लॉकडाउन की सबसे अधिक मार पड़ी महिलाओं पर, गंवानी पड़ी नौकरी, सर्वे में सामने आए अहम वाले आंकड़े
नई दिल्ली। कोरोना महामारी पूरी दुनिया के लिए बड़ा संकट लेकर आई, लाखों लोगों की इस महामारी की वजह से जान चली गई, करोड़ो लोग इस संक्रमण की चपेट में आए। भारत में कोरोना का असर अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा हुआ, यहां तकरीबन 50 लाख लोग कोरोना की चपेट में आए जबकि 80 हजार से अधिक लोगों की कोरोना की वजह से जान जा चुकी है। कोरोना के चलते देश में उद्योग-धंधों पर काफी बुरा असर पड़ा, जिसके चलते लाखों लोगों का रोजगार छिन गया। लेकिन सबसे ज्यादा कोरोना का असर देश में महिलाओं पर हुआ है।
20 राज्यों में किया गया सर्वे
एक सर्वे के अनुसार कोरोना संकट में महिलाओं का रोजगार लॉकडाउन में सबसे अधिक छिना। 20 राज्यों में किए गए सर्वे में 3221 महिलाओं ने अपनी प्रतिक्रिया दी। लॉकडाउन के बाद 79.20 फीसदी महिलाओं की नौकरी चली गई है, जबकि पुरुषों की बात करें तो लॉकडाउन के बाद 51.6 फीसदी लोगों की नौकरी चली गई। ये वो लोग हैं असंगठित क्षेत्र में काम करते थे। यह सर्वे एक्शन एड एसोसिएशन नाम की संस्थान ने किया है। जिसे मई जून के बीच किया गया और इस सर्वे में कुल 11537 लोगों ने हिस्सा लिया, जिसमे 28 फीसदी महिलाओं यानि 3221 ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
बचत से करना पड़ा जीवन-यापन
लोगों के घरों में काम करने वाली 85 फीसदी महिलाओं की लॉकडाउन में नौकरी चली गई। नौकरी जाने की वजह से इन महिलाओं को अपनी बचत पर जीवन यापन करना पड़ा और अपने खर्चों में कटौती करनी पड़ी। तकरीबन 99 फीसदी महिलाओं को अपने बचत पर जीवन चलाना पड़ा। जबकि 68 फीसदी महिलाओं का कहना है कि इस संकट के दौरान उनपर काफी कर्ज हो गया क्योंकि लॉकडाउन में उनका रोज का खर्च नहीं निकल पा रहा था।
बड़ी संख्या में गई नौकरी
जिन महिलाओं ने इस सर्वे में हिस्सा लिया उसमे से 90 फीसदी महिलाएं लॉकडाउन से पहले काम कर रही थीं। जबकि 85 फीसदी पुरुष इस दौरान काम कर रहे थे। लेकिन मई के दूसरे हफ्ते तक 79 फीसदी महिलाओं की नौकरी चली गई, जबकि 75 फीसदी पुरुषों की नौकरी इस दौरान चली गई। 1788 महिलाओं ने अपने काम काज की जानकारी दी। 401 महिलाएं घर में काम करती थीं, 409 महिलाएं खेती के काम में व्यस्त थीं, जिसमे मजदूरी, फसल काटना आदि शामिल है।
मजदूरी मिलना भी मुश्किल
तकरीबन 52 फीसदी महिलाओं का कहना है कि उन्हें लॉकडाउन के दौरान कोई पैसा नहीं मिला, जबकि 46 फीसदी पुरुषों को लॉकडाउन के दौरान पैसे नहीं मिले। तकरीबन 16 फीसदी महिला और पुरुषों को उनकी सैलरी के कुछ ही पैसे दिए गए। जबकि 32 फीसदी महिलाओं और 37 फीसदी पुरुषों को उनकी पूरी सैलरी मिली।