World AIDS Vaccine Day: 40 साल में भी नहीं मिला एड्स का इलाज, खतरनाक होती जा रही बीमारी
नई दिल्ली: 1981 में कुछ लोगों में एक बीमारी देखी गई, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को खत्म कर रही थी, इस बीमारी का नाम था एड्स। उसके बाद से वैज्ञानिकों ने इसकी दवा और वैक्सीन खोजने की कोशिश शुरू की, लेकिन चार दशक में भी उन्हें सफलता हासिल नहीं हुई। कुछ दवाएं जरूर आई हैं, जो एड्स को तो खत्म नहीं कर पातीं, लेकिन उसके प्रभाव को कम कर देती हैं। एड्स वैक्सीन के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए हर साल 18 मई को वर्ल्ड एड्स वैक्सीन डे मनाया जाता है।
दरअसल 1997 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने मॉर्गन स्टेट यूनिवर्सिटी में दिए एक भाषण में एड्स वैक्सीन विकसित करने का लक्ष्य निर्धारित किया। उसके बाद से राष्ट्रीय एलर्जी और संक्रामक रोग विभाग द्वारा हर साल 18 मई को वर्ल्ड एड्स वैक्सीन डे मनाया जाने लगा। इस दिन को मनाने का मकसद लोगों को एड्स टीकाकरण के बारे में जागरुक करना है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अब तक दुनिया में 36.9 लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं।
क्या
है
एड्स?
एड्स
खुद
कोई
बीमारी
नहीं
है,
पर
एड्स
से
पीड़ित
मानव
शरीर
संक्रामक
बीमारियों,
जो
कि
जीवाणु
और
विषाणु
आदि
से
होती
हैं,
के
प्रति
अपनी
प्राकृतिक
प्रतिरोधी
शक्ति
खो
बैठता
है।
एड्स
एक
महामारी
है।
एड्स
के
संक्रमण
के
तीन
मुख्य
कारण
हैं
-
असुरक्षित
यौन
संबंधो,
रक्त
के
आदान-प्रदान
और
मां
से
शिशु
में
संक्रमण
द्वारा।
माना
जाता
है
कि
सबसे
पहले
इस
रोग
का
विषाणु
एच.आई.वी,
अफ्रीका
के
खास
प्रजाति
की
बंदर
में
पाया
गया
और
वहीं
से
ये
पूरी
दुनिया
में
फैला।
एड्स से कैसे बचें
- अपने जीवनसाथी के प्रति वफादार रहें।
- एक से अधिक व्यक्ति से यौनसंबंध ना रखें।
- यौन संबंध के समय कंडोम का सदैव प्रयोग करें।
- यदि आप एच.आई.वी संक्रमित या एड्स ग्रसित हैं तो रक्तदान कभी ना करें।
- रक्त ग्रहण करने से पहले रक्त का एच.आई.वी परीक्षण करवाएं।