Womens day 2020: मिलिए सेनाओं की उन ऑफिसर्स से जिन्होंने असंभव को संभव किया
नई दिल्ली। एक और महिला दिवस आ गया है और एक बार फिर उन वादों पर नजर दौड़ाई जाएगी जो पिछले कई वर्षों में अलग-अलग सेक्टर में किए गए थे। बाकी सेक्टर्स से अलग अगर देश की सेनाओं की बात करें तो इस क्षेत्र में वाकई पिछले कई सालों से एक बदलाव देखने को मिलने लगा है। इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) में जहां अब फाइटर पायलट के तौर पर महिलाओं को तैनाती मिलने लगी है तो वहीं सेना में भी कॉम्बेट रोल के लिए महिलाओं की भूमिका बढ़ाने पर चर्चा शुरू हो गई है। सेनाओं में हजारों लेडी ऑफिसर्स हैं जिन्होंने अपनी सफलता से कई युवा लड़कियों को प्रेरणा दी है।
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ले. जनरल की रैंक तक पहुंचने वाली लेडी ऑफिसर माधुरी
29 फरवरी को मेजर जनरल से माधुरी कानितकर, लेफ्टिनेंट जनरल माधुरी कानितकर के तौर पर प्रमोट हो गईं। वह देश की सेनाओं की तीसरी ऐसी ऑफिसर हैं जिन्हें इस पद पर नियुक्ति मिली। ले. जनरल माधुरी से पहले इंडियन नेवी की थ्री स्टार फ्लैग ऑफिसर रहीं डॉ. पुनिता अरोड़ा को यह उपलब्धि हासिल हुई थी। ले. जनरल माधुरी को आर्मी हेडक्वार्टर में इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ में तैनात किया गया है, जो चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के तहत आता है। ले. जनरल माधुरी पुणे स्थित आर्म्ड फोर्स मेडिकल कॉलेज (एएफएमसी), की पूर्व डीन रह चुकी हैं। ले. जनरल माधुरी के पति राजीव कानितकर भी लेफ्टिनेंट जनरल के पद से रिटायर हो चुके हैं। कानितकर दंपति देश की सेनाओं के पहले ऐसे दंपति हैं जिन्होंने यह रैंक हासिल की है। पति राजीव पिछले साल इस रैंक से रिटायर हुए हैं। पति नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) से गोल्ड मेडलिस्ट हैं तो वहीं पत्नी माधुरी को एएफएमसी से गोल्ड मेडल हासिल कर चुकी हैं। माधुरी, सेना की पहली ट्रेंड पीडिअट्रिक नेफ्रोलॉजिस्ट हैं।
सियाचिन पर लैंड करने वाली स्क्वाड्रन लीडर खूशबू
लेफ्टिनेंट जनरल माधुरी के बाद आपको मिलवाते हैं स्क्वाड्रन लीडर खुशबू गुप्ता से। आईएएफ की हेलीकॉप्टर पायलट खुशबू देश की पहली महिला हेलीकॉप्टर पायलट हैं जिन्होंने सियाचिन स्थित फॉरवर्ड पोस्ट पर लैंडिंग की थी। खराब मौसम और लगातार यह बात सुनने के बाद कि वह इस उपलब्धि को हासिल नहीं कर सकती हैं, खुशबू ने यह महान गौरव अपने नाम किया। स्क्वाड्रन लीडर खुशबू इस समय लेह, लद्दाख स्थित आईएएफ की 114 हेलीकॉप्टर यूनिट जिसे सियाचिन पायनियर्स कहते हैं, वहां पर सर्व कर रही हैं। उनके अलावा एक और लेडी ऑफिसर हैं जो इस काम को बखूबी अंजाम दे रही हैं। जिस यूनिट के साथ खूशबू तैनात हैं, उसका मोटो है-' हम रोजाना मुश्किल काम करते हैं। असंभव को पूरा होने में थोड़ा ज्यादा समय लगता है।' निश्चित तौर पर खूशबू देश की उन तमाम युवा लड़कियों के लिए प्रेरणा हैं जो जिंदगी में कुछ अलग करना चाहती हैं।