CAA पर नेताजी के पड़पोते ने अपनी ही पार्टी को दिया सुझाव, कहा- लोकतांत्रिक देश में आप नागरिकों पर...
कोलकाता। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर सुभाष चंद्र बोस के पड़पोते और भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) नेता चंद्र कुमार बोस ने एक बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि 'एक बार अगर कोई बिल संसद में पारित होकर कानून बन जाता है तो वो सभी राज्यों पर बाध्यकारी होता है। यह कानूनी स्थिति है। लेकिन एक लोकतांत्रिक देश में आप नागरिकों पर किसी कानून को थोप नहीं सकते हैं।'
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'किसी धर्म का उल्लेख नहीं करना चाहिए'
उन्होंने अपनी ही पार्टी को सुझाव देने की बात भी कही है। चंद्र कुमार बोस ने कहा, 'मैंने अपनी पार्टी के नेतृत्व को सुझाव दिया है कि थोड़े से संशोधन से विपक्ष के पूरे अभियान पर पानी फिर जाएगा। हमें ये विशेष रूप से बताना होगा कि ये कानून धार्मिक उत्पीड़न के शिकार हुए अल्पसंख्यकों के लिए है। हमें किसी धर्म का उल्लेख नहीं करना चाहिए। हमारा दृष्टिकोण अलग होना चाहिए।'
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'लोगों को सीएए के फायदों के बारे में बताएं'
उन्होंने आगे कहा, 'हमारा काम लोगों को ये समझाना है कि हम सही हैं और वो गलत हैं। आप गाली गलौच नहीं कर सकते। केवल इसलिए कि आज हमारे पास अधिक संख्या है, हम आतंक की राजनीति नहीं कर सकते। चलिए हम लोगों को सीएए को फायदों को बारे में बताएं।' बता दें सीएए को लेकर देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन जारी हैं। दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में प्रदर्शन को एक महीने से भी अधिक समय हो चुका है।
क्या है कानून?
गौरतलब है कि सीएए यानी नागरिकता संशोधन कानून बीते साल दिसंबर माह में आया था। इससे पहले इसके बिल को संसद के दोनों सदनों में बहुमत से मंजूरी भी मिली थी। इस कानून के तहत तीन देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से उत्पीड़न का शिकार छह गैर मुस्लिम समुदाय (हिंदू, पारसी, सिख, जैन, बौद्ध और ईसाई) के लोग छह साल भारत में रहने के बाद यहां की नागरिकता हासिल कर सकते हैं।
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