Women's day Special: मोदी राज में कितनी सशक्त हुई आधी आबादी?
नई दिल्ली। विकास नहीं, महिलाओं के नेतृत्व वाला विकास- गाहे-बगाहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह बात कहते रहे हैं। पिछले चार सालों से महिला दिवस के मौके पर उनके भाषणों में इसका उल्लेख लगातार हुआ है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर नारी शक्ति पुरस्कार उनकी शुरू की गयी ऐसी परम्परा है जिसमें अलग-अलग क्षेत्रों में अनुकरणीय कार्य करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया जाता है।
तीन तलाक का खात्मा युगांतरकारी कदम
महिलाओं के लिए मोदी सरकार की अगर सबसे बड़ी देन अगर कोई बात है तो वह है तीन तलाक का ख़ात्मा। तमाम आलोचनाओं के बावजूद यह एक ऐसा कदम है जो सदियों की कुप्रथा को ख़त्म करता है। मुस्लिम महिलाओं के लिए नयी आज़ादी है यह कदम। राजनीतिक कारणों से संसद में पारित नहीं हो पाने के बावजूद जिस तरीके से अध्यादेश के जरिए इस पर सरकार ने अमल में लाया है, वह आने वाले समय में महिलाओं के लिए ‘मील का पत्थर' साबित होगा। मुस्लिम महिलाएं अब अकेले भी हज पर जा सकेंगी। उन्हें अब ‘मरहम' की जरूरत नहीं रहेगी। मोदी सरकार का यह कदम मुस्लिम महिलाओँ को उनके पैरों पर खड़ा करने की दिशा में यह बड़ा कदम है। इससे महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ेगा।
कैबिनेट में भी महिला सशक्तिकरण के दर्शन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में महिला सशक्तिकरण दिखता है। रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री, कपड़ा मंत्री,पेयजल स्वच्छता मंत्री, महिला एवं बाल विकास मंत्री, खाद्य प्रसंस्करण एवं उद्योग मंत्री सभी महिलाएं हैं। क्रम से ये नाम हैं निर्मला सीतारमन, सुषमा स्वराज, स्मृति ईरानी, उमा भारती, मेनका गांधी और हरसिमरत कौर बादल। देश को पहली पूर्णकालिक रक्षा मंत्री के रूप में निर्मला सीतारमन का मिलना भी महिला सशक्तिकरण का उदाहरण है।
महिला पायलट में भारत आगे
विश्व में सबसे ज्यादा महिला पायलट भारत में हैं। संख्या में भी और प्रतिशत में भी। भारत में कुल 8297 पायलटों में महिला पायलट 1092 हैं। दुनिया में 5.4 फीसदी की तुलना में यह 12.4 फीसदी है। महिला कप्तान की संख्या भी 385 है। अब महिलाएं लड़ाकू विमान भी उड़ाने लगी हैं। 19 फरवरी 2018 को उन्होंने यह उपलब्धि हासिल की थी जब उन्होंने गुजरात के जामनगर एयर बेस से अकेले ही फाइटर एयरक्राफ्ट मिग 21 उड़ाया। अवनी केसाथ मोहना सिंह और भावना कंठ को भी लड़ाकू पायलट घोषित किया गया। तीनों ही भारतीय वायु सेना के लड़ाकू बेड़े में शामिल की गयी हैं। शुभांगी स्वरूप के रूप में भारतीय नेवी को पहली महिला पायलट भी मिली हैं। शुभांगी के साथ-साथ आस्था सहगल, ए रूपा और शक्तिमाया को भी नेवी के शस्त्र विभाग की जांच विभाग में नियुक्त किया गया।
मोदी के राज में ही गणतंत्र दिवस परेड में महिला कमांडो ने हैरतअंगेज करतब दिखाए। 106 महिला कमांडो ने 26 बाइक पर तीन किमी तक करतब दिखाए। तीनो सेनाओं के एक विशेष महिला दस्ते ने मार्च कर देश का गौरव बढ़ाया। ऑल वूमन टीम ने नाविक सागर परिक्रमा अभियान को पूरा कर भारतीय नारी शक्ति को नयी पहचान दिलायी। लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी ने इस दल का नेतृत्व किया। एक ऐसे रेलवे स्टेशन का विकास किया गया है जिसे केवल महिला ही सम्भाल रही हैं। यह है जयपुर का गांधीनगर रेलवे स्टेशन। गांधीनगर रेलवे स्टेशन को स्टेशन मास्टर से लेकर गेटमैन तक 40 महिलाओं की टीम सम्भाल रही हैं।
लोगों के नजरिए में आया फर्क, मातृत्व अवकाश अब 26 हफ्ते
महिला भ्रूण हत्या, लिंग भेद की रोकथाम और बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसे अभियानों से महिलाओं के प्रति लोगों के नजरिए में बड़ा फर्क आया है। उज्जवला योजना के तहत 8 करोड़ महिलाओं को गैस कनेक्शन देने की कवायद क्रांतिकारी कदम है। मातृत्व अवकाश को 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ते कर देन को भी महिलाएं भुला नहीं सकेंगी। 50 या उससे ज्यादा कर्मचारियों वाले सस्थान में नवजात व बच्चों के लिए क्रेच की सुविधा भी महिलाओं के लिए सहानुभूतिपूर्ण नजरिए का विस्तार है। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए 6000 रुपए का नकद प्रोत्साहन भी उल्लेखनीय है। प्रधानमंत्री कौशल विकास में महिलाओं की भागीदारी, उन्हें 10 लाख से 1 करोड़ तक का लोन दिलाने से उनके जीवन में बड़ा फर्क देखने को मिलेगा। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना में 13 करोड़ से अधिक के लोन में 70 फीसदी लाभुक महिलाएं हैं। यह बात भी छोटी नही है। अब तक 11 लाख से अधिक महिलाओं को अलग-अलग हुनर में प्रशिक्षित किया जा चुका है।
पासपोर्ट बनाना महिलाओं के लिए आसान
महिलाओँ के लिए पासपोर्ट बनाना अब आसान हो गया है। इसके लिए शादी या तलाक के सर्टिफिकेट की अनिवार्यता समाप्त कर दी गयी है। महिलाओं के लिए वन स्टॉप सेंटर बने हैं। हेल्पलाइन से जुड़ी इस सुविधा में 24 घंटे आपातकालीन सुविधा उपलब्ध है। महिलाओं के लिए हेल्पलाइन 181, ऑनलाइन शिकायत की सुविधा, एसिड अटैक की शिकार पीड़िताओँ को दिव्यांगों जैसी मदद, मृत्यु प्रमाण पत्र में विधवा का नाम दर्ज करना जरूरी, मोबाइल में पैनिक बटन, विडो होम, कामकाजी महिलाओं के लिए हॉस्टल, देह व्यापार से बचाई गयी महिलाओँ को आश्रय उपलब्ध कराने जैसे काम किए गये हैं। महिलाओँ की तरक्की के लिए मोदी सरकार में प्रयास दिखते हैं, इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता। मगर, वास्तविकता यही है कि महिलाओं के लिए भारत सबसे ख़तरनाक देश बना हुआ है। सकारात्मक बात ये है कि अगर प्रयास है तो ख़तरनाक स्थिति भी एक दिन जरूर बदेलगी।
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