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सर्दियों में लद्दाख में भारत-चीन का टकराव ले सकता है नया मोड़, LAC में बदल सकती हैं स्थितियां

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नई दिल्‍ली। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में जारी टकराव को 90 दिन होने वाले हैं। जहां टकराव वाले कुछ क्षेत्रों में डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया पूरी हो चुकी है तो कुछ जगह पर अभी तक चीन के जवान टिके हुए हैं। गर्मी में शुरू हुआ टकराव अब सर्दियों तक खींच सकता है। 15 जून को लद्दाख की गलवान घाटी में हुई हिंसा के बाद से टकराव नए मोड़ पर पहुंच गया है। चीन की पीपुल्‍स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के जवानों के साथ भारतीय सैनिकों की झड़प उस समय हुई जब गलवान नदी का तापमान जीरो के करीब था।

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सिंतबर से ही बदलने लगता है मौसम

75 साल बाद लाइन ऑफ एक्‍चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर टकराव हिंसक हुआ था। यहां पर कई जवान नदी में गिर गए थे। बहुत से जवान ऐसे थे जिनकी मृत्‍यु हाइपोक्सिया और हाइपोथरमिया की वजह से हुई थी। हाइपोक्सिया वह बीमारी है जिसमें ऊंचाई पर ऑक्‍सीजन का स्‍तर शरीर में बहुत गिर जाता है। वहीं हाइपोथरमिया में बहुत ज्‍यादा ठंड की वजह से होता है जिसमें फेफड़ों पर असर पड़ता है। ऐसे में माना जा रहा है कि सर्दियों में लद्दाख में नए समीकरण देखने को मिल सकते हैं। सेना सूत्रों के मुताबिक गलवान घाटी में शहीद हुए जवानों से जुड़ी यह जानकारी काफी अहम है। पूर्वी लद्दाख में सितंबर माह की शुरुआत से ही मौसम बदलने लगता है।

बर्फ सी ठंडी नदी में गिर गए चीनी जवान

हथियारों से लैस पीएलए के जवानों ने अचानक ही हमला बोल दिया था। भारतीय जवानों के अलावा कई चीनी जवान भी गलवान नदी में गिर गए थे। 16,000 फीट की ऊंचाई पर ऑक्‍सीजन की कमी ने भी चीनी जवानों को खासा परेशान किया था। जो बच गए उन्‍हें गलवान नदी के ठंडे पानी ने निशाना बना लिया। अभी तक यह बात सामने नहीं आई है कि चीन के कितने जवानों की मौत हो गई थी लेकिन माना जा रहा है कि भारत की तुलना में चीन के ज्‍यादा जवान हिंसा का शिकार बने थे। हिंसा के बाद पीएलए के हेलीकॉप्‍टर्स मृत और घायल जवानों को पास के हॉस्पिटल लेकर गए थे। विशेषज्ञों के मुताबिक सितंबर में तापमान जानलेवा नहीं होता लेकिन हवा बर्फ सी होती है। ऐसा वातावरण गलवान, गोगरा पोस्‍ट और हॉट स्प्रिंग्‍स में रहता है। यहां पर मौसम कभी भी बदल सकता है।

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English summary
Winter season will give a news twist to India-China standoff in Ladakh.
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