जो यूपी में बतौर सीएम ना राजनाथ कर पाए ना कल्याण सिंह, 19 मार्च को वो योगी करेंगे
नई दिल्ली- उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार अपनी तीसरी वर्षगांठ मनाने की तैयारी कर रही है। लेकिन, इन वर्षों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने पूर्ववर्ती भाजपा के मुख्यमंत्रियों को भी पीछे छोड़ दिया है। क्योंकि, वो उत्तर प्रदेश में एक कार्यकाल में सबसे ज्यादा दिन तक मुख्यमंत्री रहने वाले बीजेपी नेता बन गए हैं। कल्याण सिंह दो-दो बार यूपी के सीएम रहे, लेकिन यह मौका उन्हें नहीं मिल पाया। जबकि, योगी आदित्यनाथ का तो अभी दो साल का कार्यकाल बचा ही हुआ है। 2017 में भाजपा यूपी में भारी बहुत से 15 वर्षों के वनवास के बाद सत्ता में वापस लौटी थी।
योगी ने कल्याण सिंह-राजनाथ को पीछे छोड़ा
आने वाले 19 मार्च को यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार अपना तीसरा साल पूरा करने जा रही है। इस दौरान उनकी अगुवाई में भाजपा सरकार ने एक नया कीर्तिमान स्थापित कर लिया है। भाजपा का कोई भी मुख्यमंत्री आजतक यूपी में योगी आदित्यनाथ से ज्यादा समय तक एक कार्यकाल में मुख्यमंत्री नहीं रहा है। उन्होंने कार्यकाल में कभी यूपी बीजेपी के सबसे दिग्गज नेता रहे कल्याण सिंह को भी पीछे छोड़ दिया है। कल्याण सिंह के अलावा मौजूदा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राम प्रकाश गुप्त भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं, लेकिन उनमें से किसी ने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया था। उत्तर प्रदेश में भाजपा के पास अपार बहुमत है, इसलिए पूरी संभावना है कि बतौर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने पांच साल का कार्यकाल भी पूरा करेंगे। लेकिन, उससे पहले ये जान लेना दिलचस्प है कि योगी से पहले के मुख्यमंत्रियों को कितने समय तक सीएम की कुर्सी पर बैठने का मौका मिला।
सबसे कम समय तक सीएम रहे थे राजनाथ
उत्तर प्रदेश में भाजपा की सबसे पहली सरकार 1991 में बनी थी और मुख्यमंत्री कल्याण सिंह बने थे। लेकिन, 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी ढांचा गिरा दी गई और केंद्र की तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार ने उनकी सरकार बर्खास्त कर दी। इस दौरान वे सिर्फ 1 साल और 165 दिनों तक ही मुख्यमंत्री रह पाए। प्रदेश में दूसरी बार 1997 में भाजपा की सरकार बनी और कल्याण सिंह को दोबारा सीएम बनने का मौका मिला। राजनीतिक वजहों से उस समय कल्याण सिंह के पार्टी के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी से मतभेद शुरू हो गए। आखिरकार दूसरी बार भी 2 साल और 52 दिन तक मुख्यमंत्री रहने के बाद उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ गई। उनके बाद राम प्रकाश गुप्ता को मौका मिला और वे 12 नवंबर, 1999 से 28 अक्टूबर, 2000 तक यानि सिर्फ 351 दिन ही मुख्यमंत्री रहे और पहली वर्षगांठ भी नहीं मना पाए। गुप्ता के बाद सीएम पद की कमान राजनाथ सिंह को मिली, लेकिन उनके नेतृत्व में पार्टी ने प्रदेश की सत्ता ही गंवा दी। उन्हें सिर्फ 131 दिनों तक सीएम बनने का मौका मिला।
मोदी-शाह की पसंद से सीएम बने थे योगी
तीन साल पहले की ओर नजर घुमाएं तो उस समय महज गोरखपुर से पार्टी सांसद रहे योगी आदित्यनाथ जिस तरह से मुख्यमंत्री पद के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की पहली पसंद बने थे तो वह मीडिया के लिए भी किसी बड़े सरप्राइज से कम नहीं था। आरएसएस की वजह से यूपी सीएम पद की रेस में तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह का नाम सबसे आगे चल रहा था। पीएम मोदी की पसंद बताकर तत्कालीन रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा का नाम भी खूब उछाला जा रहा था। जातीय समीकरणों की वजह से केशव प्रसाद मौर्य का नाम भी सुर्खियों में था। लेकिन, मोदी-शाह ने अत्तर प्रदेश के चुनावों में समाज के हर वर्ग के वोटरों में प्रभाव डालने वाले पार्टी के स्टार कैंपेनर योगी आदित्यनाथ के नाम पर ही मुहर लगाने का फैसला किया। जाहिर है कि अगर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया तो उनके मन में उनको लेकर काफी सारी बातें रही होंगी।
जब अमित शाह की नजरों में आए थे योगी
आज की स्थिति ये है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मोदी-शाह का भरोसा कायम रखा है। यही वजह है कि आज भी दोनों नेताओं का उनके सिर पर राजनीतिक आशीर्वाद कायम है और वे यूपी में लगातार सबसे ज्यादा वक्त तक मुख्यमंत्री रहने वाले भाजपा के नेता बन चुके हैं। कहते हैं कि अमित शाह की नजर में योगी तभी छा गए थे, जब 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हें कुछ वक्त गोरखपुर में उनके मठ में बिताने का मौका मिला था। उस दौरान योगी की साफगोई, उनका साधारण रहन-सहन और बहुत ही अनुशासन वाली लाइफस्टाइल ने तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष को बहुत प्रभावित किया था।
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