महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा को नक्सलियों ने बताया सुकमा हमले की वजह!
छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सली हमले को अंजाम देने वाले कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवाद) के संगठन दंड करन्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी) ने बताई हमले की वजह।
नई दिल्ली। पिछले दिनों छत्तीसगढ़ के सुकमा में जो नक्सली हमला उसमें सीआरपीएफ के 25 जवान शहीद हो गए। अब इस हमले को अंजाम देने वाले नक्सली संगठन की ओर से हमले की वजह बताई गई है। इस हमले को नक्सलियों के संगठन दंड करन्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी) ने अंजाम दिया था।
होते रहेंगे ऐसे हमले
इस संगठन की ओर से एक ऑडियो क्लिप जारी की गई है और इसमें कहा गया है कि हमला महिलाओं के खिलाफ होने वाली यौन हिंसा का बदला था। संगठन के प्रवक्ता विकल्प की ओर से यह ऑडियो क्लिप जारी की गई है। विकल्प ने कहा है कि हमला सरकार और सुरक्षाबलों को एक जवाब था। इस तरह के हमले लोगों के संघर्ष के लिए आगे भी होते रहेंगे। इस ऑडियो क्लिप में नक्सलियों की मिलिट्री विंग को शाबाशी भी दी गई है। विकल्प ने कहा है कि सुरक्षाबलों की ओर से पिछड़ी जाति की महिलाओं के साथ जो यौन हिंसा हो रही है उसके जवाब में यह हमला वाजिब जवाब था। महिलाओं के सम्मान की सुरक्षा करने के लिए इस तरह के हमले होते रहेंगे। विकल्प की मानें तो सुरक्षाबलों ने महिलाओं की आपत्तिजनक फोटोग्राफी ली थीं और फिर इसे लोगों में बांटा था। इस ऑडियो क्लिप में सरकार की ओर से चलाए जा रहे उस रोड प्रोजेक्ट की बात भी की गई है जिसे हमले की अहम वजह बताया गया। विकल्प के मुताबिक यह प्रोजेक्ट प्राकृतिक संसाधनों को लूटने के लिए शुरू किया गया है।
शवों के साथ नहीं की गई छेड़छाड़
संगठन के प्रवक्ता विकल्प के मुताबिक कॉरपोरेट मीडिया उनके बारे में झूठ बोल रहा है और गलत खबरें फैला रहा है कि जवानों के शवों के साथ छेड़छाड़ की गई है। ऐसी खबरें आई थीं कि महिला नक्सलियों ने मृत जवानों के गुप्तांग काट डाले थे। विकल्प के मुताबिक नक्सली कभी भी जवानों के शवों का असम्मान नहीं करते हैं।मीडिया उनके बारे में झूठी खबरें फैला रहा है। प्रवक्ता ने उलटे पुलिस और सुरक्षाबलों पर ही नक्सलियों के शवों के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगा डाला। सिर्फ इतना ही नहीं संगठन की ओर से यह भी दावा किया गया है कि कभी-कभी उन्हें उनके साथियों का शव देने में काफी देर की जाती है। संगठन के मुताबिक सुरक्षाबल के जवान उनके दुश्मन नहीं है। लेकिन ये जवान सरकार के जनता विरोधी कार्यक्रम का हिस्स बनकर, उनके सामाजिक कल्याण के रास्ते में बाधा डाल रहे हैं। साथ ही कहा है कि जवान अपनी सरकारी नौकरियों को छोड़ दें और समाज के लिए लड़ाई लड़ें।