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हां, मैंने नरेंद्र मोदी का समर्थन किया था: यशवंत सिन्हा

अटल सरकार में मंत्री रहे सिन्हा ने बताया कि वो नरेंद्र मोदी और अरुण जेटली से क्यों ख़फ़ा हैं.

By BBC News हिन्दी
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नरेंद्र मोदी और यशवंत सिन्हा
AFP/Getty Images
नरेंद्र मोदी और यशवंत सिन्हा

भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा का कहना है कि साल 2014 के चुनावों से पहले भाजपा की तरफ़ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में उन्होंने सबसे पहले नरेंद्र मोदी का समर्थन किया था लेकिन अब वक़्त बदल चुका है.

सिन्हा इन दिनों बाग़ी तेवर अपनाए हुए हैं और मोदी सरकार पर लगातार हमले कर रहे हैं. दिलचस्प ये है कि न तो वो भाजपा छोड़ रहे हैं और न ही उनके विवादित बयानों के बाद पार्टी ने उन्हें निकाला है.

बीबीसी हिन्दी से ख़ास बातचीत में उन्होंने कहा, ''हां, मैंने ही भाजपा के पीएम उम्मीदवार के रूप में मोदी का समर्थन किया था. ये भी कहा था कि अगर ऐसा किया गया तो हम ज़ोरदार जीत दर्ज करेंगे.''

''बाद में दूसरे नेताओं ने भी यही बात कही और उन्हें पीएम उम्मीदवार बनाया भी गया. ऐसा ही हुआ, हम जीते भी. और तो और उस समय मेनिफ़ेस्टो बनाने में मैं शामिल रहा था और मोदी ने बतौर पीएम उम्मीदवार और पद संभालने के बाद मेनिफ़ेस्टो को गौर से देखा भी था.''

'वादे पूरे न होने से दुखी हूं'

नरेंद्र मोदी और यशवंत सिन्हा
Getty Images
नरेंद्र मोदी और यशवंत सिन्हा

सिन्हा ने कहा, ''हमने बहुत सारे वादे किए थे. और अब जब पीछे मुड़कर देखता हूं तो व्यक्तिगत रूप से दुख होता है क्योंकि इनमें से कई वादे हम पूरे नहीं कर पाए हैं.''

लेकिन जिन नरेंद्र मोदी पर वो आज लगातार हमले कर रहे हैं, उनमें ऐसा क्या था जो सिन्हा ने उनका समर्थन किया था, ''उस वक़्त उनकी लोकप्रियता चरम पर थी. जहां जाते थे लोग यही कहते थे कि उन्हें आगे बढ़ाएंगे तो लाभ होगा.''

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''हमने उनकी शोहरत देखी थी, महसूस की थी लेकिन अब बड़े दुख के साथ ये कहना पड़ रहा है कि बीते चार साल में हम वो नहीं कर पाए, जो ठान कर आए थे.''

आलोचकों का कहना है कि सिन्हा इसलिए नाराज़ हैं क्योंकि उन्हें पद चाहिए था जो उन्हें नहीं दिया गया.

'ये व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है'

नरेंद्र मोदी और यशवंत सिन्हा
AFP
नरेंद्र मोदी और यशवंत सिन्हा

लेकिन उनका कहना है कि जिसे जितनी समझ है, वो वैसी ही बात कर सकता है. आरोप लगाने वाले लोग इसे व्यक्तिगत लड़ाई बनाकर दिखाना चाहते हैं लेकिन ऐसा कुछ है नहीं.

उन्होंने कहा, ''हक़ीक़त ये है कि मैंने ख़ुद पद छोड़ा था. लोग ये भी कहते हैं कि मुझे मार्गदर्शक मंडल का सदस्य बना दिया गया. सच ये है कि मैं मार्गदर्शक मंडल का सदस्य नहीं हूं.''

''मुझे साल 2014 में मुझे ड्रॉप नहीं किया गया था और मैंने ज़ोर देकर कहा था कि मैं चुनाव नहीं लड़ना चाहता. लेकिन किसी को ये बात समझ नहीं आती. मुझ पर लड़ने का दबाव चुनाव लड़ना था. लेकिन मैंने कहा नहीं लड़ूंगा.''

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सिन्हा इस आरोप से भी ख़फ़ा हैं कि जो मुद्दे वो उठा रहे हैं, उन पर ध्यान देने के बजाय लोग उन्हें लालची ठहरा रहे हैं. उन्होंने कहा, ''लोग कहते हैं कि बेटे (जयंत सिन्हा) के साथ इन्हें भी मिल जाता तो ठीक रहता.''

'मंच नहीं मिला, इसलिए बोला'

नरेंद्र मोदी और यशवंत सिन्हा
AFP
नरेंद्र मोदी और यशवंत सिन्हा

''मैं जब चुनाव ही नहीं लड़ा, संसद में नहीं हूं तो कैसे मिल जाएगा पद? पद न जब चाहिए था, न अब चाहिए. मैं कुछ चीज़ें समझता हूं और राय रखता हूं. मैंने पीएम को पत्र भी लिखा, मंत्रियों से भी मिला.''

''लेकिन तीन साल बीतने के बाद जब लगा कि कुछ गलत हो रहा है और इसका असर गलत पड़ सकता है तो मैं सामने आकर बोला. पार्टी का मंच उपलब्ध नहीं था, इसलिए खुले तौर पर बोलना पड़ा.''

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लेकिन क्या ये सच नहीं है कि सभी बातों के बावजूद उन्हें भाजपा ने साइडलाइन कर दिया है? इसका जवाब उन्होंने दिया, ''मेरी किसी से कोई लड़ाई नहीं है. ये सच हो सकता है कि मेरी बातों से पार्टी या उसके नेताओं को कोई फ़र्क न पड़ता हो. लेकिन ये उनका फ़ैसला है.''

''लेकिन जनता को फ़र्क पड़ता होगा, किसानों को पड़ता होगा. इससे मैं इन बातों से विचलित नहीं होता. साइडलाइन का दूसरा अर्थ होता है कि इन्हें कुछ नहीं मिला, किनारे कर दिया गया. ये सच नहीं है क्योंकि मैं ख़ुद किनारे हुआ हूं.''

'जेटली ने गलती की'

आपने बजट और अरुण जेटली की इतनी आलोचना क्यों की, ''जेटली ने जो इल्ज़ाम लगाए हैं मैं उनका जवाब दे चुका हूं. मैंने एक बात कही थी कि बजट भाषण की छपाई में गलती हुई है.''

''इस भाषण में ease of living के बजाय ease of leaving छपा है. पूरा सिस्टम होता है इसकी जांच के लिए लेकिन किसी की पकड़ में ये गलती नहीं आई. यह लापरवाह दिखाता है.''

''आपको पता है कि एक वित्त मंत्री कितनी बार बजट भाषण पढ़ता होगा? लेकिन मेरी इस लड़ाई को व्यक्तिगत बनाने की कोशिश हो रही है. मैंने व्यक्तिगत आरोप लगाने शुरू किए तो जेटली के लिए काफ़ी मुश्किल हो जाएगी.''

सिन्हा ने कहा कि उन्हें इस बात की चिंता है कि अर्थव्यवस्था में गिरावट का दौर जारी है. चार साल पहले ये 8 फ़ीसदी पर थी, इस साल 6.5 फ़ीसदी या उससे भी कम पर रह सकती है.

उन्होंने कहा, ''रोज़गार और पूंजी निवेश, दोनों नहीं होंगे तो ग्रोथ कहां से आएगी. ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों का हाल काफ़ी बुरा है. युवाओं की हालत ठीक नहीं है. छोटे उद्योग-धंधे में जो लगे थे, उन्हें नोटबंदी-जीएसटी से धक्का लगा था. असंतोष गहरा रहा है.''

'बाप-बेटे की राय अलग हो सकती है'

नरेंद्र मोदी और यशवंत सिन्हा
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नरेंद्र मोदी और यशवंत सिन्हा

कुछ दिन पहले यशवंत सिन्हा ने अख़बार में लेख लिखकर मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की काफ़ी आलोचना की थी. इसके बाद भाजपा सरकार में मंत्री और उनके बेटे जयंत सिन्हा ने अगले रोज़ लेख से इसका जवाब दिया.

इस पर यशवंत सिन्हा ने कहा, ''मैं और मेरे बेटे अकेले नहीं हैं राजनीति में, जिनके विचार भिन्न हों. यशवंत और जयंत, दोनों की राय और समझ अलग-अलग हो सकती है. ज़रूरी नहीं कि दोनों की सोच एक हो.''

क्या घर में बेटे से इस मुद्दे पर बात होती है, यशवंत सिन्हा ने जवाब दिया, ''घर में क्या बात होती है, ये सार्वजनिक रूप से बताया नहीं जाता. हमारे यहां राजनीति पर बात नहीं होती. लेखों पर भी बात नहीं हुई. हम पारिवारिक रिश्तों में टकराव नहीं चाहते, इसलिए राजनीति पर बात नहीं करती.''

विदेश नीति को लेकर भी यशवंत सिन्हा ने मोदी सरकार की आलोचना की. उन्होंने कहा, ''लोग कहते हैं कि मोदी ने पर्सनल रेपो के आधार पर कई देशों में असर छोड़ा है. लेकिन विदेश नीति में व्यक्तिगत तालमेल का काफ़ी सीमित असर रहता है.''

'विदेश घूमने से नीति नहीं आगे बढ़ती'

''ऐसा कहा गया था कि मोदी जी की पर्सनल रेपो थी बराक ओबामा के साथ, लेकिन वो आज बदल चुके हैं. सिर्फ़ देशों में भ्रमण करने से विदेश नीति बढ़ गई, ये ज़रूरी नहीं है. संचार तकनीकें ऐसी हैं कि बात करना बेहद आसान है.''

''चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अहमदाबाद आए थे लेकिन चीन के व्यवहार में कोई फ़र्क पड़ा? पाकिस्तान के साथ भी यही दिक्कत है. दूसरे पड़ोसी देश देख लीजिए. श्रीलंका में क्या हुआ था? मालदीव में देखिए.''

इतना कुछ हो जाने के बावजूद वो पार्टी क्यों नहीं छोड़ रहे? उन्होंने कहा, ''क्यों दूं? पार्टी अपना बताएगी कि वो कार्रवाई क्यों नहीं कर रही लेकिन मैं पार्टी नहीं छोड़ने वाला. पार्टी ने मुझे बहुत कुछ दिया है और मैंने उसे बहुत कुछ दिया है.''

''इसलिए पार्टी छोड़ दूं कि अरुण जेटली वित्त मंत्री हैं और अमित शाह पार्टी अध्यक्ष हैं. ऐसा नहीं होने वाला.''

BBC Hindi
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English summary
Yes I had supported Narendra Modi Yashwant Sinha
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