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दुनिया की सबसे फास्ट मैग्लेव ट्रेन से जुड़ी 10 रोचक बातें

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भारत जहां बुलेट ट्रेन के लिए तैयारियों में लगा हुआ है तो वहीं हर बार अपने ही रफ्तार का रिकॉर्ड तोड़ने वाली जापान ने एक बार फिर नया इतिहास रच दिया है। जापान की मैग्लेव ट्रेन ने अपने एक हफ्ते पुराने रिकॉर्ड को तोड़कर नया रिकॉर्ड बना लिया है।

पिछले हफ्ते में इस ट्रेन की रफ्तार जहां 590 किलोमीटर प्रति घंटे की थी, वहां अब इसकी रफ्तार 603 किलोमीटर प्रति घंटा हो गई है। इस रफ्तार को साथ ही मैग्लेव दुनिया की सबसे तेज रफ्तार वाली ट्रेन बन गई है।

तूफानी रफ्तार वाले इस ट्रेन को लेकर दुनियाभर में चर्चाएं हो रही है। ऐसे में अब सबके मन में इस ट्रेन के बारे में अदिक से अधिक जानने की उत्सुकता होने लगी है। हम आपको बता रहे हैं इस ट्रेन की 10 खास बातें

तोड़ा अपना ही रिकॉर्ड

तोड़ा अपना ही रिकॉर्ड

इस ट्रेन का रुट 286 किलोमीटर लंबा है, जिसमे से 80 फीसदी हिस्सा सुरंगों से हेकर गुजरता है।

पटरियों से ऊपर चलती है ट्रेन

पटरियों से ऊपर चलती है ट्रेन

मैग्लेव ट्रेन की पहियां जब 100 किलोमीटर प्रति घंटे का रफ्तार पकड़ लेती है तो पहियों और पटरियों के बीच चुंबकीय शक्ति के जरिये ट्रेन पटरियों से लगभग 10 सेंटीमीटर ऊपर चलने लगती है।

दूसरे देशों को बेची जाएगी ट्रेन

दूसरे देशों को बेची जाएगी ट्रेन

मैग्लेव ट्रेन के पहली रुट टोक्यो से नागोया तक को बनाने में जापान ने 100 अरब डॉलर खर्च किए थे। लागत बहुत ज्यादा हो गई तो जापान ने उसे दूसरे देशों क बेचने का फैसला किया है।

डेढ़ घंटे में दिल्ली से बिहार

डेढ़ घंटे में दिल्ली से बिहार

जापान की बुलेट ट्रेन टोक्यो से नागोया पहुंचने में 88 मिनट का समय लेती है, जबकि मैगलेव ट्रेन इस दूरी को 40 मिनट में तय करेगी। अगर ये ट्रेन भारत की पटरियों पर दौड़ेगी तो बिहार से दिल्ली तक पहुंचने में मात्र डेढ़ घंटे लगेंगे।

दूसरे देशों को बेची जाएगी ट्रेन

दूसरे देशों को बेची जाएगी ट्रेन

धरती पर सबसे तेज रफ्तार से दौड़ने वाला जानवर चीता भी अधिकतम 120 किमी प्रति घंटे का रफ्तार पकड़ सकता है, जबकि मैग्लेव ट्रेन की रफ्तार 603 किमी प्रचि घंटा है। इससे आप इसकी रफ्तार का अंजादा लगा सकते है।

67 घंटे में पूरी धरती का चक्कर

67 घंटे में पूरी धरती का चक्कर

अगर थ्योरी के हिसाब से देखें तो मैगलेव ट्रेन 67 घंटे से भी कम समय में पूरी धरती के व्यास का चक्कर लगा सकती है।

ईडीएस प्रणाली का इस्तेमाल

ईडीएस प्रणाली का इस्तेमाल

जापान की हाई स्पीड मैग्लेव ट्रेन इलेक्ट्रो-डायनमिक सस्पेंशन की प्रणाली का इस्तेमाल कर चलती है।

2027 में ले सकेंगे मजा

2027 में ले सकेंगे मजा

जापान रेलवे सेंट्रल के मुताबिक साल 2027 तक यह ट्रेन पूरी तरह सर्विस में आ जाएगी। टोक्‍यो और नगोया के बीच की 286 किलोमीटर की दूरी को तय किया जा सकेगा।

तेजी से पकड़ती है स्पीड

तेजी से पकड़ती है स्पीड

जानकारी के मुताबिक टेस्ट रन के दौरान मैग्लेव ने महज 1.8 किमी की दूरी में ही 600 किमी प्रति घंटा की रफ्तार हासिल कर ली थी।

तकनीक में किया बदलाव

तकनीक में किया बदलाव

मैगलेव ट्रेन में परंपरागत ट्रेनों जैसा इंजन नहीं होता है। इसकी तकनीक में बदलाव कर इसे दुनिया की सबसे तेज रफ्तार की ट्रेन बनाया गया है।

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English summary
The record saw the Maglev - short for magnetic levitation - cross the 600Km/h mark on a test-run in Yamanashi Prefecture just outside of Tokyo, Japan. This comes just days after it broke its previous 12-year-old record of 581km/h by going 590km/h.
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