नोटबंदी की वजह से धीमी हुई विकास की रफ्तार, विश्व बैंक ने ग्रोथ रेट घटाकर किया 7 फीसदी
गौर करने वाली बात ये है कि भारत चीन को पीछे छोड़ते हुए अब भी दुनिया में सबसे तेजी से उभरने वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है।
नई दिल्ली। विश्व बैंक ने बुधवार को साल 2016-17 के लिए भारत की निर्धारित विकास दर को कम करते हुए 7 फीसदी तक दिया है। यह फैसला नोटबंदी की वजह से लिया गया है। इसके पहले विकास दर का लक्ष्य 7.6 फीसदी रखा गया था। हालांकि विश्व बैंक ने यह भी उम्मीद जताई कि भारत आने वाले साल में 7.6 और 7.8 फीसदी विकास दर हासिल कर लेगा। विश्व बैंक ने कहा कि सरकार की ओर से नवंबर में बड़ी मात्रा में करंसी वापस लेने और नई करंसी जारी करने की वजह से 2016 के आखिरी महीनों में विकास की रफ्तार थोड़ी धीमी हुई है।
अब
भी
सबसे
आगे
है
भारत
गौर
करने
वाली
बात
ये
है
कि
भारत
चीन
को
पीछे
छोड़ते
हुए
अब
भी
दुनिया
में
सबसे
तेजी
से
उभरने
वाली
अर्थव्यवस्था
बना
हुआ
है।
विश्व
बैंक
ने
अपनी
रिपोर्ट
में
कहा,
'उम्मीद
की
जा
रही
है
कि
भारत
वित्तीय
वर्ष
2018
तक
7.6
फीसदी
की
विकास
दर
हासिल
कर
लेगा
और
इसमें
मजबूती
लाते
हुए
2019-20
तक
यह
दर
7.8
फीसदी
पहुंच
जाएगी।'
विश्व
बैंक
ने
कहा
कि
भारत
में
आने
वाले
सालों
में
प्रोडक्टिविटी
और
विकास
में
तेजी
आएगी।
इनफ्रास्ट्रक्चर
में
सुधार
होना
चाहिए
जिससे
बिजनेस
का
माहौल
बेहतर
हो
और
निवेश
की
संभावना
भी
बढ़े।
'मेक
इन
इंडिया'
कैंपेन
की
मदद
से
मैनुफैक्चरिंग
सेक्टर
को
सपोर्ट
मिल
सकता
है
इससे
घरेलू
मांगें
पूरी
होंगी
और
कुछ
रेगुलेटरी
सुधार
भी
होंगे।
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ग्लोबल इकॉनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स रिपोर्ट में विश्व बैंक ने कहा कि नियंत्रित मुद्रास्फीति और सिविल सर्विस पेमेंट बढ़ाने से रियल इनकम और कंजम्पशन को बढ़ावा मिलेगा। बेहतर मानसून और बारिश से खेती में भी बंपर उत्पादन होने के आसार हैं। बैंक ने कहा, 'नोटबंदी का एक फायदा यह भी है बैंकिंग सिस्टम में पैसा आएगा और ब्याज दरें कम होंगी। इससे आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ेंगी। हालांकि 80 फीसदी से ज्यादा कैश ट्रांजेक्शन की वजह से बिजनेस में थोड़ी बाधा जारी रहेगी। बड़ी संख्या में पुराने नोटों को हटाकर नए नोट जारी करना आर्थिक सुधारों की रफ्तार के लिए बड़ा रिस्क साबित हो सकता है। इससे सामान, सर्विस टैक्स, लेबर और भूमि सुधार पर असर पड़ेगा। इसका असर नेपाल और भूटान की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा।'