WELCOME 2018: इस साल इसरो के मिशन पर रहेंगी निगाहें, चंद्रयान-2 पहुंचेगा चांद पर
नई दिल्ली। आने वाले साल 2018 में देश को अंतरिक्ष के क्षेत्र में बड़ी कामयाबी की उम्मीद है। इसरो काफी समय से चांद पर भेजे जाने वाले अपने अगले मिशन चंद्रयान 2 की तैयारियां कर रहा है। 2018 में मार्च तक इसरो के चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण की उम्मीद है। चांद पर भेजे जाने वाला चंद्रयान-2 भारत का दूसरा मिशन है जो नौ साल पहले चांद पर भेजे गए चंद्रयान-1 मिशन का ही संस्करण है। यह अंतरिक्षयान ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर का संयोजित मॉडल है। इस मिशन को लॉन्च करने के लिए जिओसिंक्रोनस सेटेलाइट लॉन्च वाहन (GSLV एमके II) का इस्तमाल किया जाएगा।
खास है चंद्रयान-2, रोवर के साथ सॉफ्ट लैंडर भी
चंद्रयान-2 पर काफी मेहनत वैज्ञानिकों ने की है। चंद्रयान-1 के मुकाबले चंद्रयान-2 में रोवर के साथ सॉफ्ट लैंडर भी होगा जो चांद की सतह पर अगले स्तर के वैज्ञानिक अध्ययन करेगा। चांद पर लैंडर के उतरने के बाद रोवर बाहर आएगा और रेडियो संपर्क के जरिए इन अवलोकनों की जानकारी मिलेगी। खास बात ये है कि ये पूरी तरह से भारत का अपना मिशन है, इसमें किसी और का सहयोग नहीं लिया गया है।
मिशन से हैं ये उम्मीदें
इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-2 के तहत लैंडर चंद्रमा के एक विशिष्ट जगह पर रोवर को तैनात करेगा, जिससे चंद्रमा की सतह पर मौजूद खनिज के साथ सतह की भी पूरी जानकारी हासिल की जा सकेगी। अक्टूबर 2008 में लॉन्च किए गए मिशन चंद्रयान-1 से ये मिशन इसलिए भी अलग है क्योंकि उसमें अंतरिक्ष यान का वजन बहुत कम था।
मिशन चंद्रयान-2
चंद्रयान 2 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने तैयार किया है। किया है। इसका पहिएदार रोवर चन्द्रमा की सतह पर चलेगा तथा ऑन-साइट विश्लेषण के लिए मिट्टी या चट्टान के नमूनों को एकत्र करेगा। 2 नवम्बर 2007 को इसरो और रूसी अंतरिक्ष एजेंसी के प्रतिनिधियों ने चंद्रयान-2 परियोजना पर साथ काम करने के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। 18 सितंबर 2008 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में आयोजित केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस अभियान को मंजूरी दी गई थी।
अभियान को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया जाएगा। उड़ान के समय इसका वजन लगभग 3,250 किलो होगा। इस अभियान में करीब 600 करोड़ से ज्यादा रुपए खर्च होंगे।
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