हाथरस केस: TMC महिला सांसद का आरोप-पुलिसकर्मी ने खींचा ब्लाउज, SDM ने कहा-गलत आरोप
हाथरस: यूपी के हाथरस में दलित युवती के साथ हुई अमानवीयता के बाद मौत के प्रकरण से देश में रोष व्याप्त है। घटना के बाद से लगातार राजनीतिक दल हाथरस पीड़िता के घर जाने की कोशिश कर रहे हैं। शुक्रवार को पश्चिम पंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने भी पीड़ित परिवार के पास पहुंचने की कोशिश की। हालांकि, पुलिस ने उन्हें गांव के बाहर रोक दिया। इस दौरान धक्कामुक्की में सांसद डेरेक ओ'ब्रायन सड़क पर गिर पड़े तो टीएमसी की महिला सांसद प्रतिमा मंडल और ममता ठाकुर ने ब्लाउज खींचे जाने का आरोप लगाया है।
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तृणमूल कांग्रेस का एक चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को हाथरस के बूलगढ़ी गांव जाने के प्रयास में था। जिला प्रशासन की टीम ने इनको रोकने का प्रयास किया। जिसमें राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन के साथ प्रशिक्षु आइएएस अधिकारी पीपी मीणा ने धक्का-मुक्की की। जिससे वह जमीन पर गिर पड़े। इसके बाद हंगामा होने लगा। तृणमूल की नेता ममता ठाकुर ने कहा कि महिला पुलिसकर्मियों ने हमारे ब्लाउज खींचे और हमारी सांसद प्रतिमा मंडल पर लाठीचार्ज किया, वह भी नीचे गिर गईं।
उन्होंने कहा कि, फीमेल पुलिस के होते हुए मेल पुलिस ने हमारी सांसद को छूआ। यह शर्म की बात है। डॉ. कालोली घोष दस्तीदार ने कहा कि डेरेक ओ ब्रायन पर हमला किया गया है। जिला प्रशासन ऐसा कैसे कर सकता है। हमले में ब्रायन घायल भी हैं। टीएमसी सांसद प्रतिमा मंडल ने कहा, 'हमें ममता बनर्जी की ओर से कथित बलात्कार पीड़िता के परिवार से मिलने के लिए भेजा गया ताकि हम अपनी संवेदना व्यक्त कर सकें। हालांकि हमने अपना परिचय दिया, लेकिन हमें उनसे (पीड़ित परिवार) मिलने नहीं दिया गया और पुलिस की ओर से धक्का-मुक्की की गई। यदि वे एक महिला सांसद का सम्मान नहीं कर सकते हैं तो आम लोगों की स्थिति की कल्पना करें।
#WATCH We were going to meet her family but there were not allowing us. When we insisted, the women Police personnel pulled at our blouses and lathi-charged at our MP Pratima Mondal. She fell down. The male Police officers touched her. This is shameful: Mamata Thakur, TMC https://t.co/404nqZhjl5 pic.twitter.com/Nxc9SLeMWY
— ANI (@ANI) October 2, 2020
महिला एमपी को मेल पुलिसकर्मियों द्वारा छुए जाने पर हाथरस सदर एसडीएम पीपी मीणा ने सफाई देते हुए बताया कि, आरोप पूरी तरह से झूठे हैं। महिला कांस्टेबलों ने उनसे वापस जाने का अनुरोध किया क्योंकि किसी को भी गांव में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। जब वे जबरन गांव के अंदर जाने की कोशिश कर रहे थे। जिसके बाद महिला पुलिसकर्मियों ने उन्हें जाने से रोक दिया।
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