चीन समेत 15 देशों ने किया दुनिया का सबसे बड़ा व्यापार समझौता, भारत के लिए विकल्प खुले
नई दिल्ली- चीन और 14 दूसरे देशों ने दुनिया का सबसे बड़ा ट्रेडिंग ब्लॉक बनाया है, जिसके तहत विश्व की एक तिहाई आर्थिक गतिविधियां शामिल होंगी। इस करार में कई दक्षिण एशियाई देश शामिल हैं, जिनको लगता है कि यह करार उन्हें कोरोना वायरस महामारी से पैदा हुई आर्थिक मार से उबरने में मदद करेगा। चीन की अगुवाई वाले क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) पर 15 देशों ने रविवार को वर्चुअली दस्तखत किए हैं। ये करार 10 देशों की आसियान के वार्षिक सम्मेलन के दौरान ही किया गया है।
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क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) में शामिल सभी देश एशिया-पैसिफ अर्थव्यवस्था से जुड़े हैं, जिन्होंने आपस में इस फ्री ट्रेड ब्लॉक का निर्माण किया है। इस डील में चीन शामिल है और अमेरिका को इससे बाहर रखा गया है। इस करार में 10 आसियान देशों के अलावा चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूजीलैंड जैसे देश शामिल हुए हैं। इससे जुड़े अधिकारियों के मुताबिक इस करार में भारत के शामिल होने का विकल्प खुला रखा गया है। इस समझौते का प्रस्ताव पहली बार 2012 में ही रखा गया था। इस करार के बाद इसके सदस्य देश आपस में टैरिफ घटाएंगे और व्यापार बढ़ाने के लिए चीजों को ज्यादा अनुकूल बनाएंगे। जाहिर है कि इस करार से अमेरिका का दबदबा इस क्षेत्र के व्यापार पर और कमतर होगा। गौरतलब है कि ट्रंप के शासन आने के बाद अमेरिका व्यापार समझौतों के लिए 'अमेरिका फर्स्ट' पॉलिसी का पालन कर रहा था।
इस समझौते के लिए अपना बाजार मुक्त करने की अनिवार्यता के चलते भारत इससे पहले ही अलग हो गया था। इस करार से पहले जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने कहा था कि उनकी सरकार इस समझौते में आगे चलकर भारत के भी शामिल होने की संभावना समेत स्वतंत्र और निष्पक्ष आर्थिक क्षेत्र के विस्तार को समर्थन देती है और उम्मीद करती है कि दूसरे देशों का भी इसको समर्थन प्राप्त होगा।
इस समझौते से चीन को सबसे ज्यादा फायदा होने की संभावना है। क्योंकि, 1 अरब 40 लाख आबादी के साथ वह क्षेत्र का सबसे बड़ा बाजार है। अब सहयोगी देशों की नजरें जो बाइडेन की अगुवाई वाली नई अमेरिकी सरकार की नीतियों पर टिकी हुई हैं कि वह व्यापार के क्षेत्र में अमेरिका को किस दिशा में लेकर चलते हैं।
वैसे यह डील इसलिए भी दिलचस्प है, क्योंकि इसमें शामिल कई देश दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रमकता के शिकार हैं। कोविड-19 महामारी के दौर में हुआ यह समझौता इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि सभी देशों के व्यापार मंत्रियों ने इसपर दस्तखत करने के बाद उसे कैमरे में एक साथ दिखाया। वियतनाम के प्रधानमंत्री गुयेन जुआन फुक ने कहा है कि यह समझौता ये संकेत देता है कि कोविड-19 पैंडेमिक के मुश्किल वक्त में आरसीईपी देशों ने संरक्षणवादी कदम उठाने के बजाए अपने बाजारों को खोलने का फैसला किया है।
वियतनाम के मुताबिक 'क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी' दुनिया की 30% अर्थव्यवस्था और 30% आबादी के साथ डील तो करेगा ही, इसकी पहुंच 2.2 अरब उपभोक्ताओं तक होगी। भारत इस समझौते के लिए हो रही बातचीत से पिछले साल नवंबर में पीछे हट गया था।