यूपी में OBC वर्ग को आरक्षण देने का नया फॉर्मूला लाने की तैयारी में योगी सरकार, यादव-कुर्मी पर पड़ेगा असर
लखनऊ। आगामी लोकसभा चुनाव में अब कुछ ही महीने का समय शेष बचा है, ऐसे में तमाम राजनीतिक दल मतदाताओं को लुभाने के लिए अलग-अलग योजनाएं और वायदे लेकर लोगों के सामने आ रहे हैं। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने भी प्रदेश की उपजातियों को अपने पक्ष में करने का कदम उठाया है। योगी सरकार द्वारा गठित पैनल ने ओबीसी वर्ग में शामिल तमाम उपजातियों का वर्गीकरण करने का सुझाव दिया है। पैनल का कहना है कि ओबीसी जाति को मिलने वाले 27 फीसदी आरक्षण में यादव और कुर्मी को सिर्फ 7 फीसदी ही आरक्षण मिलना चाहिए।
काफी प्रभावी हैं
योगी सरकार द्वारा इस मामले को लेकर गठित पैनल ने सुझाव दिया है कि ये दोनों जातियां ना सिर्फ सांस्कृतिक तौर पर बल्कि आर्थिक और राजनीतिक तौर पर भी प्रभावी हैं। यादव वोट बैंक जहां सपा का मुख्य मतादाता है तो वहीं कुर्मी मुख्य रूप से भाजपा और अपना दल को वोट देते हैं। पैनल ने सुझाव दिया है कि यादव, कुर्मी, चौरसिया और पटेल को ओबीसी वर्ग को मिलने वाले 27 फीसदी आरक्षण में से सिर्फ 7 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए।
अलग-अलग वर्गीकरण
वहीं गुज्जर, लोध, कुशवाहा, शाख्य, तेली, साहू, सैनी, माली, नाई को 11 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए। जबकि सबसे पिछड़े वर्ग घोषी, कुरैशी, राजभर, बींड, निषाद को 9 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए। आपको बता दें कि प्रदेश में ओबीसी वर्ग में आने वाली कुल 79 जातियां हैं। योगी सरकार द्वारा बनाई गई इस कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस राघवेंद्र कुमार दास ने सभी 79 जातियों का अलग-अलग वर्गीकरण किया है। माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट कोपिछड़ा वर्ग मंत्री ओम प्रकाश राजभर सदन में पेश कर सकते हैं।
कम मिल रहा है रोजगार
इस रिपोर्ट में सबसे अधिक आरक्षण लोध, कुशवाहा, तेली को दिया गया है। उन्हें 11 फीसदी आरक्षण दिए जाने का सुझाव दिया गया है। 400 पन्नों की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि रोजगार के अवसर ओबीसी जाति की कुल आबादी का आधा भी नहीं है। इस श्रेणी में जिस वर्ग को सबसे अधिक मौके और आरक्षण मिल रहे हैं वह मिडल क्लास के रूप में उभरकर सामने आए हैं। सबसे पिछड़े राजभर, घोषी, कुरैशी को 9 फीसदी आरक्षण दिए जाने का सुझाव दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार इस समुदाय के लोग तृतीय श्रेणी या चतुर्थ श्रेणी का काम कर रहे हैं या फिर बेरोजगार हैं।
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