25 साल से बीमार गायों की सेवा कर रहीं जर्मनी की इरिना को मिली भारत में और रहने की इजाजत
मथुरा। पिछले कुछ दिनों जर्मनी की महिला फ्रेडरिक इरिना ब्रूनिंग काफी चर्चा में हैं। इरिना पिछले दिनों उस समय खासी नाराज हो गई थीं जब उनके वीजा की अवधि बढ़ाने से इनकार कर दिया गया था। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के हस्तक्षेप के बाद अब इरिना का वीजा बढ़ा दिया गया है और उन्हें भारत में रहने की इजाजत मिल गई है। सुषमा स्वराज ने सोमवार का इस पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी और उनके लिए नए वीजा की मंजूरी दी।इरिना जिन्हें मथुरा में लोग सुदेव दासी के नाम से भी जानते हैं, उन्होंने पद्मश्री तक लौटाने की घोषणा कर डाली थी।
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सुषमा को कहा थैंक्यू
इरिना इसलिए भी मथुरा और आसपास के इलाकों में मशहूर हैं क्योंकि वह एक दो नहीं बल्कि पूरे 1800 गायों की देखभाल करती हैं। जिन गायों की देखभाल इरिना करती हैं, वे स्वस्थ नहीं बल्कि बीमार गायें हैं। इरिना का वीजा एक वर्ष तक के लिए बढ़ाया गया है। वीजा बढ़ाए जाने के बाद इरिना ने कहा कि वीजा से जुड़ी उनकी समस्या का समाधान हो गया है। उन्हें बताया गया है कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उनके मामले का संज्ञान लिया। इसके साथ ही उन्होंने सुषमा का आभार भी व्यक्त किया।
25 वर्ष पहले आई थीं भारत
इरिना 25 वर्ष पहले जर्मनी की राजधानी बर्लिन से भारत आई थीं और तब से वह यहीं पर रह रही हैं। आज 61 वर्ष की इरिना की उम्र उस समय करीब 35 वर्ष थी और फ्रेडरिक वह यहां पर आवारा गायों की बदहाली देखकर वह परेशान हो गई थीं। उस समय ही उन्होंने फैसला किया कि वह पूरी जिंदगी यहीं रहकर इन जानवरों की देखभाल करेंगी। इसके बाद इरिना ने हिंदू धर्म अपना लिया और उनका नाम इरिना से बदलकर सुदेवी दासी हो गया। आज इरिना के आश्रम में करीब 2500 गायें हैं।
अब तक एक करोड़ 56 लाख रुपए खर्च
इरिना बताती हैं कि गौशाला के अधिकतर जानवरों को उनके मालिक ने छोड़ने के बाद फिर से अपना लिया था और उन्हें अपने साथ ले गए। न्यूज एजेंसी एएफपी की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक इरिना ने गायों की सुरक्षा पर अब तक 225,000 अमेरिकी डॉलर यानी एक करोड़ 56 लाख रुपए खर्च कर डाले हैं। ये रकम इरिना की जमा पूंजी थी।
प्रतिमाह 45,000 डॉलर का खर्च
मथुरा में गायों के लिए इरिना जो शेल्टर चलाती हैं, उस पर प्रति माह करीब 45,000 डॉलर का खर्च आता है। कई गाएं यहां पर तब लाई गईं जब वह अंधी हो चुकी थीं या फिर सड़क हादसों में बुरी तरह से जख्मी हो गई थीं। वहीं ज्यादातर प्लास्टिक और दूसरा कचरा खाकर बीमार हुईं गायों को यहां पर लाया जाता है। ब्रूनिंग ने वीजा की अवधि बढ़ाए जाने पर भारत सरकार का शुक्रिया भी अदा किया है।वह कहती हैं कि बूढ़ी या बीमार गाय को काटना कोई हल नहीं है। इरिना के शब्दों में, 'गायों की हत्या करना वह सबसे निकृष्ट कार्य है जो आप कर सकते हैं। '