क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

बीजेपी ‘कमज़ोर विपक्ष’ के चलते गुजरात में क्या समय से पहले कराएगी विधानसभा चुनाव?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित बीजेपी के अन्य केंद्रीय नेताओं के बार-बार गुजरात जाने से कई जानकारों को लग रहा है कि इस बार तय समय से पहले ही विधानसभा चुनाव हो सकते हैं. आख़िर ये अनुमान कितने सही होंगे?

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
नरेंद्र मोदी
Getty Images
नरेंद्र मोदी

गुजरात विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल इस साल दिसंबर में ख़त्म हो रहा है. पिछली बार 18 दिसंबर को विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे. ऐसे में इस बार के चुनाव में अभी सात महीने से भी ज़्यादा का वक़्त बचा है. हालांकि राज्य के ताज़ा राजनीतिक हालात में ये भी हो सकता है कि इस बार का चुनाव तय समय से पहले ही हो जाए.

वैसे राज्य की 182 सदस्यों की विधानसभा के लिए 2017 में हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी 99 सीटें जीतकर एक बार फिर अपनी सरकार बनाने में सफल रही थी. वहीं कांग्रेस ने 2017 में 77 सीटें जीती थीं, जो डेढ़ दशक में सबसे बढ़िया प्रदर्शन था. कांग्रेस ने पिछली बार बेहतर प्रदर्शन करके बीजेपी नेतृत्व को कड़ी मशक़्क़त करने को मजबूर कर दिया था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज्य के हो रहे लगातार दौरों और ज़्यादा आबादी वाले आदिवासी इलाक़ों का ख़ास ख़्याल रखते हुए बीजेपी द्वारा शुरू की गई योजनाओं को देखते हुए कई राजनीतिक विश्लेषकों को लग रहा है कि इस बार शायद जल्दी चुनाव हो सकते हैं.

इसके साथ ही, जेपी नड्डा और अनुराग ठाकुर सहित भाजपा के कई शीर्ष नेताओं के राज्य के हुए दौरों ने भी जल्द चुनाव होने की अटकलों को मज़बूत किया है.

गुजरात में तय समय से पहले चुनाव की जहां तक बात है तो 1960 में नया राज्य बनने के बाद वहां अब तक तीन बार ऐसा हो चुका है. राज्य में समय से पहला चुनाव 1975 में हुआ था. दूसरी बार 1998 में ऐसा हुआ और आख़िरी बार 2002 में तय समय से पहले चुनाव हुए थे.

बीजेपी भी अब चुनावी मोड में आ चुकी है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल हर रोज़ संगठन की ज़िलावार बैठकें कर रहे हैं. दूसरी ओर कांग्रेस भी राज्य के सभी ज़िलों में 'चिंतन शिविर' का आयोजन कर रही है.

वहीं गुजरात में भी अपनी जड़ें जमाने की कोशिशों में जुटी आम आदमी पार्टी भी खूब मेहनत कर रही है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने हाल में दो बार अलग-अलग राज्यों का दौरा किया है. वे अपनी पार्टी से कार्यकर्ताओं को जोड़ने के लिए और राज्य के हर ज़िले में आम आदमी पार्टी का संगठन खड़ा करने की कोशिशें कर रहे हैं.

उधर कांग्रेस के लिए इस बार के हालात 2017 जितने अनुकूल नहीं हैं. पार्टी की मौजूदा स्थिति ठीक नहीं कही जा सकती, क्योंकि सभी नेता पार्टी के बजाय अपनी-अपनी हैसियत मज़बूत करने में लगे हैं. पिछले कुछ सालों में बड़े पैमाने पर पार्टी के मौजूदा विधायकों और वरिष्ठ नेताओं ने या तो भाजपा या आम आदमी पार्टी को ज्वाइन कर लिया.

मोदी की रैली में एक समर्थक
AFP
मोदी की रैली में एक समर्थक

कैसा है बीजेपी का हाल?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में अपने गृह राज्य गुजरात में 3 दिन बिताए. उम्मीद है कि वे कुछ दिन बाद फिर राज्य का एक और दौरा करेंगे.

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल राज्य के सभी 33 ज़िलों के अपने कार्यकर्ताओं से मिल रहे हैं. इसके लिए उन्होंने 'हर दिन, हर ज़िला' कार्यक्रम का एलान किया है.

पीएम मोदी ने हाल में राज्य में कई नई परियोजनाओं का उद्घाटन किया है. इतना ही नहीं राज्य के आदिवासी ज़िलों में भी वे गए, ताकि आदिवा​सी तबकों को पार्टी के साथ बनाए रखा जा सके.

बीजेपी के एक टॉप नेता ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बीबीसी से कहा कि उत्तर प्रदेश की जीत के बाद हम अपने कार्यकर्ताओं का उत्साह बनाए रखना चाहते हैं.

हालांकि प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल ने मीडिया से कहा था कि राज्य में जल्द चुनाव होने की कोई संभावना नहीं है. लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उनके इस बयान का मतलब अपने विरोधियों को संभलने का मौक़ा न देने से है.

पीएम मोदी ने राज्य के पिछले दौरे के दौरान पार्टी के कई शीर्ष नेताओं के साथ वक़्त बिताया. उस दौरान उन्होंने राज्य की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की थी.

राहुल गांधी
Reuters
राहुल गांधी

किस हाल में है कांग्रेस?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार के चुनाव में पार्टी की स्थिति 2017 जैसी नहीं है.

पार्टी के शीर्ष नेताओं के बीच की अंदरूनी कलह इन दिनों अपने चरम पर है. प्रदेश अध्यक्ष हार्दिक पटेल के कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने की अफ़वाहें लगातार चल रही हैं.

वहीं 2017 के विपरीत कांग्रेस के पास इस बार कोई बड़ा चुनावी मुद्दा भी नहीं है. 2017 के चुनाव में पूरे राज्य में हुए पाटीदारों के आंदोलन का भी कांग्रेस का फ़ायदा हुआ था.

उधर कई दिनों से चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के पार्टी में आने की अटकलें लगाई जा रही थीं. कहा जा रहा था कि पार्टी में आने के बाद वे गुजरात चुनाव की रणनीति तय करेंगे. लेकिन जब मंगलवार को साफ़ हो गया कि वे पार्टी में शामिल नहीं होने जा रहे, तो इससे पार्टी नेताओं की बेचैनी बढ़ गई है.

इन सबके बीच कई दिनों से पाटीदारों के प्रभावशाली नेता नरेश पटेल के कांग्रेस में शामिल होने की ख़बरें चल रही हैं. हालांकि अभी तक वो पार्टी में शामिल नहीं हुए हैं. मीडिया के अनुसार, दिल्ली स्थित पार्टी हाईकमान के इस बारे में फ़ैसला न लेने से देर हुई है.

इस बारे में नाम न छापने के अनुरोध पर कांग्रेस के एक शीर्ष नेता ने बीबीसी को बताया कि पार्टी की हालत अभी बहुत ख़राब है, जिसका फ़ायदा बीजेपी उठाना चाह रही है.

उनके अनुसार, कांग्रेस का मौजूदा ख़राब हाल और राज्य में आम आदमी पार्टी की आमद, बीजेपी को जल्द चुनाव करवा लेने को प्रेरित कर रही है.

कांग्रेस पार्टी के एक अन्य नेता अर्जुन मोढवाडिया ने इस बारे में बीबीसी को बताया कि उनकी पार्टी अपने कार्यकर्ताओं को तैयार करने में व्यस्त है और इसके लिए हर ज़िले में चिंतन शिविर लगाया गया है. वो दावा करते हैं कि उनकी पार्टी इस बार 2017 से भी बेहतर प्रदर्शन करने को है.

आम आदमी पार्टी गुजरात
Getty Images
आम आदमी पार्टी गुजरात

'आप' की आमद के संकेत

आम आदमी पार्टी इस वक़्त सूरत नगर निगम में 27 सीटों के साथ मुख्य विपक्षी दल है. हालांकि पार्टी ने पिछले साल हुए गांधीनगर नगर निगम के चुनाव में वैसी सफलता हासिल नहीं की.

आम आदमी पार्टी अभी भी राज्य के हर ज़िले में अपना संगठन बनाने के लिए जूझ रही है. यह पार्टी राज्य के सभी 182 सीटों पर अच्छे उम्मीदवारों की तलाश में भी जुटी है.

आम आदमी पार्टी के संगठन महासचिव मनोज सोरतिया ने बीबीसी को बताया कि उनकी पार्टी ने 148 विधानसभाओं में अपना संगठन दुरुस्त कर लिया है. उनके अनुसार, बाक़ी सीटों पर भी जल्द ही संगठन को दुरुस्त कर लिया जाएगा.

उन्होंने कहा, 'अब हम सब किसी भी समय चुनाव में जाने के लिए तैयार हैं. हम राज्य में अपनी मौजूदगी दर्ज कराएंगे.'

हाल में पार्टी ने सरकारी क्लर्कों की भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में कार्यकर्ताओं के दम पर दमदार आंदोलन किया था. इसके साथ ही पार्टी ने राज्य के जर्जर सरकारी स्कूलों का मसला उठाने के लिए प्रभावी आंदोलन चलाया.

सोरथिया ने बताया, "इन आंदोलनों से हमें लोगों के पास जाने और आप के लिए वोट मांगने में मदद मिलेगी."

क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक?

राज्य में जल्द चुनाव की संभावनाओं को टटोलने के लिए बीबीसी ने कई राजनीतिक विश्लेषकों से बात की.

इस बारे में कुछ का मानना है कि ताज़ा हालात में बीजेपी को विधानसभा भंग करने की कोई ज़रूरत नहीं है. हालांकि कइयों का कहना है कि बीजेपी बिखरे हुए विपक्ष का पूरा लाभ उठाने की कोशिश करेगी.

दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में कभी पॉलिटिकल साइंस पढ़ा चुके घनश्याम शाह की लंबे समय से गुजरात की राजनीति पर नज़र रही है. बीबीसी ने इस बारे में उनसे बात की.

उन्होंने कहा कि ये मानना भूल होगी कि राज्य का विपक्ष अभी कमज़ोर है. वो कहते हैं कि महंगाई और पानी की क़िल्लत के बीच अभी चुनाव कराने का बीजेपी का फ़ैसला महंगा भी पड़ सकता है.

घनश्याम शाह कहते हैं कि राज्य में अभी पानी की कमी के चलते किसान ग़ुस्से में हैं. वो कहते हैं कि हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि पानी के संकट के चलते लोगों ने पहले भी सरकार के ख़िलाफ़ वोट डाला है.

वहीं एक अन्य राजनीतिक विश्लेषक सार्थक बागची ने बीबीसी को बताया, "बीजेपी निश्चित रूप से कमज़ोर विपक्ष की स्थिति का लाभ उठाना चाहेगी. वो नहीं चाहेगी कि आम आदमी पार्टी गुजरात में मज़बूत हो जाए. नवंबर में चुनाव होने पर आप को कम से कम 6 महीने और मिल जाएंगे और तब वो बीजेपी के लिए बड़ा ख़तरा बन सकती है."

हालांकि अर्थशास्त्री और राजनीतिक विश्लेषक हेमंत शाह की राय कुछ अलग है.

उन्होंने बीबीसी से सवालिया लहजे में कहा कि बीजेपी जल्दी चुनाव का विकल्प क्यों चुनेगी. बीजेपी गुजरात में आज भी और छह महीने बाद भी बहुत अच्छी स्थिति में होगी. पार्टी को जल्दबाज़ी करने की कोई ज़रूरत नहीं है. ऐसे में बेवजह आठ महीने पहले ही चुनाव कराने का कोई मतलब नहीं है.

कैसी है चुनाव आयोग की तैयारी?

चुनाव आयोग भी राज्य में जल्द से जल्द चुनाव कराने की तैयारी कर रहा है. मतदाता सूची को तैयार कर लिया गया है. लेकिन कई तैयारियां होनी अभी बाकी हैं.

राज्य चुनाव आयोग की एडिशनल कमिश्नर डीएन रैंक ने बताया कि हम पूरे राज्य में बूथ स्तर के अधिकारी यानी बीएलओ की नियुक्ति करने में जुटे हैं. उनके अनुसार, बीएलओ की नियुक्ति प्रक्रिया जल्द शुरू कर दी जाएगी.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूबपर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Will the assembly elections be held in Gujarat ahead of time?
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X