क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

क्या अब दुनिया को बचाएगा शाकाहारी खाना?

वैश्विक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में मवेशियों की हिस्सेदारी 14 फीसदी है. वहीं, इंसानी से जुड़ी गतिविधियों से पैदा होने वाली ग्रीन हाउस गैसों में मवेशियों की हिस्सेदारी 18 फीसदी है.

अगर दूसरी ग्रीन हाउस गैसों की बात करें तो खेती मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड के उत्सर्जन में बड़ी भूमिका अदा करती है.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
खानपान
Getty Images
खानपान

दुनिया की आबादी फिलहाल लगभग 7.7 अरब है जो कि साल 2050 तक 10 अरब हो सकती है.

ऐसे में वैज्ञानिकों ने एक डाइट प्लान बनाया है जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना इतनी बड़ी आबादी के लिए भोजन की आपूर्ति की जा सके. इसे प्लेनेटरी हेल्थ डाइट कहा गया है.

इस डाइट प्लान में मांस और डेयरी उत्पादों पर पूरी तरह प्रतिबंध नहीं लगाया गया है. हालांकि, ये सुझाव दिया गया है कि लोगों को प्रोटीन की आपूर्ति के लिए फलियों और दालों की ओर बढ़ना चाहिए.

इस प्लान के तहत आपको अपने रोज़ाना के खानपान में से उन ज़्यादातर चीज़ों को निकालना होगा जिन्हें आप अक्सर खाते हैं. और उन चीज़ों को शामिल करना होगा जिन्हें कम खाते हैं.

खानपान में होंगे कैसे बदलाव?

अगर आप हर रोज़ मांस खाते हैं तो कम करने वाली सबसे बड़ी चीज़ तो यही है.

अगर आप रेड मीट खाते हैं तो हफ़्ते में एक बर्गर और अगर जानवरों की आंतों से बनी डिश खाते हैं तो महीने में सिर्फ एक बार आपको ऐसी चीज़ें खानी चाहिए.

हालांकि, आप मछली से बने कुछ खाने का लुत्फ हफ़्ते में कई बार ले सकते हैं और हफ़्ते में एक बार ही चिकन खा सकते हैं. लेकिन इसके अलावा आपको प्रोटीन की आपूर्ति सब्जियों से करनी पड़ेगी.

शोधकर्ता दालें और फलियां खाने की सलाह देते हैं. हालांकि, स्टार्च वाली यानी कार्बोहाइड्रेट की आपूर्ति करने वाली सब्जियां जैसे आलू और अरबी की कटौती करनी होगी.

अफ़्रीकी देशों में ये सब्जियां बहुतायत में खाई जाती हैं.



तो फिर ऐसे में क्या खाया जाए?

अगर उन सभी चीज़ों की लिस्ट बनाएं जो कि आप किसी सामान्य दिन में खाएंगे तो उस लिस्ट में ये चीज़ें होंगी.

खानपान
BBC
खानपान

1 - सख्त छिलके वाली चीज़ें जैसे बादाम - 50 ग्राम

2 - सोयाबीन जैसी फलियां - 75 ग्राम

3 - मछली - 28 ग्राम

4 - मांस - 14 ग्राम रेड मीट और 29 ग्राम चिकन

5 - कार्बोहाइड्रेट - रोटी और चावल 232 ग्राम और 50 ग्राम स्टार्च वाली सब्जियां

6 - डेयरी - 250 ग्राम (एक ग्लास दूध)

8 - सब्जियां - 300 ग्राम और फल 200 ग्राम

इस डाइट में 31 ग्राम शुगर और 50 ग्राम ऑलिव ऑइल की गुंजाइश है.

क्या ये खाना बेस्वाद होगा?

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से जुड़े प्रोफेसर वॉल्टर विलेट भी इस मुद्दे पर किए गए शोध में शामिल रहे हैं.

खेतों के बीच अपना बचपन बिताने वाले प्रोफेसर विलेट कहते हैं कि वह दिन में तीन बार रेड मीट खाते थे लेकिन अब उनके खाने पीने की शैली प्लेनेटरी हेल्थ डाइट के मुताबिक़ ही रही है.

विलेट अपनी इस बात को उदाहरण देकर समझाते हैं, "वहां पर खाने की चीज़ों की तमाम किस्में होती थीं. आप इन चीज़ों को अलग अलग तरह से मिलाकर कई डिश तैयार कर सकते हैं."

क्या ये डाइट प्लान एक कल्पना है?

इस योजना के तहत दुनिया के हर हिस्से में लोगों को अपने खानपान की शैली को बदलना चाहिए.

यूरोप और उत्तरी अफ़्रीका को रेड मीट में भारी कटौती करने होगी. वहीं, पूर्वी एशिया को मछली खाने में कटौती करनी होगी. अगर अफ़्रीका की बात करें तो वहां पर लोगों को स्टार्च वाली सब्जियों को खाने में कटौती करनी होगी.

स्टॉकहोम युनिवर्सिटी में स्टॉकहॉम रेज़िलेंस सेंटर की निदेशक लाइन गॉर्डन कहती हैं, "मानवता ने कभी भी अपने खानपान को इस स्तर और इस गति से बदलने की कोशिश नहीं की है. अब रही बात इसके काल्पनिक होने या न होने की, तो कल्पनाओं को नकारात्मक होने की ज़रूरत तो नहीं है. अब वो समय आ गया है जब हम एक अच्छी दुनिया बनाने की सपना देखें."



किसके दिमाग़ का विचार है ये?

ईट-लांसेट आयोग की इस परियोजना में दुनियाभर के 37 वैज्ञानिक शामिल हैं जिनमें एग्रीकल्चर साइंटिस्ट से लेकर क्लाइमेट चेंज और न्यूट्रिशन जैसे विषयों पर शोध करने वाले विशेषज्ञ शामिल हैं.

इन लोगों ने दो सालों तक इस विषय पर शोध करने के बाद ये डाइट प्लान जारी किया है जो कि लांसेट नामक शोध जर्नल में प्रकाशित किया गया है.

10 अरब लोगों के लिए खाने की ज़रूरत

साल 2011 तक दुनिया की आबादी सात अरब तक थी जो कि फिलहाल 7.7 अरब तक पहुंच गई है.

लेकिन साल 2050 तक ये आंकड़ा बढ़ कर 10 बिलियन तक पहुंच जाएगा.

शोधकर्ताओं के मुताबिक़, इस डाइट प्लान से हर साल 1.1 करोड़ लोगों को मरने से बचाया जा सकेगा.

दरअसल, इन लोगों को खराब खानपान की वजह से होने वाली बीमारियों जैसे हार्ट अटैक, हार्ट स्ट्रोक्स और कैंसर से बचाया जा सकेगा.

दुनिया के विकसित देशों में ये बीमारियों लोगों की असमय मृत्यु की सबसे बड़ी वजहों से एक है.



दुनिया के लिए खेती कितनी बुरी?

दुनिया भर के वैश्विक ग्रीन हाउस उत्सर्जन में खेती और वनों को उगाने में इस्तेमाल भूमि की हिस्सेदारी लगभग 25 फीसदी है.

लगभग इतनी ही हिस्सेदारी बिजली, वातावरण करने की मशीनों, दुनिया की सभी ट्रेनों, हवाई जहाजों और ऑटोमोबाइल की है.

लेकिन अगर आप खाद्यान्न क्षेत्र का दुनिया के पर्यावरण पर असर समझें तो आपको पता चलेगा कि मांसाहार और डेयरी उत्पाद पर्यावरण के लिए बेहद नुकसानदायक हैं.

खानपान
Getty Images
खानपान

वैश्विक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में मवेशियों की हिस्सेदारी 14 फीसदी है. वहीं, इंसानी से जुड़ी गतिविधियों से पैदा होने वाली ग्रीन हाउस गैसों में मवेशियों की हिस्सेदारी 18 फीसदी है.

अगर दूसरी ग्रीन हाउस गैसों की बात करें तो खेती मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड के उत्सर्जन में बड़ी भूमिका अदा करती है.

इसी तरह से अगर पानी, खेती और खाद्यान्न के उत्पादन की बात करें तो ये एक बड़ा ख़तरा है क्योंकि ये दुनिया भर के पेयजल स्रोतों का 70 फीसदी हिस्से का उपभोग करते हैं.



क्या इस तरह से दुनिया बचेगी?

शोधकर्ताओं का उद्देश्य ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को भोजन की आपूर्ति करना थी.

लेकिन एक उद्देश्य ये भी था कि ऐसा करते हुए ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम किया जाए, किसी जीव को विलुप्त होने से रोका जाए, खेती योग्य भूमि के विस्तार को रोका जाए और जल संरक्षण किया जाए.

हालांकि, खानपान की शैली बदलने से ये उद्देश्य पूरा नहीं होगा.

ऐसा करने के लिए खाने की बर्बादी को रोका जाना और खेती में इस्तेमाल की जा रही ज़मीन में ज़्यादा से ज़्यादा अनाज़ पैदा करना ज़रूरी है.

मांसाहार पर प्रतिबंध

प्रोफेसर विलेट कहते हैं, "अगर हम सिर्फ ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने की बात कर रहे होते तो हम कहते कि सभी लोग शाकाहारी हो जाएं. लेकिन ये स्पष्ट नहीं था कि शाकाहारी भोजन सबसे स्वास्थ्यप्रद भोजन था."

ईट-लांसेट आयोग अपने इस शोध को लेकर दुनिया भर की सरकारों और विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसी संस्थाओं के पास जाएगी ताकि ये समझा जा सके कि ये संस्थाएं खानपान की शैली में बदलाव की शुरुआत कर सकती हैं या नहीं.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Will the world now save the vegan food
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X