यूपी में 12 नहीं, 8 घंटे की काम करेंगे श्रमिक, योगी सरकार ने वापस लिया आदेश
नई दिल्ली। देशव्यापी लॉकडाउन के बीच चौतरफा विवाद और हाईकोर्ट की नोटिस के बाद योगी सरकार ने 'श्रमिकों के 12 घंटे काम वाले' आदेश (अधिसूचना) को एक सप्ताह बाद ही निरस्त कर दिया है। योगी सरकार द्वारा फैक्ट्री ऐक्ट में किए गए इस संशोधन की अधिसूचना को वापस लेने से मजदूर वर्ग में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है। अब प्रदेश में फिर से श्रमिकों के काम करने की अवधि अधिकतम 8 घंटे हो गई है। बता दें कि इस मामले में हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी जिसके बाद कोर्ट ने योगी सरकार के खिलाफ एक नोटिस भी जारी किया है।
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प्राप्त जानकारी के मुताबिक हाई कोर्ट में अगली सुनवाई 18 मई को होगी लेकिन उससे पहले ही राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अपने आदेश को वापस ले लिया है। संशोधन की अधिसूचना को खत्म किए जाने की जानकारी प्रमुख सचिव (श्रम) सुरेश चंद्रा ने शुक्रवार को पत्र के जरिए इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य स्थायी अधिवक्ता को दे दी है। लेटर में लिखा है कि 8 मई को इस संबंध में जारी अधिसूचना को 15 मई, 2020 को निरस्त कर दिया गया है।
बता दें कि 8 मई को राज्य के श्रम विभाग की ओर से जारी अधिसूचना में रजिस्टर्ड कारखानों में श्रमिकों के काम करने के घंटे बढ़ा दिए गए थे। नए आदेश में कहा गया था कि कारखानों में युवा श्रमिकों से एक कार्य दिवस में अधिकतम 12 घंटे और सप्ताह में 72 घंटे से अधिक काम नहीं लिया जाएगा। इस आदेश को लेकर सीएम योगी को विपक्ष के हमलों का भी सामना करना पड़ा। अब जब कि संशोधन निरस्त हो गया है तो युवा मजदूर पहले की तरह दिन में अधिकमत आठ घंटे और सप्ताह में 48 घंटे ही काम करेंगे।
38
श्रम
नियम
तीन
साल
के
लिए
निलंबित
सीएम
योगी
आदित्यनाथ
की
अध्यक्षता
में
बुधवार
को
हुई
मीटिंग
में
'उत्तर
प्रदेश
में
कुछ
श्रम
कानूनों
से
अस्थायी
छूट
का
अध्यादेश,
2020'
को
पारित
किया
गया
था।
इसके
तहत
प्रदेश
में
उद्योग,
कारखानों
और
व्यापारिक
प्रतिष्ठानों
के
लिए
38
श्रम
नियमों
में
हजार
दिवस
यानी
तीन
वर्ष
तक
के
लिए
अस्थाई
छूट
प्रदान
की
गई
है।
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