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10 करोड़ यूथ वोटर्स ने ख‍िलाया है मोदी का 'कमल'

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narendra modi
नई दिल्ली। 2004 के दौर में जब भारतीय जनता पार्टी का ‘इंडिया शाइनिंग' प्लान फेल हुआ था, तब कहा गया था कि भाजपा ‘रियल वोटर' तक नहीं पहुंच पाई लेकिन इस बार ‘मोदी मैनेजमेंट' और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के काम ने आम और खास, दोनों में जगह बनाई। इसे चुनाव प्रचार की रणनीति की सफलता मानें या जनमानस के बदले मनमिजाज का नतीजा, इसमें करीब दस करोड़ नए वोटरों की भूमिका निर्णायक रही।

यह जनादेश चार बातें स्पष्ट करता है। पहली, भाजपा के सबसे अच्छे दिन आ गए हैं। अक्तूबर, 1999 में भाजपा के नेतृत्व में एनडीए को 303 सीटों पर जीत मिली थी और इसमें भाजपा की 183 सीटें थीं, जिसे पार्टी का सबसे अच्छा प्रदर्शन बताया जाता था। लेकिन साल 2014 के आम चुनाव में पार्टी ने इस रिकॉर्ड को ध्वस्त किया और अपने दम पर सरकार बनाने की स्थिति में आ गई है।

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दूसरी बात, भाजपा के जनाधार में नए मतदाता शामिल हुए हैं। चुनाव आयोग के अनुसार, इस बार मतदाता सूची में करीब दस करोड़ नए वोटर थे। इससे यह जाहिर होता है कि जो बदलाव आया है, उसमें इन नए वोटरों की निर्णायक भूमिका रही है। यह एक शुभ संकेत है कि हिन्दुस्तान का नया मन-मिजाज खंडित जनादेश या ढुलमुल की राजनीति नहीं चाहता।

भाजपा की विशाल जीत के अलावा, हम यह भी देखते हैं कि जहां जो क्षत्रप मजबूत थे, वहां उन्हें सर्वाधिक सीटें मिलीं, चाहे वह जयललिता हों या फिर ममता बनर्जी। हालांकि अपने अत‍ि आत्मविश्वास के चलते बहन मायावती का किला तहस-नहस हो गया। तीसरी बात, यह स्थिरता देश के लिए अच्छी है। इससे एक मजबूत सरकार केंद्र में बनेगी, राजनीतिक असमंजस का माहौल नहीं रहेगा।

इस तरह की मजबूती इंदिरा गांधी की हत्या के बाद के चुनाव में दिखी थी, जब राजीव गांधी की अगुवाई में कांग्रेस 400 पार कर गई थी। वह भावनात्मक लहर थी और यह निर्णयात्मक लहर है। इस मजबूती को एनडीए चाहे, तो बीजेडी व एआईएडीएमके को साथकर और बढ़ा सकता है। लेकिन यहीं पर दिक्कत आती है कि चूंकि भाजपा की स्थिति मजबूत है, इसलिए जनता चाहेगी कि वह अपने पुराने और विवादस्पद मुद्दों को अमल में लाए। यानी समान आचार संहिता, अनुच्छेद 370 और राममंदिर मुद्दे पर जनता काम चाहेगी।

चौथी बात, इसमें दोराय नहीं कि देश में एक लहर थी। यह लहर मोदी की थी और यह जीत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की है। मैं कुछ दिन बनारस में बिताकर आई हूं। वहां मैंने देखा कि कैसे एकजुट होकर संघ परिवार के कार्यकर्ताओं ने काम किया। माना जाता रहा है कि हिंदी हृदयस्थली वाले प्रदेश संघ के काफी करीब हैं, लेकिन पहली बार इस क्षेत्र पर संघ का पूरा जोर दिखा।

भाजपा के चुनाव प्रचार के नए तरीके, जिसमें न्यू मीडिया शामिल है, और ग्रासरूट लेवल पर संघ का काम, दोनों ने मिलकर रंग जमाया। इसके अलावा, जिन राज्यों में भाजपा की स्थिति मजबूत थी, वहां के क्षत्रपों पर यह दारोमदार सौंपा गया कि वे लगभग सभी सीटें पार्टी के पक्ष में करें और ऐसा ही हुआ।

सरकार चलाने के लिए टीम वर्क की जरूरत होगी और इसलिए नरेंद्र मोदी को अपनी टीम बनानी होगी, जो चुनाव प्रचार के दौरान नहीं थी। टीम में नए-पुराने, परंपरावादी और टेक्नोक्रेट के बीच तालमेल बनाने के अलावा विपक्ष को साधने की जिम्मेदारी भी मोदी पर होगी, क्योंकि राज्यसभा में फिलहाल पार्टी की स्थिति मजबूत नहीं है। हनीमून पीरियड के अंत के बाद जनता नतीजे चाहेगी और विधेयकों को पारित कराने के लिए विपक्ष का साथ अहम है। इन्हीं उतार-चढ़ाव के बीच मोदी के लिए चुनौती होगी कि वे 'अच्छे दिन' बनाए रखें।

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English summary
Youth voters are mainly responsible for wining of BJP and it has been it's own record of 2004.
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