Women's Day: केरल की इस महिला ने 'ब्रेस्ट टैक्स' के विरोध में काट दिए थे अपने दोनों स्तन
मुंबई में महिला दिवस के मौके पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें इतिहास की उस साहसिक महिला को सम्मानित किया गया जिसको शायद ही कोई जानता हो। ये महिला केरल की नंगेली थीं जिन्होंने सत्ता में बैठे लोगों के खिलाफ आवाज उठाई और विरोध में अपने दोनों स्तन काट दिए थे।
नई दिल्ली। मुंबई में महिला दिवस के मौके पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें इतिहास की उस साहसिक महिला को सम्मानित किया गया जिसको शायद ही कोई जानता हो। ये महिला केरल की नंगेली थीं जिन्होंने सत्ता में बैठे लोगों के खिलाफ आवाज उठाई और विरोध में अपने दोनों स्तन काट दिए थे। 19वीं सदी में नंगेली ने त्रावणकोर के राजा द्वारा लगाए 'ब्रेस्ट टैक्स' के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। उन्होंने महिलाओं के हक के लिए अपनी जिंदगी कुर्बान कर दी।
नंगेली को किया गया सम्मानित
मुंबई में आयोजित कार्यक्रम में आरजे मलिश्का मेंडोसा, वकील-एक्टिविस्ट आभा सिंह और एनवारमेंटलिस्ट एल्सी ग्रेबियल शामिल हुईं। कार्यक्रम में उन्होंने नंगेली को याद कर उनके जज्बे को सलाम किया। आभा सिंह ने कहा कि सड़कों के नाम राजनेताओं के नाम पर होते हैं लेकिन क्रूर व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाने वाली नंगेली का नाम कहीं दर्ज नहीं है। वहीं एल्सी गेब्रियल ने कहा कि उस दौर में नंगेली ने बहुत हिम्मत दिखाई थी।
ब्राह्मणों ने निचली जाति की महिलाओं पर लगाया था टैक्स
त्रावणकोर साम्रज्य में महिलाओं को स्तन ढंकने के लिए राजा को कर देना पड़ता था जिसे 'स्तन कर' या 'मुल्लकरम' कहा जाता था। अगर महिलाएं अपना स्तन ढंकने की इच्छा रखती थीं तो उन्हें राजा को कुछ रुपये देने पड़ते थे। ये ब्राह्मणों ने निचली जाति की महिलाओं पर लगाया था। 'निचली' जाति की नंगेली ने इस कर को देने से इनकार कर इसके खिलाफ बगावत कर दी थी।
विरोध में नंगेली ने काट दिए थे अपने स्तन
गांव का अधिकारी जब उसके घर 'स्तन कर' वसूलने आया तो उसने पैसे देने से इनकार कर दिया। गुस्से में आकर नंगेली ने ऐसा साहसिक कदम उठाया जिससे आने वाले समय में 'स्तन कर' ही खत्म कर दिया। नंगेली ने अपने दोनों स्तन काट कर अधिकारी को केले के पत्ते पर सौंप दिया।
महिलाओं को कर से कराया मुक्त
ज्यादा खून बहने से नंगेली की उसीदिन मौत हो गई लेकिन जो आग वो महिलाओं के अंदर जगा के गईं, वो बुझी नहीं। उनकी मौत के बाद बाकी महिलाओं में भी हिम्मत आई और उन्होंने 'स्तन कर' देने से मना कर दिया। महिलाओं के विरोध के बाद त्रावणकोर में 'स्तन कर' पूरी तरह से खत्म हो गया। जिस जगह नंगेली रहती थी, उसे आज मुलाचिपाराम्बु के नाम से जाना जाता है यानि स्तन वाली महिला की जगह।