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क्या उत्तर से निराश होकर दक्षिण भारत के भरोसे लोकसभा चुनाव में उतरेगी बीजेपी?

मोदी ने अपने भाषण में एलडीएफ और यूडीएफ को लेकर तेवर सख़्त रखे थे. उन्होंने कहा कि ये दोनों बारी-बारी से सत्ता अपने पास रखते हैं और आम लोगों की बात को नज़रअंदाज़ करते हैं.'

मोदी अपने 2014 के चुनावी अभियान की लाइन सबका साथ सबका विकास दोहराते हैं.

वो कहते हैं, "मानवता मायने रखती है. हम किस जाति से हैं, क्या भाषा बोलते हैं और किस संस्कृति से नाता रखते हैं... ये बातें मायने नहीं रखती हैं. क्योंकि हमारा खून एक ही है."

By BBC News हिन्दी
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नरेंद्र मोदी
Reuters
नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए अपना चुनावी अभियान शुरू कर दिया है. केरल के तिरुअनंतपुरम के दौरे पर मोदी ने कांग्रेस और वाम मोर्चे वाली सरकार पर तीखा हमला किया है.

मोदी ने एक ओर जहां अपनी सरकार के काम की तारीफ़ की और भारत को सबसे तेजी से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था बताया, वहीं दूसरी ओर सीपीएम की अगुवाई में एलडीएफ और कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ को एक जैसी पार्टी बताया.

कोल्लम में नरेंद्र मोदी ने कहा, "यूडीएफ और एलडीएफ एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. ये सिर्फ नाम से अलग हैं लेकिन दोनों जातिवाद, सांप्रदायिकता और संस्कृति को बर्बाद करने के मामले में एक जैसे हैं. दोनों राजनीतिक हिंसा में शामिल रहते हैं और केरल के लोगों को धोखा देते हैं."

राजनीतिक विश्लेषकों ने मोदी के इस अभियान को 'रणनीतिक कदम' बताया.

माना जा रहा है कि हिंदी भाषी राज्यों में विधानसभा चुनावों में कांग्रेस से मिली हार के बाद भारतीय जनता पार्टी अब दक्षिण, पूर्वी और उत्तर पूर्वी राज्यों में अपना ध्यान केंद्रित करेगी.



दक्षिण में पैर पसारेगी बीजेपी

बीजेपी ने ये कदम आने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए उठाया है. दक्षिण भारत में कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी की पकड़ अच्छी है.

इसके बाद अब बीजेपी केरल, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में पैर पसारने की कोशिश कर रही है.

द्रविड़ पार्टियों के गढ़ तमिलनाडु में एआईएडीएमके से केंद्र सरकार के अच्छे रिश्ते हैं.

लेकिन बीजेपी आगामी लोकसभा चुनाव में राज्य में एक नए सियासी दोस्त की तलाश में है. क्योंकि दोनों दलों के बीच कोई समझौता नहीं हो पाया है.

एशियानेट टेलीविज़न नेटवर्क के संपादक और राजनीतिक विश्लेषक एमजी राधाकृष्णन बताते हैं, "हर क्षेत्र और क्षेत्रीय पार्टी शासित राज्यों के लिए मोदी के पास अपना अलग एजेंडा होगा. लेकिन केरल और दक्षिण भारत जहां सबरीमला के अच्छे खासे श्रद्धालु हैं, मोदी बहुत चतुराई से काम ले रहे हैं."

मोदी ने जनसभा में कहा, "केरल की एलडीएफ सरकार का आचरण इतिहास में बेहद शर्मनाक हरकत के तौर पर गिना जाएगा. हम जानते हैं कि वामपंथियों ने कभी आध्यात्मिकता और धर्म की कद्र नहीं की. लेकिन किसी ने कभी ऐसी नफ़रत की कल्पना नहीं की होगी."



मोदी के भाषण के मायने?

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने हमलों में यूडीएफ को भी नहीं बख्शा.

मोदी ने कहा, "ये संसद में एक बात करते हैं और पथानामथिट्टा में दूसरी. एक दिन ये कुछ कहते हैं और दूसरे दिन कुछ और. मैं यूडीएफ को चुनौती देता हूं कि आप मुद्दे पर अपनी राय साफ क्यों नहीं करते. आपका दोगलापन अब सामने आ चुका है."

राधाकृष्णन कहते हैं, "मोदी अपने भाषण में बेहद चतुर और डिप्लोमैटिक नज़र आए. मोदी ने अपने भाषण में ये ध्यान रखा कि वो कुछ ऐसा न कहें जो सबरीमला मंदिर में महिलाओं की एंट्री को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरूप न हों."

लेकिन वरिष्ठ टिप्पणीकार बीआरपी भास्कर कहते हैं, "मोदी की आलोचना को सही नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को बुरी तरह से लागू किया गया. राज्य में जो दिक्कतें हो रही हैं, वो मोदी की खुद की पार्टी के लोगों ने खड़ी की हैं. राज्य में बीजेपी-आरएसएस की हिंसा से निपटने में एलडीएफ सरकार सुस्त रही है."

मोदी अपने भाषण में कहते हैं, "यूडीएफ और एलडीएफ हम पर हँस सकते हैं. मैं उनसे कहना चाहूंगा कि बीजेपी को हल्के में न लें. आपकी हिंसा हमारे कार्यकर्ताओं का मनोबल नहीं तोड़ सकती. त्रिपुरा में हमने ज़ीरो से सरकार बनाने तक का सफ़र तय किया. जो त्रिपुरा में हुआ, वही केरल में होगा."

इस बयान पर टिप्पणीकार भास्कर कहते हैं, "बीजेपी की ये सोच त्रिपुरा के अनुभव पर आधारित है लेकिन ये काम नहीं करेगी. ऐसा इसलिए क्योंकि ये केरल है न कि त्रिपुरा. केरल मार्क्सवादियों का गढ़ है. आपको ये याद रखना होगा कि त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल जहां 30 साल लेफ्ट की सरकार रही, अगर इसे छोड़ दिया जाए तो केरल में लेफ्ट की सरकार लगातार सत्ता में नहीं रही है."

केरल के सीपीएम नेता प्रोफेसर एमए बेबी मोदी की आलोचना पर हैरानी ज़ाहिर करते हैं.

वो कहते हैं, "प्रधानमंत्री मोदी एक ऐसी पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं, जो पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में से तीन में हारी है. अगले आम चुनावों में एक गैर-भाजपा सरकार केंद्र में आएगी. ऐसे में त्रिपुरा जैसा कुछ यहां नहीं होगा.'

प्रोफेसर बेबी याद दिलाते हैं, "पथानामथिट्टा, जहां सबरीमला है, वहां तगड़े चुनावी प्रचार के बावजूद बीजेपी को पंचायती चुनाव में सिर्फ़ सात और 12 वोट मिले. केरल के लोग अपना मन बना चुके हैं."



'सत्ता रखते हैं बारी-बारी'

मोदी ने अपने भाषण में एलडीएफ और यूडीएफ को लेकर तेवर सख़्त रखे थे. उन्होंने कहा कि ये दोनों बारी-बारी से सत्ता अपने पास रखते हैं और आम लोगों की बात को नज़रअंदाज़ करते हैं.'

मोदी अपने 2014 के चुनावी अभियान की लाइन सबका साथ सबका विकास दोहराते हैं.

वो कहते हैं, "मानवता मायने रखती है. हम किस जाति से हैं, क्या भाषा बोलते हैं और किस संस्कृति से नाता रखते हैं... ये बातें मायने नहीं रखती हैं. क्योंकि हमारा खून एक ही है."

मोदी ने अपने दौरे में पद्मनाभस्वामी मंदिर का भी दौरा किया. इस दौरान नेशनल हाईवे-66 पर बने कोल्लम बाईपास को देश को समर्पित किया. 13 किलोमीटर लंबे इस दो लेन के बाइपास के बनने से अलाप्पुज़ा और तिरुअनंतपुरम के बीच दूरी कम होगी.

BBC Hindi
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English summary
Will the BJP in the Lok Sabha elections in South India be disappointed
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