पुलवामा हमला: जम्मू कश्मीर में CPRF के मूवमेंट से जुड़े नियम बदले, अब काफिले में 40 से ज्यादा गाड़ियों पर पाबंदी
श्रीनगर। जम्मू कश्मीर में अब सीआरपीएफ रैंक के ऑफिसर कॉन्वॉय यानी काफिले को लीड करेंगे। नए नियमों के तहत अब यह निर्देश दिए गए हैं और इनका पालन सख्ती से करना जरूरी होगा। सीआरपीएफ सूत्रों की ओर से इस बात की जानकारी दी गई है। 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद यह नियम लागू किया गया है। सीआरपीएफ काफिले पर हुए आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे। इसके अलावा कुछ और जरूरी निर्देश घाटी में सीआरपीएफ को लिए जारी किए गए हैं। इंग्लिश डेली हिन्दुस्तान टाइम्स की ओर से यह जानकारी दी गई है।
40 से ज्यादा गाड़ियों की इजाजत नहीं
जो नए नियम आए हैं उनके तहत एक कॉन्वॉय में 40 से ज्यादा गाड़ियां नहीं होंगी। इसके अलावा काफिले में बुलेट प्रूफ और हथियारों से लैस गाड़ियों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। एक अधिकारी के मुताबिक अर्धसैनिक बल के लिए नए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रॉसिजर (एसओपी) आए हैं जिनके तहत इन कुछ खास निर्देशों को पालन करना होगा। पुलवामा आतंकी हमले के एक माह से ज्यादा समय के बाद विचार-विमर्श करके इन नए नियमों को लागू किया गया हैं। 14 फरवरी को पुलवामा में जिस समय सीआरपीएफ काफिले को निशाना बनाया गया उस समय करीब 78 बसें काफिले में मौजूद थीं जिसमें करीब 2500 जवान सवार थे।
कश्मीर में हैं 50 से ज्यादा बटालियन
सीआरपीएफ, जम्मू कश्मीर घाटी में काउंटर इनसर्जेंसी ऑपरेशंस में भूमिका अदा करने वाला अहम बल है। इस समय राज्य में सीआरपीएफ की करीब 50 से ज्यादा बटालियन हैं और हर बटालियन में 1,000 से ज्यादा जवान हैं। जवानों को भी निर्देश दिए गए हैं कि मूवमेंट के समय 'पैसेंजर मेनिफेस्ट डिसिप्लीन' का पालन करें। कॉन्वॉय कमांडर को हर पल तीन सीआरपीएफ डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल के साथ संपर्क में रहना होगा जो कश्मीर में तैनात होंगे। इन नए नियमों से पहले जम्मू कश्मीर में कॉन्वॉय को एक जूनियर ऑफिसर लीड करता था।
आगे आने वाले समय में आएंगे नए नियम
सूत्रों की मानें तो आने वाले समय में कुछ और बदलाव देखने को मिल सकते हैं। अधिकारियों के मुताबिक ऑफिसर के कॉन्वॉय को लीड करने और गाड़ियों की संख्या कम करने का मकसद सिर्फ एक ही है। इस नए नियम की वजह से आपसी सामंजस्य और नियंत्रण के अलावा इसे कमांड करने में आसानी रहेगी। शनिवार को भी बनिहाल में सीआरपीएफ काफिले को निशाना बनाने की कोशिश की गई थी। इस काफिले में करीब 30 गाड़ियां जवानों को लेकर जा रही थीं।