बम धमाकों में सुनाई जा चुकी मौत की सजा, यासीन भटकल तिहाड़ में बना 'कैदियों का लीडर'
नई दिल्ली। आतंक फैलाने के मामले में तिहाड़ जेल में बंद इंडियन मुजाहिदीन का यासीन भटकल जेल में कैदियों को इंडक्शन कुकर के इस्तेमाल की इजाजत दिए जाने के लिए लड़ रहा है। यासीन को बम धमाका करने और आतंक फैलाने के मामले में तीन साल पहले मौत की सजा सुनाई जा चुकी है। उसने तिहाड़ जेल में नए दोस्त बना लिए हैं। बीते हफ्ते उसने कैदियों की कुछ मांगों को लेकर दो दिन तक भूख हड़ताल की, जिसमें कुछ और कैदियों ने भी उसका साथ दिया।
भटकल ने दूसरे कैदियों के साथ की भूख हड़ताल
हिन्दुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक, जेल अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया है कि भटकल और उसके साथ दूसरे कैदी इंडक्शन कुकर का इस्तेमाल करने की इजाजत दिए जाने की मांग करते हुए भूख हड़ताल पर बैठे। इसका अगुवा भटकल ही था।
दरअसल, तिहाड़ जेल प्रशासन ने दिसंबर में कैदियों को दूध और पानी गर्म करने के लिए इंडक्शन कुकर के इस्तेमाल की इजाजत दी थी, बाद में कैदियों से कुकर वापस ले लिए गए। कैदियों को जेल की रसोई में खाना बनाने और लाने की अनुमति नहीं है और जेल प्रशासन को ऐसी शिकायतें मिली थीं कि कैदी खाना भी बना रहे हैं। भटकल और कुछ दूसरे कैदी फिर से कुकर के इस्तेमाल की इजाजत दिए जाने की मांग कर रहे हैं।
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भटकल ने कर ली है दूसरे कैदियों से दोस्ती
जेल अधिकारियों के मुताबिक, भटकल ने जेल में दिल्ली के गैंगस्टर रवि कपूर से दोस्ती कर ली है, जो हत्या का आरोपी है। भूख हड़ताल में रवि कपूर के अलावा इंडियन मुजाहिदीन के असदुल्लाह हादी, पूर्वोत्तर दिल्ली के चीनू गिरोह के कुछ सदस्यों ने भटकल का साथ दिया। दो दिन के लिए उन्होंने भूख हड़ताल की। दो दिन बाद भटकल के साथ बैठे लोगों ने भूख हड़ताल वापस ले ली तो उसने भी हड़ताल खत्म कर दी।
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तीन साल पहले सुनाई जा चुकी फांसी की सजा
इंडियन
मुजाहिदीन
को
यासीन
भटकल
समेत
5
को
NIA
की
विशेष
अदालत
ने
19
दिसंबर
2016
को
फांसी
की
सजा
सुनाई
थी।
कोर्ट
ने
सभी
को
2013
में
हैदराबाद
के
दोहरे
बम
ब्लास्ट
केस
में
दोषी
पाया।
2013
में
हुए
इन
धमाकों
में
18
लोग
मारे
गए
थे।
21
फरवरी,
2013
को
दिलसुखनगर
इलाके
के
कोणार्क
और
वेंकटादिरी
थिएटर
के
बाहर
आईईडी
ब्लास्ट
हुए
थे।
इसके
तीन
साल
बाद
यासीन
को
सितंबर,
2013
में
नेपाल
बॉर्डर
से
गिरफ्तार
किया
गया
था।
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