निर्भया केस: जल्लाद बनने की इच्छा जाहिर करने वाली इस महिला ने अब स्मृति ईरानी से की ये मांग
नई दिल्ली। निर्भया गैंगरेप के चारों दोषियों के खिलाफ कोर्ट से डेथ वारंट जारी होने के बाद उनको फांसी पर लटकाए जाने की तैयारिया जेल में शुरू हो चुकी है। फांसी की सजा से बचने के लिए दोषियों ने सभी कानूनी हथकंडे अपना लिए अब उनको फांसी पर चढ़ने से सिर्फ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ही बचा सकते हैं। हालांकि ऐसा होने की भी आशंका कम है क्योंकि निर्भया गैंगरेप के बाद से ही देश में आक्रोश है और ऐसे मामलों में राष्ट्रपति का दया मिलने का अवसर बहुत कम है। इसी बीच महिला समाजिक कार्यकर्ता और 'परी' एनजीओ की संस्थापक योगिता भयाना एक बार फिर चर्चा में हैं।
स्मृति ईरानी को लिखा पत्र
दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी होने से पहले योगिता भयाना ने दिल्ली के राज्यपाल को पत्र लिखा था जिसके बाद वह चर्चा में आ गई थीं। योगिता ने राज्यपाल से दोषियों को फांसी देने के लिए उन्हे जल्लाद के रूप में नियुक्त किए जाने की मांग की थी। एक बार फिर अब योगिता भयाना केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को पत्र लिखा है लेकिन उन्होंने ने इस बार जल्लाद बनने की इच्छा नहीं जाहिर की है।
'बलात्कार रोकथाम दिवस' के रूप में हो घोषित
बता दें कि महिला समाजिक कार्यकर्ता योगिता भयाना रेप पीड़िताओं को समाज में सम्मानजनक जीवन जीने में मदद करती हैं। वह भी निर्भया गैंगरेप के दोषियों को फांसी पर लटकाए जाने की मांग करती आई हैं। गुरुवार को उन्होंने इसी सिलसिले में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को एक पत्र लिखा। उन्होंने स्मृति ईरानी से मांग की है कि 2012 के दिल्ली गैंगरेप मामले के दोषियों को फांसी की सजा के दिन को 'बलात्कार रोकथाम दिवस' के रूप में घोषित किया जाए।
जल्लाद बनने की जताई थी इच्छा
सामाजिक कार्यकर्ता योगिता भयाना ने निर्भया के दोषियों को फांसी देने के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल को चिट्ठी लिखी थी। योगिता भयाना ने ट्वीट करते हुए लिखा है, 'मैं इन दरिंदों को खुद फांसी देने के लिए बिना किसी भय और बिना किसी शर्त के तैयार हूं। सिर्फ एक जल्लाद ना होने की वजह से निर्भया के दोषियों की फांसी पर लटकाने में देर नहीं होनी चाहिए। दिल्ली के उपराज्यपाल मुझे मौका दें। उन हैवानों को फांसी देने के लिए मैं तैयार हूं। निर्भया के न्याय के लिए लड़ने वाली मेरी लंबी लड़ाई का यह सुखद अंत होगा।'
Yogita Bhayana, Founder of NGO PARI ((People Against Rapes in India)) writes a letter to Union Minister Smriti Irani, demanding to declare the day of execution of convicts of 2012 Delhi gang-rape case as the 'Rape Prevention Day'.
— ANI (@ANI) January 16, 2020
दोषी मुकेश को हाई कोर्ट से राहत नहीं
दोषी मुकेश ने फांसी टालने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी, लेकिन बुधवार को हाईकोर्ट ने इस पर राहत नहीं दी थी और निचली अदालत जाने को कहा था, हालांकि हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने साफ कर दिया था कि अगर एक बार राष्ट्रपति दया याचिका खारिज भी कर देते हैं उसके बाद भी मौत की सजा पा चुके दोषी को 14 दिन का वक्त दिया जाता है और इसलिए 22 जनवरी को फांसी दिया जाना कानूनी तौर पर मुमकिन नहीं है।
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