World Arthritis Day 2019: ज्यादा मोबाइल और कंप्यूटर इस्तेमाल करते हैं तो हो जाइए सावधान
बेंगलुरु। 12 अक्टूबर यानी आज विश्व गठिया दिवस हैं। पहले जोड़ों के दर्द और अर्थराइटिस को बुजुर्गों की समस्या माना जाता है लेकिन आजकल की लाइफस्टाइल और खान-पान में गड़बड़ी के चलते युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रहा हैं। मोबाइल, कंप्यूटर जो दिन भर आप इस्तेमाल करते हो ये भी आपको अर्थराइटिस का शिकार बना सकता हैं। डॉक्टरों के अनुसार लगातार मोबाइल फोन का ज्यादा इस्तेमाल भी लोगों को आर्थराइटिस दे सकता है। यहीं नहीं कीबोर्ड अथवा फोन पर अधिक देर तक टाइपिंग करने से हाथों में आर्थराइटिस की शिकायत हो सकती है। मोबाइल और कंप्यूटर पर अधिक देर तक काम करने से हड्डियों में दर्द की परेशानी होने की बात कही जाती रही है। अब डॉक्टरों का कहना है कि यह दर्द गठिया में तब्दील हो सकता है। यह स्थिति इतनी खतरनाक है कि गठिया के कारण हड्डियों में होने वाली जकड़न दिल की धड़कन भी रोक सकती है।
नजरअंदाज करने से बढ़ सकती हैं समस्या
इस समस्या को आमतौर पर नजरअंदाज किया जाता है। जानकारी के अभाव में इसे सिर्फ हड्डियों की बीमारी समझा जाता है, जबकि इसके कारण हार्ट अटैक, स्ट्रोक, किडनी व लिवर खराब होने की समस्या हो सकती है। समय रहते असल बीमारी का इलाज नहीं होने के कारण लोग जानलेवा बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। शुरुआती दौर में ही बीमारी की पहचान कर इसका इलाज किया जा सकता है।
हाथों की आर्थराइटिस के आम लक्षण हैं उंगलियों का सख्त होना और उनमें खुजलाहट महसूस होना। हाथों में इसकी वजह उम्र से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं अथवा स्थायी संक्रमण हो सकता है, या फिर गंभीर चोट या खान-पान में पोषण की कमी भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकता है। एक समय के बाद हर व्यक्ति के शरीर के तमाम जोड़ों में दर्द की शिकायत आने लगती है। कई बार ये दर्द बढ़ती उम्र के साथ होते है तो कई बार शारीरिक बनावट और मोटापे की वजह से जोड़ों में दर्द होता है। जोड़ों में दर्द होने की वजह से आम आदमी को तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
खराब जीवशैली और खान-पान
मौजूदा दौर में खराब जीवनशैली भी इसका कारण बन रहा है। जंक फूड का अधिक इस्तेमाल, प्रदूषण का दुष्प्रभाव व तनाव भी गठिया के कारण हैं। इसके अलावा कंप्यूटर पर अधिक देर तक काम करने वाले लोगों की गर्दन व अंगुलियों में दर्द की बीमारी देखी जाती है। यह भी गठिया में तब्दील हो सकती है। लोग मोबाइल पर लंबे समय तक व्यस्त रहते है। इससे भी हाथ व कलाई में दर्द की परेशानी व गठिया हो सकती है। डाक्टरों के अनुसार मोबाइल और कम्यूटर पर लगातार काम करने की वजह से शारीरिक श्रम भी नहीं होता जिस कारण लोग मोटापे के शिकार होते हैं।अधिक वजन से भी पैरों में गठिया होने का खतरा बढ़ जाता हैं। युवाओं को कमर से लेकर गर्दन और कंधों में तेज दर्द को नजरंदाज करना खतरनाक हो सकता है। ये बीमारी आम तौर पर घुटनों, हाथों, पैरों और रीढ़ के जोड़ों को प्रभावित करता है।
10 सालों में भारत आर्थराइटिस कैपिटल भी बन सकता है
वर्ष 2017 में हुए एक अध्ययन के अनुसार देश में आर्थराइटिस से जुड़े मरीजों की संख्या कई गुना बढ़ रही है। पिछले आंकड़ो के अनुसार 180 मिलियन की पहचान भारत में हुई है जबकि अनुमान है कि साल 2025 तक देश में करीब 300 मिलियन तक मरीजों की संख्या पहुंच सकती है।अगर आर्थराइटिस का मौजूदा ट्रेंड आगे भी जारी रहा, तो अगले 10 साल में ही भारत आर्थराइटिस कैपिटल भी बन सकता है।
विश्व
गठिया
दिवस
जोड़ों
में
दर्द
होने
की
वजह
से
आम
आदमी
को
तमाम
तरह
की
परेशानियों
का
सामना
करना
पड़ता
है।
इस
तरह
की
बीमारियों
के
बारे
में
लोगों
को
जागरुक
करने
के
लिए
ही
साल
1996
में
12
अक्टूबर
के
दिन
विश्व
गठिया
दिवस
की
स्थापना
की
गई
थी।
आज
विश्व
गठिया
दिवस
है।
अर्थराइटिस
और
रूमेटिजम
इंटरनेशनल
(एआरआई)
ने
गठिया
और
मस्कुलोस्केलेटल
रोगों
(आरएमडी)
से
पीड़ित
लोगों
को
प्रभावित
करने
वाले
मुद्दों
के
बारे
में
जागरूकता
बढ़ाने
के
लिए
इसकी
स्थापना
की
थी।
रूमेटिजम
के
खिलाफ
यूरोपीय
लीग
(ईयूएलआर)
ने
वर्ष
2017
में
'देर
न
करें,
आज
ही
संपर्क
करें'विषय
की
शुरूआत
की
थी।
जानें क्या हैं गठिया और कैसे बचें
गठिया शब्द का वास्तविक मतलब जोड़ों की सूजन है। सार्वजनिक स्वास्थ्य में संधिशोथ और रुमेटी स्थितियों के लिए संक्षिप्त में गठिया शब्द का उपयोग किया जाता है। ये शरीर के अलग-अलग हिस्सों में जोड़ो में होता है। जोड़ों में गठिया के लक्षण सूजन, दर्द, जकड़न और सामान्य गतिविधियों में होने वाली कमी हो जाना हैं। ऑस्टियो अर्थराइटिस एक आम प्रकार का घुटनों का अर्थराइटिस होता है और इसे जोड़ों का रोग भी कहा जाता है।
अर्थराइटिस का दर्द इतना तेज होता है कि व्यक्ति को न केवल चलने-फिरने बल्कि घुटनों को मोड़ने में भी बहुत परेशानी होती है। घुटनों में दर्द होने के साथ-साथ दर्द के स्थान पर सूजन भी आ जाती है। अर्थराइटिस अनेक प्रकार का होता हैं, जैसे ऑस्टियो, र्यूमैटॉइड और गाउटी अर्थराइटिस आदि। कुछ सुझावों पर अमल कर आप अर्थराइटिस की समस्या से राहत पा सकते हैं। बढ़ती उम्र के साथ जोड़ों के कार्टिलेज क्षीण हो जाते हैं। उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को कोई रोक नहीं सकता है ऑस्टियो अर्थराइटिस बढ़ती उम्र यानी आमतौर पर लगभग 50 साल के बाद होने वाली समस्या है। इस समस्या से पार पाने के लिए वजन को नियंत्रित रखना आवश्यक है।
डाक्टर की सलाह
वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ डाक्टर जी पी गुप्ता का कहना है कि वरिष्ठ नागरिकों की सामाजिक गतिविधियों में पैदल टहलने के लिए बाहर जाना, योग के लिए पार्क और क्लब में दोस्तों से मिलना शामिल है। लेकिन घुटने का स्थायी दर्द इसमें बाधा बन जाता है और वह घर में बंद हो जाते हैं। लंबी अवधि में इससे उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति प्रभावित होती है। वहीं आमतौर पर युवा वर्ग के लोग अपने प्रोफेशन में व्यस्तता के कारण शारीरिक श्रम नहीं करते। इतना ही नही पैदल न चलने की वजह से बैठे-बैठ घुटने जाम हो सकते हैं। डाक्टर मानते हैं कि चूंकि जोड़ो का दर्द बहुत तकलीफदेह होता है। ऐसा दर्द की कुछ समझ में नहीं आता है और अक्सर लोग इस दर्द से बचने के लिए पेनकिलर का सहारा लेते हैं। लेकिन ज्यादा पेनकिलर लेने से भविष्य में आपकी किडनी और लिवर पर बुरा असर पड़ सकता है।
आगे के नुकसान को रोकने के लिए शीघ्र निदान महत्वपूर्ण है। यदि शुरुआत में उपचार नहीं किया जाता है तो दैनिक गतिविधियों प्रभावित होती है और व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता कम हो जाती है तथा उनकी शारीरिक क्षमता प्रभावित होती है। विलंब आम तौर जागरुकता की कमी के कारण होती है, इसलिए गठिया के लक्षणों की जानना तथा शीघ्र डाक्टर से परामर्श करना बेहद महत्वपूर्ण है।
आर्थराइटिस के लक्षण
घुटनों और जोड़ों में दर्द होता रहता हैं। शरीर में अकसर अकड़न बनी रहती है भारतीय शौचालय में बैठने पर में परेशानी होती हैं। सुबह-सुबह जोड़ों में अकड़न व चलने, चौकड़ी मार कर बैठने में परेशानी होती हैं। पैर चलाने, हाथों को हिलाने और ज्वाइंट्स हिलाने में काफी तकलीफ और दर्द का सामना करना होता है। लंबे समय तक हल्का बुखार रहना। मुट्ठी बंद करने में तकलीफहोना । जोड़ों में सूजन के साथ दर्द, सोते वक्त करवट बदलने में परेशानी होना।
घरेलू इलाज
शरीर में पानी की मात्रा संतुलित रखें । दर्द के समय आप सन बाथ ले सकते हैं। लाल तेल से मालिश करना भी आरामदायक होता है। गर्म दूध में हल्दी मिलाकर दिन में दो से तीन बार पीयें। सोने से पहले दर्द से प्रभावित क्षेत्र पर गर्म सिरके से मालिश करें। 5 से 10 ग्राम मेथी के दानों का चूर्ण बनाकर सुबह पानी के साथ लें। 4 से 5 लहसुन की कलियों को एक पाव दूध में डालकर उबालकर पीयें। लहसुन के रस को कपूर में मिलाकर मालिश करने से भी दर्द से राहत मिलती है। लेटकर टीवी नहीं देखना चाहिए। कैल्शियम व विटामिन-डी युक्त खुराक का इस्तेमाल करें ।
नरम गद्दों के बजाय रूई के गद्दों का इस्तेमाल करें। साइकिल, तैराकी, तेज चाल के साथ चलें। चलने-फिरने और बैठने की मुद्राएं (पोस्चर्स) सही होना चाहिए। अगर वजन उठाना हो तो बजाय कमर से झुकने के घुटनों से झुक कर वजन को उठाना चाहिए। दूध, दही, पनीर, हरी पत्तेदार सब्जियां, खजूर, बादाम, मशरूम तथा समुद्री फूड को खाने में शामिल करें । कभी कभी उल्टे कदम भी चल लेना चाहिए। इसके लिए नियमित व्यायाम और वाकिंग अवश्य करें।