कश्मीर में अब भले जमीन खरीद लें आप लेकिन अभी भी इन राज्यों में नहीं खरीद सकते हैं
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में धारा 370 खत्म किये जाने के बाद देश के लोगों में ख़ासकर के उत्तर भारतीयों में जमीन को लेकर कौतूहल अभी चरम पर है। पहले का जो प्रावधान था उसमें आर्टिकल 35 A की वजह से जम्मू कश्मीर में वहाँ का स्थानीय नागरिक ही जमीन खरीद सकता था। यह अधिकार उन्हें ही था। लेकिन अब जब ये धाराएं शून्य घोषित की जा चुकी हैं तो जम्मू कश्मीर के क्षेत्र में अन्य राज्यों के लोगों के स्थायी रूप से बसने की राह के रोड़े हट गए हैं।
सिर्फ जम्मू कश्मीर ही नहीं
लेकिन सिर्फ जम्मू कश्मीर ही ऐसा क्षेत्र नहीं है जहाँ पहले अन्य राज्य के लोग अपनी जमीन का मालिकाना हक नहीं प्राप्त कर सकते थे। वैसे तो अब जम्मू कश्मीर के मामले में यह बात बीते दिनों की बात हो गयी है, लेकिन अभी भी भारत के कई राज्य ऐसे हैं जहाँ अन्य राज्यों के लोग जमीन नहीं खरीद सकते हैं। आइये जानते हैं ये राज्य कौन कौन से हैं और इसकी क्या वजह है कि वहाँ दूसरे राज्य के लोग जमीन नहीं खरीद सकते हैं।
वैसे राज्य जहाँ दूसरे राज्य के लोग जमीन नहीं खरीद सकते हैं
वैसे
राज्य
जहाँ
दूसरे
राज्य
के
लोग
जमीन
नहीं
खरीद
सकते
हैं
सामान्यतया
उसे
संविधान
की
दो
अनुसूचियों
में
रखा
गया
है।
ये
हैं
संविधान
की
पांचवीं
और
छठी
अनुसूची।
आंध्र
प्रदेश,
तेलंगाना,
छत्तीसगढ़
,ओडिशा,
और
झारखण्ड
के
आदिवासी
बहुल
इलाक़े
संविधान
की
पांचवीं
अनुसूची
में
आते
हैं।
इन
राज्यों
में
वहां
के
राज्यपाल
उस
राज्य
के
आदिवासियों
के
अभिभावक
कहलाते
हैं।
इन
अनुसूचित
क्षेत्रों
में
भारतीय
संविधान
के
द्वारा
राज्यपाल
को
इतनी
संवैधानिक
शक्ति
दी
की
गई
है
कि
वो
परिस्थिति
को
देखते
हुए
किसी
भी
क़ानून
को
अपने
राज्य
में
लागू
देने
होने
से
रोक
सकते
हैं
या
फिर
लागू
कर
सकते
हैं।
अब
बात
संविधान
की
छठी
अनुसूची
की
करते
हैं।
इस
सूची
में
वो
इलाक़े
आते
हैं,
जहां
स्थानीय
आदिवासियों
की
आबादी
काफी
ज्यादा
है।
ये
इलाके
हैं
असम,
मेघालय,
त्रिपुरा
और
मिजोरम।
यहाँ
इन
जातियों
के
आधार
पर
स्वायत्त
शासित
परिषदों
की
स्थापना
की
गयी
है।
यहाँ
भी
राज्यपाल
की
संवैधानिक
भूमिका
बड़ी
महत्वपूर्ण
है।
यहां
भी
किसी
स्थानीय
जनजाति
या
आदिवासी
की
जमीन
खरीदी
नहीं
जा
सकती
है।
सिक्किम
के
मामले
में
भी
ऐसा
ही
है।
सात बहनों का राज्य
अगर कुल मिलाकर देखें तो पांचवी अनुसूची में शामिल कुछ राज्यों के आदिवासी अनुसूचित बहुल इलाके के अलावा 'सात बहनों' के नाम से जाने जाने वाले पूर्वोत्तर राज्यों में ऐसा कानून है कि वहां बाहरी लोग जमीन नहीं खरीद सकते हैं और न ही जमीन खरीद कर कोई उद्योग धंधा लगा सकते हैं। इन सात बहनों में असम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा आते हैं। यहाँ के कई इलाक़े हैं जहां ऐसे संवैधानिक प्रावधान किये गए हैं ताकि स्थानीय लोगों की आबादी बाहरी लोगों के आने से प्रभावित नहीं हो और स्थानीय विविधता बनी रहे। ऐसे ही प्रावधान उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, झारखण्ड, आंध्र प्रदेश, और तेलंगाना जैसे राज्यों में भी बनाये गए हैं। यहाँ भी वजह वही, स्थानीय विविधताओं को संरक्षण दिया जाना है।