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ईरान में हमलों के पीछे क्या इसराइल का हाथ था? पूर्व मोसाद चीफ़ की बातों से मिलते हैं संकेत

इसराइल की ख़ुफ़िया एजेंसी मोसाद के पूर्व प्रमुख योसी कोहेन ने संकेत दिया कि ईरान के नतांज़ परमाणु संयंत्र पर हुए हमले के पीछे इसराइली ख़ुफ़िया एजेंसी मोसाद का ही हाथ था.

By BBC News हिन्दी
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Uvda
Screencapture/Uvda
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इसराइल की ख़ुफ़िया एजेंसी मोसाद के पूर्व प्रमुख योसी कोहेन ने एक इसराइली टीवी चैनल को दिये इंटरव्यू में ईरान के भीतर मोसाद की गतिविधियों के बारे में कुछ जानकारियाँ दी हैं जिसकी काफ़ी चर्चा हो रही है.

उन्होंने इस इंटरव्यू में ऐसा संकेत दिया कि ईरान के नतांज़ स्थित भूमिगत परमाणु संयंत्रों पर हुए हमले के पीछे इसराइली ख़ुफ़िया एजेंसी मोसाद का ही हाथ था.

अपने इस इंटरव्यू में कोहेन ने ईरान के वैज्ञानिकों को भी चेतावनी दी कि अगर वो परमाणु कार्यक्रम का हिस्सा रहे, तो उन्हें भी निशाना बनाया जा सकता है.

इस साल 11 अप्रैल को ईरान के नतांज़ परमाणु संयंत्र पर हमले के बाद ईरानी अधिकारियों ने कहा था कि हमले में ईरान के सबसे अहम परमाणु केंद्र की हज़ारों मशीनें या तो ख़राब हो गई हैं या बर्बाद हो गई हैं.

ईरान ने इस हमले को 'परमाणु आतंकवाद' बताते हुए इसराइल को इसके लिए ज़िम्मेदार ठहराया था. इसराइल ने अपनी भूमिका की ना ही पुष्टि की है और न ही इसका खंडन किया.

लेकिन तब इसराइल के सरकारी रेडियो पर ख़ुफ़िया सूत्रों के हवाले से बताया गया था कि ये इसराइल की ख़ुफ़िया एजेंसी मोसाद का एक ऑपरेशन था.

नतांज़ परमाणु केंद्र में 2020 में भी जुलाई में आग लग गई थी. तब ईरानी अधिकारियों ने इसे साइबर हमले का नतीजा बताया था.

हसन रूहानी
EPA/IRANIAN PRESIDENCY OFFICE
हसन रूहानी

ईरान ने कहा, बदला ज़रूर लेंगे

इस घटना को लेकर ईरान के विदेश मंत्री जव्वाद ज़रीफ़ ने कहा था कि ईरान नतांज़ पर हुए हमले का बदला ज़रूर लेगा. ईरान ने तब स्पष्ट रूप से ये कहा था कि इस हमले के पीछे इसराइल का हाथ था.

जुलाई 2020 में नतांज़ संयंत्र में एक रहस्यमय विस्फोट हुआ था जिसने वहाँ की आधुनिक सेंट्रीफ़्यूज़ असेंबली को काफ़ी नुकसान पहुँचाया था.

उसके बाद, इसी साल अप्रैल में एक और धमाका हुआ जिसने नतांज़ संयंत्र के भूमिगत हॉल को तोड़ दिया था. इन हमलों के लिए ईरान ने इसराइल को ही ज़िम्मेदार ठहराया था.

अब, जब कोहेन से नतांज़ के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा,

कोहेन ने अपने इंटरव्यू में सीधे तौर पर तो यह स्वीकार नहीं किया कि उन हमलों के पीछे मोसाद का ही हाथ था, लेकिन उन्होंने हमलों से जुड़ीं कुछ हैरान कर देने वाली जानकारियाँ दीं.

उनसे जब पूछा गया कि अगर ईरानी संयंत्र में जाने का मौक़ा मिले तो वो कहाँ जाना चाहेंगे, तो इसके जवाब में उन्होंने कहा कि "सेलार में जहाँ सेंट्रीफ़्यूज़ घूमा करता था".

उन्होंने इसके बाद कहा, "वो जगह अब वैसी नहीं दिखती, जैसी पहले थी."

इंटरव्यू करने वाली पत्रकार ने भी कोहेन की कही बातों के आधार पर अपनी रिपोर्ट में हमले की काफ़ी विस्तार से जानकारी दी और कहा कि - "धमाकों के लिए ज़िम्मेदार शख़्स ने ईरानियों को मार्बल प्लेटफ़ॉर्म जिनपर सेंट्रीफ़्यूज रखे गए थे, और इसे जब लगाया जा रहा था तो ईरानियों को इस बात की कोई भनक नहीं थी कि उनमें भारी मात्रा में विस्फ़ोटक लगे हैं."

कोहेन ने अपने इंटरव्यू में कहा, "हम ईरान को परमाणु हथियार नहीं बनाने देंगे. ये उन्हें समझ क्यों नहीं आता."

उनका ये इंटरव्यू गुरुवार रात को इसराइली टीवी चैनल 12 पर प्रसारित किया गया.

ईरान ने कोहेन के इस इंटरव्यू पर फ़िलहाल कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.

मोहसिन फ़ख़रीज़ादेह
HAMSHAHRIONLINE
मोहसिन फ़ख़रीज़ादेह

फ़ख़रीज़ादेह की हत्या

अपने इंटरव्यू में योसी कोहेन ने पुष्टि की कि ईरान के शीर्ष परमाणु वैज्ञानिक मोहसिन फ़ख़रीज़ादेह सालों से मोसाद की नज़रों में थे.

उन्होंने कहा, "नवंबर 2020 से पहले भी हमारे लोग फ़ख़रीज़ादेह के बहुत क़रीब रहे थे."

नवंबर 2020 में, ईरान की राजधानी तेहरान के क़रीब एक हमले में फ़ख़रीज़ादेह की हत्या कर दी गई थी. ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर नज़र रखने वाले फ़ख़रीज़ादेह को बखूबी जानते थे. साथ ही पश्चिमी देशों के अधिकांश सुरक्षा जानकार भी फ़ख़रीज़ादेह का परिचय 'ईरान के परमाणु कार्यक्रम के मुख्य कर्ता-धर्ता' के तौर पर कराते थे.

कोहेन ने कहा, "फ़ख़रीज़ादेह की वैज्ञानिक समझ, उनके काम और परमाणु कार्यक्रम में उनके सहयोगी वैज्ञानिकों ने कई साल तक मोसाद को बहुत परेशान किया था. इसीलिए वे कई सालों से मोसाद की नज़रों में थे."

हालांकि कोहेन ने अपने इंटरव्यू में इस बारे में कुछ नहीं कहा कि मोसाद के लोग सीधे तौर पर उनकी हत्या में शामिल थे या नहीं.

पर उन्होंने कहा, "अगर कोई आदमी अपनी क्षमताओं की वजह से इसराइली लोगों के लिए ख़तरा है, तो उसे क्यों होना चाहिए."

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नेतन्याहू ने कोहेन को चीफ़ बनाया

कोहेन ने कहा, "अगर कोई वैज्ञानिक अपना पेशा बदलना चाहता है और हमारे लिए ख़तरा नहीं बनता, तो उसे क्यों निशाना बनाया जायेगा."

द टाइम्स ऑफ़ इसराइल के अनुसार, बिन्यामिन नेतन्याहू ने ही दिसंबर 2015 में योसी कोहेन को ख़ुफ़िया एजेंसी मोसाद का चीफ़ बनाया था.

अख़बार ने लिखा है कि कोहेन ने अपने इंटरव्यू में जिस तरह की जानकारियाँ दी हैं, वो सामान्य नहीं हैं. उन्होंने बहुत सारी चीज़ों पर रोशनी डाली है. उनके इंटरव्यू को देखकर लगता है कि ज़रूर इसराइली सेना से इसकी समीक्षा करवाई गई होगी और उनसे मंज़ूरी ली गई होगी. मगर एक ख़ुफ़िया सेवा के प्रमुख रहे इंसान के लिए इतना खुलकर बात करना कोई सामान्य बात नहीं है.

59 वर्षीय योसी कोहेन ने जब 22 वर्ष की उम्र में मोसाद जॉइन किया था, तब वे लंदन में पढ़ाई कर रहे थे. कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, शुरुआत में कोहेन को मोसाद के चुनिंदा दकियानूस एजेंटों में से एक माना जाता था.

कोहेन ने अपने इस इंटरव्यू में ऐसे संकेत भी दिये कि वो ईरान के कई परमाणु संयंत्रों से वाकिफ़ हैं और उन ठिकानों को काफ़ी अच्छे से समझते हैं.

बिन्यामिन नेतन्याहू
Reuters
बिन्यामिन नेतन्याहू

ईरान के ज़रूरी परमाणु दस्तावेज़

अपने इंटरव्यू में कोहेन ने यह भी बताया कि कैसे मोसाद ने जनवरी 2018 में ईरान के ज़रूरी परमाणु दस्तावेज़ चुराये थे.

ये चोरी तेहरान के एक वेयरहाउस से हुई थी. उन्होंने बताया, "मैंने तेल अवीव में बैठकर उस मिशन को अंजाम दिया था. इसके लिए दो साल तक तैयारी की गई थी. हमें पता था कि ईरान गुप्त तरीक़े से अपने दस्तावेज़ छिपा रहा है जिनके बारे में हमें जानकारी नहीं थी. तो हमने तय किया कि हम पता करेंगे कि ईरानी हमारे लिए क्या तैयारी कर रहे हैं. मैंने अपने लोगों से कहा कि हमें इन रहस्यों को निकालकर अपने घर लाना होगा ताकि ईरान के परमाणु कार्यक्रम के बारे में हमारे पास सारी जानकारी रहे."

कोहेन ने दावा किया कि इस मिशन में 20 मोसाद एजेंट शामिल थे जिनमें से एक भी इसराइली नागरिक नहीं था.

कोहेन ने इस इंटरव्यू में ये तक बताया कि कितने घंटों में एजेंटों ने यह मिशन पूरा किया, कैसी उसकी तैयारी की गई और कैसे गुप्त दस्तावेज़ों को तिजोरियों में से निकाला गया.

उन्होंने कहा, "हमें मालूम था कि अपनी गुप्त तिजोरियों को खाली देख ईरान हमें रोकने की कोशिश ज़रूर करेगा. कुछ ही घंटों में सारी सीमाएं सील कर दी गई थीं क्योंकि उनके सबसे संवेदनशील दस्तावेज़ हमारे पास थे. इसीलिए ज़्यादा से ज़्यादा डेटा डिजिटल माध्यमों से तेल अवीव भेज दिया गया था."

कोहेन ने कहा कि फ़ारसी में लिखे उन गुप्त दस्तावेज़ों को हासिल करना, मोसाद की एक बड़ी उपलब्धि थी.

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English summary
world mossad chief yossi cohen signals israel attacked iran natanz nuclear facility
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