काश नीतीश प्रधानमंत्री होते, राजगीर में आवभगत से गदगद सिख श्रद्धालु बोले
पटना।
देश–विदेश
से
आये
सिख
श्रद्दालुओं
ने
नीतीश
कुमार
को
भारत
का
प्रधानमंत्री
होने
की
दुआ
की
है।
उनके
मुताबिक
नीतीश
ने
सिख
धर्म
के
लिए
जो
समर्पण
और
आदर
दिखाया
है
वो
दुर्लभ
है।
कितना
अच्छा
होता
जो
वे
भारत
के
प्रधानमंत्री
होते।
हमारी
दुआएं
उनके
साथ
हैं।
पटना
के
नजदीक
राजगीर
में
27
से
29
दिसम्बर
तक
गुरुनानक
देव
जी
का
550
वां
प्रकाशोत्सव
मनाया
गया।
गुरु
नानक
देव
जी
1507
ईस्वी
में
राजगीर
आये
थे।
उनके
राजगीर
आने
की
स्मृति
में
550
वें
प्रकाशोत्सव
को
हर
मायने
में
एतिहासिक
बनाया
गया।
मुख्यमंत्री
नीतीश
कुमार
ने
खुद
अपनी
देखरेख
में
इस
आयोजन
की
व्यवस्था
की
थी।
स्वागत-सत्कार
और
अन्य
इंतजामों
से
सिख
श्रद्धालु
इतने
गदगद
हो
गये
कि
उन्होंने
यहां
तक
कह
दिया
कि
ऐसी
व्यवस्था
तो
पंजाब
में
भी
कभी
नहीं
हुई।
ये
सिख
श्रद्धालु
नीतीश
कुमार
के
नेशनल
और
इंटरनेशनल
ब्रांडिंग
के
लिए
राजदूत
का
काम
कर
रहे
हैं।
भारत
की
राजनीति
में
नीतीश
कुमार
का
कद
इसलिए
भी
बढ़ा
है
क्यों
कि
उन्होंने
सामाजिक-धार्मिक
सद्भाव
के
लिए
गहरी
दिलचस्पी
दिखायी
है।
ऐसे हो रही नीतीश की नेशनल- इंटरनेशनल ब्रांडिंग
नीतीश कुमार पिछले तीन साल से सिख श्रद्धालुओं की आंखों का तारा बने हुए हैं। 2016 में गुरुगोविंद सिंह जी के 350 वें प्रकाशोत्सव पर पटना में भव्य समारोह का आयोजन हुआ था। नीतीश कुमार उस समय लालू के साथ सरकार चला रहे थे। इस समारोह में कनाडा, अमेरिका, इंग्लैंड समेत करीब 12 देशों से सिख श्रद्दालु आये थे। भारत के कई प्रातों के सिख भी यहां जुटे थे। 1 से 5 जनवरी 2016 तक ये आयोजन चला था। पटना के गांधी मैदान समेत चार जगहों पर सुविधासम्पन टेंट सिटी बसायी गयी थी। इनमें दस हजार से अधिक लोग ठहरे थे। लंगर के लिए 15 पंडाल लगे थे। पांच दिनों में करीब डेढ़ करोड़ लोगों ने लंगर छका था। तख्त हरिमंदिर साहिब पटना सिटी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य और लंगर इंचार्ज के मुताबिक लंगर छकने की ये संख्या उस समय एक रिकॉर्ड थी। तब पटना का मशहूर दशहरा उत्सव भी पीछे छूट गया था। हर तरफ गुरुवाणी की ही गूंज थी। इस आयोजन से नीतीश कुमार देश विदेश में चर्चित हो गये थे।
पटना गुरुगोविंद सिंह जी का जन्मस्थान
पटना सिख धर्म का दूसरा सबसे प्रमुख तख्त है। यह गुरु गोविंद सिंह जी का जन्मस्थान है। इसलिए नीतीश कुमार ने उनके 350वें प्रकाशोत्सव के आरंभ और समापन को ऐतिहासिक बनाने में दिनरात एक कर दिया था। हालांकि इस आयोजन के समय गंभीर राजनीतिक विवाद भी हुआ था। प्रकाशोत्सव के विशेष समागम में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी पटना आये थे। तब मंच पर प्रधानमंत्री के साथ नीतीश कुमार ही बैठे थे। सत्ता में साझीदार लालू यादव को जमीन पर बैठना पड़ा था। इस पर राजद ने नीतीश और भाजपा पर लालू को अपमानित करने का आरोप लगाया था। लेकिन इस विवाद का समारोह की भव्यता पर कोई असर नहीं पड़ा था। आयोजन को सफल बनाने के लिए नीतीश कुमार ने पंजाब के रहने वाले और बिहार के पूर्व मुख्य सचिव जी एस कंग को पटना बुलाया था। तब नीतीश पर ये आरोप लगा था कि वे अपनी छवि चमकाने के लिए राज्य का खजाना खाली कर रहे हैं। लेकिन उन्होंने इन बातों की परवाह नहीं की। उन्होंने गुरगोविंद सिंह के प्रकाशोत्सव के बाद गुरुनानक देव के प्रकाशोत्सव को भी धूमधाम से मनाने का फैसला किया। इस बार राजगीर में भव्य समारोह से नीतीश ने सिखों को फिर से मुरीद बना लिया।
राजगीर आयोजन का राजनीति महत्व
राजगीर में गुरु नानक देव जी के प्रकाशोत्सव के जरिये नीतीश ने एक बार फिर अल्पसंख्यकों के प्रति अपना समर्पण दिखाया है। उन्होंने सिख समुदाय से कहा कि जब तक मैं हूं, किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है। ऐसा कह कर वे अल्पसंख्यक समुदाय को आश्वस्त करना चाहते हैं कि वे ही उनके सच्चे हितैषी हैं। ये आवाज मुस्लिम समुदाय तक भी पहुंची है। भाजपा के साथ चुनाव लड़ने के कारण नीतीश को बार-बार ये भरोसा दिलना पड़ता है कि धर्मनिरपेक्षता के प्रति उनकी आस्था अटूट है। 2020 के विधानसभा चुनाव के पहले नीतीश कुमार आगे भी ऐसी कोशिशें करते रहेंगे। इन्ही कोशिशों के बल पर नीतीश चुनावी राजनीति के भरोसेमंद ब्रांड बने हैं।
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