PLA को शी जिनपिंग ने ही दिए थे लद्दाख में घुसपैठ के आदेश, देखिए चीनी राष्ट्रपति ने कैसे दिया धोखा
नई दिल्ली- पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास गलवान घाटी, पैंगोंग झील के अलावा कई और इलाकों में चीन की गतिविधियां भले ही मई में शुरू हुई हों, लेकिन इसकी योजना काफी पहले बनाई जा चुकी थी और वो भी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के आदेश से। क्योंकि, जिनपिंग ने पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी को इस तरह की लामबंदी का फरमान जनवरी में ही दे दिया था। ये जानकारी भारतीय अधिकारियों ने हालात के पूर्ण आंकलन के बाद दी है। बीते कुछ महीनों में लद्दाख, साउथ चाइना सी, ताइवान या जापानी इलाकों में चीन की ओर से घुसपैठ की जितनी भी घटनाए हुई हैं, उसके पीछे चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी के लीडर शी जिनपिंग के आदेश का ही रोल है।
योजना के मुताबिक पीएलए ने की थी घुसपैठ
मई महीने में अचानक चीन की ओर से एलएसी पर कई इलाकों में अचानक घुसपैठ की कोशिशों को अंजाम देना शुरू किया गया था। द हिंदू में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक मई महीने के मध्य में पीएलए ने लगभग एकसाथ, कई जगहों पर सैकड़ो किलोमीटर की दूरी में लगभग एक ही दिन अपनी गतिविधियां अचानक बढ़ानी शुरू कर दी थी। भारतीय अधिकारियों ने इस मूवमेंट की टाइमिंग को देखकर माना है कि यह एक उच्चस्तरीय योजना और तालमेल के साथ किया गया है। गलवान वैली और पैंगोंग लेक इलाके में पीएलए की जिस तरह से तैनाती बढ़ाई गई थी, उससे लगता है कि उनका इरादा भारत को एलएसी से पीछे धखेलने का था, ताकि चीन एलएसी को अपने मंसूबे के मुताबिक बदल सके। गलवान में दोनों पक्ष जिस अस्थाई बफर जोन के लिए राजी हुए थे, उसके लिए भी चीन ने ही जोर डाला था, जो कि चीन के नए एलएसी के धारणा के आधार पर बनाया गया था, जिससे कि एलएसी करीब 1 किलोमीटर पश्चिम हट गई।
पैंगोंग लेक में भी चीन ने रची वही साजिश
पैंगोंग लेक में भी चीन की ओर से कुछ इसी तरह की साजिश रची गई थी। पेंगोंग लेक इलाके में चीनी सेना भले ही फिंगर 4 से पीछे हटी हो लेकिन वह फिंगर 5 पर अभी डटी हुई है। इससे पहले भारत फिंगर 8 तक गश्त लगाता था। फिंगर 8 से लेकर फिंगर 4 तक की दूरी लगभग 8 किलो मीटर है। बताया जा रहा है कि शी जिनपिंग के आदेश के बाद जनवरी के अंतिम समय और फरवरी की शुरुआत में पीएलए ने लद्दाख की सीमा से सटे शिंजियांग प्रांत में जमावड़ा शुरू किया और कहा गया कि पीएलए युद्धाभ्यास कर रही है।
शी जिनपिंग का कारनामा
दरअसल, पीएलए का ये सारा कारनामा जनवरी के आखिर और फरवरी की शुरुआत में ही शिंजियांग प्रांत में शुरू हो चुका था, जो कि लद्दाख की सीमा के उस पार है। चीन ने पीएलए की इस लामबंदी को ट्रेनिंग के नाम पर रूटीन गतिविधि बताने की कोशिश की थी। लेकिन, इस सबकी जड़ में जिनपिंग का वह आदेश है, जो उन्होंने इस साल जनवरी में तब दिया था, जब चीन ने औपचारिक तौर पर कोरोना वायरस के खतरे से दुनिया को आगाह भी नहीं किया था। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने जिस न्यू ट्रेनिंग मोबिलाइजेशन ऑर्डर (TMO) पर हस्ताक्षर किए थे, उसका मकसद असल युद्ध की स्थिति के लिए युद्धाभ्यास करने और 'उच्च स्तर की तैयारी' रखने के लिए दिया गया था।
2021 तक लागू रहेगा जिनपिंग का टीएमओ
भारतीय अधिकारियों का मानना है कि चीनी राष्ट्रपति के उस आदेश का प्रभाव सिर्फ भारत के खिलाफ नहीं पड़ा, बल्कि उसके दूसरे सैन्य थियेटर कमांड पर भी इसका असर देखने को मिला। मसलन, इसी दौरान जापान, ताइवान और साउथ चाइना सी में भी चीन की वजह से तनाव बढ़ा। अधिकारियों का मानना है कि यह सारा हथकंडा रियल टाइम कॉम्बैट सिचुएशन की तैयारी थी; और ये सब एक साथ कई मोर्चों पर जंग लड़ने की तैयारी परखने के लिए अपनाया गया। एक सरकारी अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, 'वो ये सब परीक्षण और रियल-टाइम वॉर-गेमिंग के लिए कर रहे हैं।' चीन में यह टीएमओ 2021 तक बरकरार रहने वाला है और भारत अब उसी के मुताबिक सीमा पर अपनी तैयारियां कर रहा है।
इसे भी पढ़ें- India-China tension:अब 'ताइवान' के हथियार से चीन को चित करने की तैयारी!