आईएमएफ के बाद विश्व बैंक ने दिया मोदी सरकार को बड़ा झटका
नई दिल्ली। देश की अर्थव्यवस्था लगातार गिर रही है, इसके पुष्टि ना सिर्फ जीडीपी के आंकड़े बल्कि आईएमएफ और विश्व बैंक भी कर रहे हैं। देश की जीडीपी 2015 में 8.6 फीसदी थी जोकि 2017 में 7.0 फीसदी तक ही रहेगी। विश्व बैंक ने भारत की जीडीपी ग्रोथ को 7.0 फीसदी तक ही रहने का अनुमान लगाया है। इसके लिए जीडीपी ने नोटबंदी, जीएसटी जैसे फैसलों को जिम्मेदार ठहराया है जोकि जीडीपी की रफ्तार को कम कर रही है। विश्व बैंक का कहना है कि देश की अंदरूनी दिक्कतों की वजह से निवेश में कमी आई है, यह कमी प्राइवेट सेक्टर में आई है जो भविष्य में विकास दर को और कम करेगी।
कई संस्थाओं ने गिराई विकास दर
इससे पहले अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी भारत की जीडीपी दर को कम आंकते हुए कहा था कि यह 6.7 फीसदी तक रहेगी। वहीं चीन की विकास दर को आईएमएफ ने 8.8 फीसदी रहने की बात कही है। आपको बता दें कि इससे पहले विश्व बैंक ने भारत की जीडीपी दर 7.2 फीसदी तक रहने का अनुमान लगाया था। ना सिर्फ आईएमएफ, विश्व बैंक बल्कि एशियन डेवलेपमेंट बैंक ने भी भारत की विकास दर को घटा दिया है।
पीएम के आर्थिक सलाहकार के सदस्य ने की आलोचना
आईएमएफ ने भारत के विकास दर को 7.4 फीसदी से घटाकर 7 फीसदी कर दिया है। वहीं आरबीआई ने भी विकास दर को 7.3 फीसदी से घटाकर 6.7 फीसदी कर दिया है। हालांकि तमाम संस्थाओं ने भारत की विकास दर को कम किया है, लेकिन भारत सरकार की ओर से अर्थशास्त्री और प्रधानमंत्री मोदी के आर्थिक सलाहकार काउंसिल के सदस्य रथिन रॉय ने भारत विकास दर कम करने को लेकर विश्व बैंक और आईएमएफ की आलोचना की है।
विश्व बैंक और आईएमएफ का अनुमान अक्सर गलत होता है
राय का कहना है कि विश्व बैंक और आईएमएफ का अनुमान अक्सर गलत होता है, उन्होंने कहा कि आईएमएफ का अनुमान 80 फीसदी तक गलत रहता है, जबकि विश्व बैंक अनुमान 65 फीसदी तक गलत रहता है। विश्वबैंक की ओर से कहा गया है कि जीएसटी की वजह से कारोबार में गिरावट आई है और लोगों में अनिश्चितता का माहौल है। इसका असर निजी सेक्टर के अलावा सरकारी सेक्टर पर पड़ा है। दोनों ही सेक्टर में निवेश की बेहतर रणनीति को बनाकर विकास दर को अगले वर्ष तक 7.3 फीसदी तक ले जाया जा सकता है। साथ ही गरीबी उन्मूलन के लिए सरकार को और काम करने की जरूरत है।
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