महिला रेलकर्मियों ने रचा इतिहास, पहली बार चली संपूर्ण women's crew वाली मालगाड़ी
नई दिल्ली- पश्चिम मुंबई के मुंबई डिविजन में तीन महिला रेलकर्मियों ने इतिहास रच दिया है। उन तीनों महिलाओं ने रेलवे( Indian Railways)के संचालन में पुरुषों के एकाधिकार को खत्म करते हुए पहली बार महाराष्ट्र के पास वसई रोड स्टेशन से गुजरात के वडोदरा स्टेशन तक मालगाड़ी (freight train) चलाकर ले गईं। पश्चिम रेलवे (Western Railway)में ऐसा पहली बार हुआ है कि संपूर्ण महिला क्रू (entire women's crew) ने इतने लंबे सफर के लिए मालगाड़ी का संचालन किया है। माना जा रहा है कि ये तीनों महिला रेलकर्मी मौजूदा और आने वाली पीढ़ी के लिए एक रोल मॉडल साबित हो सकती हैं और जिस पेशे को अपनाने की चुनौतियों की वजह महिलाएं अब तक सोच भी नहीं पाती थीं, इन तीन महिलाओं ने अब उनके लिए एक नया आयाम खोल दिया है।
संपूर्ण महिला क्रू ने चलाई मालगाड़ी
कुमकुम सूरज डोंगरे, उदिता वर्मा और अकांक्षा राय ने भारतीय महिलाओं के लिए कामयाबी का एक नया द्वार खोल दिया है। बीते 5 जनवरी को उन्होंने महाराष्ट्र के वसई रोड रेलवे स्टेशन से गुजरात के वडोदरा स्टेशन तक संपूर्ण वूमेन क्रू वाली मालगाड़ी संचालन किया। इस मालगाड़ी के संचालन में कुमकुम सूरज डोंगरे ने लोको पायलट और उदिता वर्मा ने सहायक लोको पायलट की जिम्मेदारी निभाई। 1992 में जन्मीं उदिता 7 सितंबर, 2016 को पश्चिम रेलवे में सहायक लोको पायलट के रूप में भर्ती हुई थीं और पिछले साल साल 4 जून को प्रमोशन के बाद वह वरिष्ठ सहायक लोको पायलट बन चुकी हैं।
महिला सशक्तिकरण का बेहतरीन उदाहरण- रेलमंत्री
पश्चिम रेलवे की ओर से कहा गया है कि 'पहली बार पूरी महिला क्रू ने 5 जनवरी, 2021 को वसई रोड (महाराष्ट्र) से वडोदरा (गुजरात) तक एक मालगाड़ी का परिचालन कर नया कीर्तिमान कायम किया। यह महिला सशक्तिकरण का एक शानदार उदाहरण है।' उधर रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्विटर पर लिखा, "महाराष्ट्र के वसई रोड से गुजरात के वडोदरा तक मालगाड़ी का कुशलता से संचालन कर हमारी महिला कर्मचारियों ने सशक्तिकरण का एक अद्भुत उदाहरण सामने रखा है। इस ट्रेन में लोको पायलट से लेकर गार्ड तक की जिम्मेदारी महिला कर्मचारियों द्वारा संभाली गयी।"
एमबीए हैं गार्ड आकांक्षा राय
इस ट्रेन का संचालन जिस महिला ने बतौर रेलवे गार्ड किया वो इंदौर से एमबीए आकांक्षा राय हैं। रेलवे में गार्ड की भूमिका बहुत ही कठिन है और वह भी लंबी यात्रा पर इस भूमिका को निभाना आज तक एकमात्र पुरुषों का ही काम समझा जाता था। वैसे राय पश्चिम रेलवे के मुंबई सेंट्रल डिविजन में बतौर मालगाड़ी की गार्ड 4 अप्रैल, 2019 को नियुक्त हुईं थीं। 1993 में गार्ड की नौकरी से रिटायर कर चुके एक गार्ड नेपोलियन फर्नांडीज ने बताया कि लंबे वक्त तक पूरी तरह से चौकस रहना, मानसिक और शारीरिक तौर पर बहुत ही थकाऊ साबित होता है। लेकिन, आकांक्षा राय को अपने देश के लोगों की सेवा के लिए यह जिम्मेदारी निभाने में बेहद गर्व का अनुभव होता है।
चुनौतियों की वजह से महिलाएं रहती हैं इन पदों से दूर
उधर पश्चिम रेलवे के जेनरल मैनेजर आलोक कंसल ने खुशी जाहिर करते हुए इसे पश्चिम रेलवे के लिए यादगार दिन बताया। रेलवे के मुताबिक रेलवे गार्ड और लोको पायलट की कठिन चुनौतियों की वजह से बहुत कम महिलाएं ही इन पदों पर नौकरियों के लिए आगे आती हैं। गौरतलब है कि मुंबई में उपनगरीय ट्रेन चलाने वाली प्रीति कुमारी का नाम पश्चिम रेलवे की पहली मोटरवुमन के रूप में जाना जाता है तो गुजरात के भावनगर डिविजन के स्टेशनों पर महिला पोर्टर बड़ी संख्यामें अपनी सेवाएं देती हैं।