इंदौर का एमवाय बनेगा मॉडल अस्पताल, रोजाना हो सकेगा पांच हजार मरीजों का इलाज
इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर स्थित एमवाय अस्पताल को मॉडल अस्पताल के रूप में तैयार किया जाएगा। यहां पर प्रतिदिन पांच हजार से अधिक मरीजों का इलाज हो सकेगा। एमवाय अस्पताल के आधुनिकीकरण और विस्तार के लिए जो भी आवश्यक सुविधाएं जरूरी होंगी वो उपलब्ध करवाई जाएगी। ये बातें बुधवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौाहन ने जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट के साथ भोपाल में हुई चर्चा के दौरान कही।
मंत्री सिलावट ने मुख्यमंत्री से इंदौर के एमवाय अस्पताल को आदर्श अस्पताल के रूप में विकसित करने और एमजीएम मेडिकल कॉलेज इंदौर के स्कूल ऑफ एक्सीलेंस फॉर आई के निर्माण को गति देने तथा आवंटित राशि में वृद्धि का आग्रह किया।
मंत्री तुलसी सिलावट ने मुख्यमंत्री को बताया कि इंदौर के शासकीय कैंसर चिकित्सालय रेडियो थैरेपी की आधुनिक मशीन 'लीनियर-एक्सीलेटर' स्थापित करने की आवश्यकता है। इसके अलावा एमवायएच में इमरजेंसी मेडिसिन, फिजिकल मेडिसिन एवं रिहेबिलिटेशन वायरोलॉजी, क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग खोले जाने की जरूरत है। यहां के पुराने ऑपरेशन थियेटरों को मॉडयूलर ऑपरेशन थियेटर में बदलने, बढ़ते हुए एक्सीडेंट प्रकरणों को देखते हुए यहां 200 बिस्तरों का नया ट्रॉमा सेंटर बनाने एवं इमरजेंसी सेंटर स्थापित करने की जरूरत है।
इसके अलावा यहां पर ज्वाइंट रिप्लेसमेंट, आर्थोस्कोपी, स्पाइन सर्जरी एवं स्पोट्र्स इंजूरी सर्जरी के साथ-साथ इण्डोक्राइन मेडिसिन एवं सर्जरी के उपचार की व्यवस्था भी किए जाने की जरूरत है। एमवायएच में मरीजों को आने पर इंतजार न करना पड़े। इसके लिए यहां पर ऑनलाइन एप्वाइंटमेंट, व्यवस्थित रिकॉर्ड संधारण के लिए ई-हॉस्पिटल व ई-ऑफिस व्यवस्था लागू की जाए। इसके अलावा अस्पताल परिसर में मल्टीलेवल आधुनिक पार्किंग व चिकित्सकों व स्टाफ के लिए मल्टीलेवल स्टाफ क्वार्टर का निर्माण करवाने और एनएबीएच मान्यता लेने पर भी मुख्यमंत्री का ध्यान आकर्षित किया।
मंत्री सिलावट ने सीएम से एमजीएम मेडिकल कॉलेज के स्कूल ऑफ एक्सीलेंस फॉर आई के बजट आवंटन में वृद्धि करने पर भी गुजारिश की। गौरतलब है कि इस स्कूल में आंखों की सभी प्रकार की शल्य चिकित्सा के उत्कृष्ट केंद्र के रूप में तैयार किया जा रहा है। इस केंद्र पर गरीब नागरिक बिना किसी खर्च के उच्च कोटि के उपकरणों से लैस सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे। यहां पर प्रतिवर्ष 10 हजार नेत्र रोग संबंधित शल्य क्रिया हो सकेगी।