एक वादे को भारत 60 प्रतिशत तक पूरा करेगा।

सीडीपी इंडिया के निदेशक दमनदीप सिंह ने कहा कि क्लाइमेट चेंज की मार झेल रहे देशों में भारत भी शामिल है। मॉनसून का समय पर नहीं आना और फिर नॉर्थईस्‍ट समेत कई जगहों पर बाढ़, ये सभी खतरे के संकेत हैं। ऐसे में कॉरपोरेट सेक्टर ने इस दिशा में सक्रियता दिखानी शुरू कर दी है। मुझे विश्‍वास है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2050 तक जीरो एमिशन को लेकर नये कदम जरूर उठायेंगे। वहीं काउंसिल ऑन एनर्जी इंवॉयरनमेंट एंड वॉटर के सीईओ डा. अरुनभा घोष ने कहा कि पिछले दस वर्षों में हमारी अक्षय ऊर्जा की क्षमता में 150 फीसदी का इज़ाफा हुआ है। 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने की ओर अग्रसर भारत का विकास को क्लीन एनर्जी से ही ऊर्जा मिलेगी। इसमें कोई शक नहीं है कि भारत के विकास की गाथा में अब कम कार्बन वाला रास्‍ता ही उसे सशक्त बनायेगा।

महिंद्रा ग्रुप के चीफ सस्‍टेनेबिलिटी ऑफीसर अनिरबन घोष ने कहा कि भारत सही मार्ग पर प्रशस्त है। जिस तरह से पूरा विश्‍व तापमान की वृद्धि का शिकार हुआ है, वह बेहद गंभीर है और उसी के कारणों से लड़ने के लिये महिंद्रा ग्रुप पूरी तरह संकल्‍पबद्ध है। हमारा संकल्‍प है कि 2050 से दस साल पहले ही यानी 2040 तक ही कार्बन न्यूटरल बन सकें।

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English summary
Twenty-eight companies with a total market capitalization of over $1.7 trillion are stepping up to set a new level of climate ambition in response to a call-to-action ahead of the UN Climate Action Summit this 23 September.
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