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क्यों हुई गीता प्रेस में ह़ड़ताल

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नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) गीता प्रेस, गोरखपुर में श्रमिकों की हड़ताल और तालाबंदी के बाद अब फिर से श्रमिकों ने कामकाज चालू कर दिया है। बीते हफ्ते गीता प्रेस कर्मी अपनी मांगों के समर्थन में हड़ताल पर चले गए थे।

गीता प्रेस के प्रकाशन

बता दें कि हनुमान प्रसाद पोद्दार द्वारा चालू की गई गीता प्रेस हिन्दू धर्म से जुड़ा साहित्य दशकों से प्रकाशित कर रही है। हर हिन्दू परिवार में गीता प्रेस के प्रकाशन मिल जाएंगे। ये हर साल रामायण, हनुमान चालीसा समेत तमाम धार्मिक पुस्तकों तथा ग्रंथों को प्रकाशित करती है।

अरबों रुपये चढ़ावा चढ़ाते

वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद शुक्ल ने कहा हम मंदिरों में, कई संतों-मुनियों को करोडों-अरबों रुपये चढ़ावा चढ़ाते हैं। अपने प्रचार के लिए कोई भी संप्रदाय कसर नहीं रखते। तब एक संस्थान जो बिना किसी मुनाफे के वर्षों से हिन्दू साहित्य एवं धर्म ग्रन्थ छाप रहा है, उसका बंद होना हमारी आँखें खोल देता है।

अब बड़ा सवाल ये है कि क्या हमारे विभिन्न संगठन एवं मंदिरों के ट्रस्ट थोड़ी सी आर्थिक सहायता गीता प्रेस को नहीं दे सकते? क्या गीता प्रेस द्वारा किया गया धर्म का प्रचार किसी संत महात्मा,किसी मंदिर ट्रस्ट से कम है? बहुत से प्रश्न खड़े किये जा सकते हैं, पर उम्मीद है कि वो नौबत नहीं आएगी। ये सन्देश फैलते ही हिन्दू समाज आर्थिक मदद करके गीता-प्रेस को फिर शुरू करवा देगा।

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English summary
Work resumes at Geeta Press after strike by workers. Geeta Press is publishing books of Hindu religion since long.
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