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क्या अदनान सामी को पद्मश्री देने के बाद तस्‍लीमा नसरीन और तारिक फतेह को दी जाएगी भारत की नागरिकता

After awarding Padma Shri to Adnan Sami, the Modi government may grant Indian citizenship to writer Taslima Nasreen and Pakistani-born writer Tariq fateh. अदनान सामी को पद्मश्री देने के बाद लेखिका तस्‍लीमा नसरीन और पाकिस्तानी मूल के कनाडाई लेखक व मशहूर विचारक तारिक फतेह को भारत की नागरिकता दे सकती ह

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बेंगलुरु। पाकिस्‍तान से भारत आए अदनान सामी को भारत की नागरिकता मिले चार साल हो चुका हैं। अब उन्‍हें देश के 71वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया। देश भर में जहां नागरिकता कानून सीएए में मुसलमानों को जगह न दिए जाने से विपक्ष मोदी सरकार के खिलाफ लामबंद है वहीं पाकिस्‍तान से आए अदनान सामी को इतना बड़ा सम्मान देने पर भाजपा सरकार क्या दिखाना चाह रही है। विपक्ष ये भी सवाल उठा रहा है कि जिनके पिता ने 1965 की जंग में भारत पर हमला किया था उनके बेटे को पद्मश्री कैसे दिया जा सकता हैं।

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कहते है दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है क्या इसी तर्ज पर मोदी सरकार पश्चिचम बंगाल से निर्वासित लेखिका तस्‍लीमा नसरीन और पाकिस्तानी मूल के कनाडाई लेखक व मशहूर विचारक तारिक फतेह जो हमेशा पाकिस्‍तान के खिलाफत करते रहते हैं क्या अब उनको भारत की नागरिकता देकर विपक्ष को एक और झटका देगी?

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बता दें इस बार गणतंत्र दिवस पर 7 हस्तियों को पद्म विभूषण, 16 हस्तियों को पद्म भूषण और 118 हस्तियों को पद्मश्री पुरस्‍कार दिया गया। इन हस्तियों में 19 मुसलमान शामिल हैं। चूंकि देश में सीएए और एनसीआर को लेकर प्रदर्शन हो रहा है। ऐसे में अदनान सामी समेत कुल 19 मुसलमानों को देश का ये सम्मान देकर केन्‍द्र सरकार ने लोगों को ये संदेश देने की कोशिश की है कि जो उनकी सरकार मुस्लिम विरोधी बिलकुल नहीं हैं न ही इस देश में मुसलमानों को उत्‍पीड़न होता है । इन पुरस्‍कारों से वह यह साबित कर चुके है कि मुसलमानों को बराबर का हक और सम्‍मान हासिल है। जानकार मान रहे हैं कि तस्‍लीमा नसरीन जो लंबे समय से भारत की नागरिकता की मांग कर रही और पाकिस्‍तानी मूल के लेखक तारिक फतेह को भारत की नागरिकता देने पर आगे बढ़ सकती है।

 तारिक़ फ़तह इस्लामी अतिवाद के खिलाफत कर पाक की करते रहे मल्‍टीपलीद

तारिक़ फ़तह इस्लामी अतिवाद के खिलाफत कर पाक की करते रहे मल्‍टीपलीद

बता दें अदनान शामी करीब 16 वर्षों तक भारत में रहे और उन्‍होंने अपना करियर बनाने के लिए ही सही लेकिन पाकिस्‍तान को छोड़ दिया था। पाकिस्‍तान को भुला कर वो भारत के रंग में रच बस गए। यहां तक कि मोदी सरकार में पाकिस्‍तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की भी तारीफ भी उन्‍होंने तारीफ के पुल बांधे थे। जिस पर उनको पाकिस्‍तान की आलोचना भी खूब झेलनी पड़ी थी। अदनान सामी से कहीं अधिक तो तारिक फतेह पाकिस्‍तान के खिलाफ हर टीवी चैनल पर और अन्‍य मंचों पर मुखर रहते हैं। आए दिन पाकिस्‍तान और पाकिस्‍तानियों की पोल खोल कर मल्‍टीपलीद कर सुर्खियों में रहते हैं।

तारिक फतेह ख्वाहिश जाहिर करें तो मिल सकती है नागरिकता

तारिक फतेह ख्वाहिश जाहिर करें तो मिल सकती है नागरिकता

तारिक़ फ़तह दक्षिण एशिया और विशेष रूप से कट्टरपंथी भारतीय और पाकिस्तानी मुसलमानों की अलगाववादी संस्कृति के विरुद्ध भी बोलते हैं। तारिक़ फ़तह इस्लामी अतिवाद के ख़िलाफ़ बोलने और एक उदारवादी इस्लाम के पक्ष को बढ़ावा देने के लिये प्रसिद्ध हैं। मुसलमानों से जुड़े उन मुद्दों जैसे एक से ज़्यादा शादियाँ, बाल विवाह और गैरमुस्लिमों को काफ़िर कहने का जिस तरह से विरोध करते हैं, कट्टरपंथी मुसलमानों को वो हज़म नहीं होता। तारेक अपने आप को मुसलमान तो कहते है लेकिन ये भी कहते हैं कि उनके पूर्वज हिंदू थे। वो मानते हैं कि उनके इस्लाम की जड़ें यहूदीवाद में हैं और उनकी पंजाबी संस्कृति, सिखों से जुड़ी हुई है। ताकिर का कहना है कि पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री से बड़ा कोई बेवकूफ नहीं हैं।

सीएए पर दे चुके हैं ये बयान

तारिक फतेह ने तो यहां तक कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का विरोध करने वाले 'अलगाववादी मानसिकता' से ग्रसित हैं। सीएए विरोधी प्रदर्शनों में मुस्लिम महिलाओं के भाग लेने पर उन्होंने कहा कि अगर उनको आजादी चाहिए होती तो वे पहले बुर्के से आजादी मांगतीं, वह सीएए से आजादी क्या मांग रही हैं। अब जब अदनान शामी को भारत की नागरिकता देने के बाद उन्‍हें इतने बड़े सम्मान से नवाजा जा रहा तो तारिक फतेह ख्वाहिश जाहिर करें तो वह भी भारत की नागरिकता पा सकते हैं।

 मुस्लिम लेखिका लंबे समस ये कर रही भारत की नागरिकता के लिए संघर्ष

मुस्लिम लेखिका लंबे समस ये कर रही भारत की नागरिकता के लिए संघर्ष

ये वो ही भाजपा है जिसने विपक्ष में रहते हुए पहले अदनान सामी को भारत की नागरिकता देने का विरोध किया था और अब सत्ता में आने के बाद पहले अदनान को नागरिकता दी और अब पद्मश्री दिया है। ऐसे में अब बंगला देश की लेखिका तस्‍लीमा नसरीन जो कि लंबे समय से भारत की नागरिकता की मांग कर रही उनकी उम्मीद फिर से जाग गयी है। बांग्लादेश छोड़कर भागी मुस्लिम समुदाय की तस्लीमा नसरीन भी कई सालों से भारत की नागरिकता के लिए संघर्ष कर रही है। इतना ही नहीं उन्होंने तो मोदी सरकार के सीएए कानून की भी सराहना करते हुए स्‍वागत किया था। उन्‍होंने मोदी सरकार के सीएए के सपोर्ट में ये तक कहा था कि कानून मुस्लिम विरोधी नहीं है, ना ही किसी को निकाला जा रहा है। तस्‍लीमा ने एक बार बड़ी बेबाकी से कहा है भारत में लोग हिंदु विरोधी और मुसलमान समर्थक है।

उन्होंने ये भी कहा कि इन देशों में मुस्लिमों को गैर-मुस्लिमों से अधिक प्रताड़ना झेलनी पड़ती है, अगर वह धर्म के खिलाफ बोल देंते हैं तो। इसी आधार पर ऐसे उन्होंने गुहार लगाई थी कि ऐसे प्रताड़ित मुस्लिमों को भी नागरिकता कानून के तहत नागरिकता दी जानी चाहिए। जिसमें से वो भी एक हैं। बांग्लादेश के साथ कट्टर दुश्मनी नहीं है, वरना तस्लीमा नसरीन को भी शायद अब तक भारत की नागरिकता मिल चुकी होती।

बंगलादेश की न होती तो अब तक मिल गयी होती नागरिकता

बंगलादेश की न होती तो अब तक मिल गयी होती नागरिकता

उन्होंने ये भी कहा कि इन देशों में मुस्लिमों को गैर-मुस्लिमों से अधिक प्रताड़ना झेलनी पड़ती है, अगर वह धर्म के खिलाफ बोल देंते हैं तो। इसी आधार पर ऐसे उन्होंने गुहार लगाई थी कि ऐसे प्रताड़ित मुस्लिमों को भी नागरिकता कानून के तहत नागरिकता दी जानी चाहिए। जिसमें से वो भी एक हैं। बांग्लादेश के साथ कट्टर दुश्मनी नहीं है, वरना तस्लीमा नसरीन को भी शायद अब तक भारत की नागरिकता मिल चुकी होती।

इसलिए बंग्लादेश से किया गया निर्वासित

इसलिए बंग्लादेश से किया गया निर्वासित

पिछले 25 साल से बांग्लादेश से निर्वासित प्रख्यात लेखिका तस्लीमा नसरीन अपनी बाकी सारा जीवन भारत में बिताना चाहती हैं। तस्लीमा स्वीडन की नागरिक हैं और अस्थायी परमिट पर भारत में रह रही हैं। लेखिका तस्लीमा नसरीन पूर्व में पेशेवर डॉक्टर रही हैं। उन्हें 1994 में बांग्लादेश से निर्वासित कर दिया गया था। वे 1970 के दशक में कवि और लेखिका के रूप में उभरीं. वे 1990 में अपने खुले विचारों के कारण काफी प्रसिद्ध हो गईं। वे अपने नारीवादी विचारों वाले लेखों, उपन्यासों एवं इस्लाम व अन्य नारीद्वेषी मजहबों की आलोचना के लिए जानी जाती हैं। वे नारीवादी विचारों और आलोचनाओं के साथ ही इस्लाम की "गलत" धर्म के रूप में व्याख्या करती रही हैं. वह प्रकाशन, व्याख्यान और प्रचार द्वारा विचारों और मानवाधिकारों की आजादी की वकालत करती हैं।

भाजपा और अदनान दोनों में आया ये बदलाव

भाजपा और अदनान दोनों में आया ये बदलाव

हालांकि अदनान सामी का भाजपा को लेकर स्‍टैंड भी बड़ा ही रोचक हैं। पद्मश्री पाने के बाद अदनान सामी को जब ये सम्मान मिला तो कांग्रेस, एनसीपी, महाराष्‍ट्र सरकार ने जमकर मोदी सरकार पर हमला बोला। तब अदनान सामी ने केन्‍द्र सरकार की ओर से टक्कर दी। हालांकि अदनान सामी को यह सम्मान देना विपक्ष को इसलिए नहीं पच रहा क्योंकि ये ही भाजपा है जो विपक्ष में रहते हुए अदनान को नागरिकता देने का विरोध किया करती थी और देश में सरकार बनाने के बाद 2016 में अदनान सामी को नागरिकता दे दी और अब समाज में जो उन्‍होंने योगदान दिया उसके लिए उन्‍हें पद्श्री के लिए नवाजा गया। वहीं अगर अदनान सामी की बात करे ये वही सख्‍स है जो पहले बात-बात में विपक्ष पर पाकिस्‍तान चले जाने का जुमला कसा करते थे और अब भाजपा समर्थक अदनान शामी को लेकर फूले नहीं समा रहे हैं।

भाजपा के लिए अदनान सामी सबसे बड़े राष्‍ट्रवादी

भाजपा के लिए अदनान सामी सबसे बड़े राष्‍ट्रवादी

पाकिस्‍तान में जन्‍मे अदनान सामी को भाजपा अब सबसे बड़ा राष्‍ट्रवादी बताने से पीछे नहीं हट रहे। यानी पाकिस्तान में पैदा होने वाला मुसलमान भी एक राष्ट्रवादी-दक्षिणपंथी हो सकता है, अगर वह अदनान शामी के रास्‍ते पर चले। भले ही सीएए का विरोध इस बात को लेकर हो रहा है कि इसमें मुस्लिमों को नागिरकता देने का प्रावधान नहीं है, लेकिन पाकिस्तान से भारत आए मुस्लिम अदनान शामी को नागरिकता के बाद अब पद्मश्री तक दे दिया गया है। यानी एक पाकिस्तानी मुस्लिम को भी नागरिकता मिल सकती है, बशर्तें उसके दिल में भारत के लिए सम्मान और देशभक्ति हो। ऐसे में तारिक फतेह को तो केन्‍द्र सरकार अगर भारत की नागरिकता दे दें तो इसमें कोई ताज्जुब करने की बात नहीं होगी।

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English summary
After awarding Padma Shri to Adnan Sami, the Modi government may grant Indian citizenship to writer Taslima Nasreen and Pakistani-born writer Tariq fateh.
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