World Migratory Bird Day: प्लास्टिक कचरा ले रहा लाखों प्रवासी पक्षियों की जान
नई दिल्ली: पक्षी कभी भी एक जगह नहीं ठहरते, बदलते मौसम के हिसाब से वो एक से दूसरे राज्य में प्रवास करते रहते हैं। पक्षियों की कई प्रजातियां तो ऐसी हैं, जो हजारों मील उड़कर दूसरे देश पहुंच जाती हैं। इन प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के लिए विश्व प्रवासी पक्षी दिवस साल में दो बार मनाया जाता है। हर साल इस दिन को मनाने की थीम भी अलग-अलग रहती है। इस साल लॉकडाउन की वजह से प्रवासी पक्षी दिवस पर कोई कार्यक्रम नहीं आयोजित हो पाया।
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प्रवासी पक्षी दिवस को मानने की शुरुआत 2006 में हुई थी। प्रवासी पक्षी दिवस को मनाने के लिए कोई तारीख नहीं तय है। यह हर साल मई और अक्टूबर के दूसरे शनिवार को मनाया जाता है। इस दिन पक्षी प्रेमी लोगों को प्रवासी पक्षियों के संरक्षण और उनका शिकार नहीं करने के लिए जागरुक करते हैं। इस साल प्रवासी पक्षी दिवस 'बर्ड कनेक्ट ऑवर वर्ल्ड' की थीम पर मनाया जा रहा है। पक्षी प्रेमियों के मुताबिक हमारे समुद्र में प्लास्टिक कचरा बढ़ता जा रहा है। जिस वजह से दस लाख से ज्यादा प्रवासी पक्षियों की मौत प्लास्टिक खाने की वजह से हुई है। ये आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। इस वजह से इस बार की थीम प्लास्टिक कचरे पर आधारित है।
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भारत
में
साइबेरियन
पक्षी
हैं
सबसे
खास
आपको
बता
दें
कि
भारत
में
साइबेरिया,
रूस,
अफ्रीका,
यूरोप,
सिंगापुर
आदि
से
बड़ी
संख्या
में
प्रवासी
पक्षी
आते
हैं,
लेकिन
एक
नाम
सभी
की
जुबान
पर
हमेशा
रहता
है
वो
है
साइबेरियन
पक्षी।
ये
पक्षी
ठंड
की
शुरूआत
में
भारत
के
अलग-अलग
हिस्सों
में
पहुंच
जाते
हैं।
साइबेरियन
पक्षियों
में
सबसे
ज्यादा
सारस
आते
हैं।
ये
50
किलोमीटर
प्रति
घंटे
की
रफ्तार
से
उड़
सकते
हैं।
प्रवासी
पक्षियों
के
लिए
भारत
में
रहना
आसान
नहीं
है,
यहां
हर
वक्त
इनके
ऊपर
शिकारी
नजर
गड़ाए
रहते
हैं।
हालांकि
सरकार
ने
प्रवासी
पक्षियों
के
शिकार
पर
रोक
लगा
रखी
है।
जिस
वजह
से
वन
विभाग
के
कर्मचारी
इनकी
सुरक्षा
करते
रहते
हैं।