योगी जी, 9000 और होमगार्ड की नौकरी पर भी मंडरा रहा है खतरा!
बेंगलुरू। योगी सरकार ने पुलिस सेवा से निकाले गए 25000 होमगार्ड को समायोजित करने का आश्वासन जरूर दिया है, लेकिन सवाल उठ रहा है कि योगी सरकार आखिर उनका समायोजन कहां करने जा रही है। होम गार्ड्स की तैनाती पुलिस सेवा से हटाने के पीछे सुप्रीम कोर्ट का वह निर्णय माना जा रहा है, जिसमें दिए एक आदेश के बाद योगी सरकार को होमगार्ड को हटाने का फैसला लेना पड़ा था। कोर्ट के फैसले के बाद पुलिस सेवा से निकाले गए 25000 होमगार्ड के बाद 9000 और होमगार्ड पर गाज गिरना तय माना जा रहा है, जो अभी सार्वजनिक प्रतिष्ठानों पर ड्यूटी कर रहे हैं।
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गत 28 अगस्त को हुई बैठक में ही पुलिस महकमे ने होमगार्ड की सेवा को पुलिस विभाग से समाप्त करने का निर्णय ले लिया गया था और बीते शुक्रवार को पुलिस मुख्यालय प्रयागराज की ओर से आदेश जारीकर होम गार्ड की तैनाती को तत्काल प्रभाव से समाप्त करने की घोषणा कर दी गई है। होमगार्ड की पुलिस सेवा में तैनाती समाप्त करने का आदेश एडीजी पुलिस मुख्यालय बीपी जोगदंड द्वारा जारी कर दिया। यूपी पुलिस महकमे 25000 होमगार्ड की ड्यूटी पुलिस विभाग में दृष्टिगत रिक्तियों के सापेक्ष लगाई गई थी।
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दरअसल, होमगार्ड के बेरोजगारी का स्यापा हाईकोर्ट के उस आदेश पर शुरू हुआ है, जिसके तहत प्रदेश के होम गार्ड्स के एक दिन की ड्यूटी 500 रुपए से बढ़ाकर 672 रुपए कर दी गई है। पुलिस सेवा में तैनात 25000 होम गार्ड्स के वेतन में कोर्ट के निर्देश के बाद 172 रुपए की वृद्धि के बाद पुलिस विभाग ने पुलिस सेवा में तैनात 25 हजार होमगार्ड की सेवा लेना से मना कर दिया, जिससे 25000 होमगार्ड पर बेरोजगारी का संकट गहरा गया। क्योंकि होमगार्ड के सैलरी में 172 रुपए की वृद्धि से पुलिस महकमे का बजट गड़बड़ा गया, जिसको देखते हुए पुलिस महकमे ने होमगार्ड की सेवा लेने से मना कर दिया।
गौरतलब है सिपाही के बराबर होमगार्ड को सैलरी देने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद होमगार्ड पर बेरोजगारी का संकट गहराया है वरना 500 रुपए प्रतिदिन से हिसाब से 25 दिन की तैनाती में होमगार्ड आराम से 12, 500 रुपए का वेतन पा रहे थे, लेकिन अब 25 हजार होमगार्ड की ड्यूटी खत्म होने के बाद यूपी में मौजूद 99,000 शेष होम गार्ड्स की सैलरी पर भी गाज गिरनी तय है। क्योंकि रोटेशन के हिसाब से अब सभी को 15-15 दिन की सैलरी मिलेगी। यानी जो होमगार्ड ने पहले 25 दिन की ड्यूटी में 12500 रुपए माह में कमाता था, लेकिन अब 15 दिन की ड्यूटी में बढ़े वेतन 672 रुपए प्रतिदिन की दिहाड़ी में महज 10080 रुपए ही कमा पाएगा।
राज्य गृह विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो पाएंगे कि यूपी में होमगार्ड के पद की संख्या करीब 1 लाख 18 हजार है, जिसमें से 19000 पद अभी भी रिक्त पड़े हैं। रिकॉर्ड के मुताबिक पिछले माह कुल 92000 होमगार्ड की ड्यूटी लगाई गई थी जबकि होमगार्ड की संख्या कुल प्रदेश में 99000 है। 25000 होमगार्ड के बेरोजगार होने से 32000 होम गार्ड्स बिना ड्यूटी के रह जाएंगे।
इस हिसाब से प्रत्येक होमगार्ड को 25 दिन की ड्यूटी रोटेशन के आधार पर दी जाती है, लेकिन पुलिस महकमे द्वारा 25000 होमगार्ड की सेवा नहीं लिए जाने की घोषणा के बाद अब एक-एक होम गार्ड्स को माह में महज 15 दिन की ड्यूटी मिल सकेगी। इससे होमगार्ड की कमाई पहले की तुलना में 2, 420 रुपए कम हो जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सार्वजनिक प्रतिष्ठानों में तैनात किए गए होमगार्ड की ड्यूटी पर भी खतरा आसन्न है, क्योंकि सार्वजिनक प्रतिष्ठानों की देखरेख करने वाली संस्था भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा बढ़ाए गए 672 रुपए प्रतिदिन वेतन का बहाना कर वहां से भी होमगार्ड को हटाने का फैसला ले सकती है और वहां पर निजी गार्ड्स की तैनाती कर सकती है, क्योंकि 500 रुपए प्रतिदिन की दिहाड़ी में मार्केट में निजी गार्ड सहज रूप से उपलब्ध हैं, फिर क्यों कोई संस्था 172 रुपए का अतिरिक्त बोझ उठाएगी। उदाहरण पुलिस महकमे का लिया जा सकता है, जिसने एक झटके में बजट का बहाना करके 25000 होम गार्ड्स को रास्ते पर ला दिया।
इससे पहले सार्वजनिक प्रतिष्ठानों पर निजी गार्ड्स ही तैनात किए गए थे, जिन्हें पूर्व में हटाकर उनकी जगह पर होम गार्ड्स को तैनाती दी गई थी। अगर ऐसा हुआ तो 9000 और होमगार्ड बेरोजगार हो जाएंगे, जिससे ऐसे होम गार्ड्स की संख्या 39000 पहुंच जाएगी जो बिना ड्यूटी के होंगे। ऐसा होता है तो रोटेशन के अनुसार एक होम गार्ड्स को माह में महज 10-12 दिन की ड्यूटी मिल पाएगी, जिससे प्रतिमाह उन्हें 7-8 हजार की सैलरी पर गुजारा पड़ जाएगा।
उल्लेखनीय है पुलिस महकमें में तैनात ज्यादात होमगार्ड को शहर के ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में लगाया गया था, लेकिन पुलिस महकमे द्वारा होम गार्ड्स की सेवा लेने से इनकार के बाद शहर की ट्रैफिक व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ना स्वाभाविक है। संभव है कि पुलिस महकमा हाल-फिलहाल में सिपाहियों की तैनाती करके अपने फैसलों को न्यायोचित दिखाने की कोशिश करेगी। इसके अलावा वह ट्रैफिक सिग्नल्स पर वोलेंटियर्स की भी मदद ले सकती है, लेकिन भविष्य में पुलिस महकमे के लिए उसका यह फैसला टेढ़ी खीर साबित हो सकती है।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि योगी सरकार होम गार्ड्स की तैनाती, वेतन, बेरोजगारी और उनके समायोजन के लिए क्या करने जा रही है। क्योंकि कोर्ट के आदेश के अनुसार 672 रुपए प्रतिदिन की दिहाड़ी के साथ होमगार्ड की पुलिस महकमें में पुनर्वापसी तभी हो सकती है जब योगी सरकार अगले बजट सत्र में ही होमगार्ड के बढ़े हुए वेतनमान के बजट आवंटन कर सकती है और तब तक 25000 ही नहीं, कुल 99000 होमगार्ड को कम सैलरी में ही गुजारा करना पड़ सकता है।
प्रमुख सचिव होमगार्ड अनिल कुमार के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एक दिन की ड्यूटी के बदले 672 रुपए देने से मौजूदा बजट पर असर पड़ा है और नया बजट अगले सत्र में ही मिलेगा तब थोड़ी समस्या रहेगी। हालांकि होमगार्ड मंत्री चेतन चौहान ने सब कुछ ठीक हो जाने का हवाला देते हुए कहा है कि दीवाली से पूर्व बेरोजगार हुए होम गार्ड्स को आश्वसन दिया है कि किसी को भी नौकरी से नहीं हटाया जाएगा, क्योंकि अभी तक कोई औपचारिक निर्णय नहीं लिया गया है।
Home guards Minister Chetan Chauhan on UP Govt's reported decision to terminate service of 25,000 home guards: We have not received any official letter from the home department. I assure that no one will be removed from their jobs. No formal decision has been taken. (15.10) pic.twitter.com/yrmSpPnCZw
— ANI UP (@ANINewsUP) October 16, 2019
बकौल चेतन चौहान, हमें गृह विभाग से कोई आधिकारिक पत्र नहीं मिला है, मैं विश्वास दिलाता हूं कि किसी को भी नौकरी से नहीं हटाया जाएगा। सभी अपनी दीपावली अच्छी तरह मनाएं। मुझे लगता है कि होमगार्ड का मानदेय बढ़ने की वजह से कुछ बड़ा बजट जरूर गड़बड़ हुआ है, लेकिन इसके लिए किसी होमगार्ड को निकाला नहीं जाएगा।
होमगार्ड मंत्री चौहान के मुताबिक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बेहद संवेदनशील हैं और जरूर होमगार्ड के पक्ष में कोई रास्ता निकलेगा। उन्होंने कहा कि इस मामले पर विभागीय बैठक में विचार-विमर्श किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पुलिस विभाग को होमगार्ड की आवश्यकता है। होमगार्ड विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक बुलाई है। यह सकारात्मक ढंग से चलती है और किसी की नौकरी लेने वाली नहीं है।
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