क्या बंगलुरु साउथ से जीतेंगे तेजस्वी सूर्य?
बंगलुरु साउथ चुनावी क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के युवा उमीदवार तेजस्वी सूर्य पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन उनके भाषणों से ऐसा नहीं लगता.
बंगलुरु साउथ चुनावी क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के युवा उमीदवार तेजस्वी सूर्य पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन उनके भाषणों से ऐसा नहीं लगता.
रविवार को पहली बार वोट देने वाले युवाओं से कनेक्शन बनाने वो एक कॉलेज पहुंचे. विद्यार्थियों के साथ खड़े वो खुद भी एक विद्यार्थी लगते हैं. लेकिन सफ़ेद शर्ट और काली पेंट पहने 28 वर्षीय तेजस्वी बोलने में किसी वरिष्ठ नेता से कम नहीं.
उनका अंदाज़ नेताओं वाला नहीं है. लोगों के बीच बैठे वो अपने मोबाइल फ़ोन पर उसी तरह से लगे रहते हैं जैसे आज के युवा. वो सोशल मीडिया पर काफ़ी सक्रिय हैं और अपनी चुनावी मुहिम के वीडियो रोज़ सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर चढ़ाना नहीं भूलते हैं.
सभा में वो दो घंटे देर से पहुंचे लेकिन जब तेजस्वी ने बोलना शुरू किया तो वहां मौजूद युवाओं ने बार-बार तालियों से उनकी प्रशंसा की. भीड़ में कुछ बुर्क़े वाली मुस्लिम महिलायें भी ताली बजा रही थीं. उस समय तेजस्वी की निगाहें उन पर भी गयीं.
पेशे से वकील, कर्नाटक के चिकमगलूर ज़िले में पैदा हुए तेजस्वी को एक फायरब्रांड राष्ट्रवादी हिंदू के रूप में जाना जाता है. वो बीजेपी के हिंदुत्व विचारधारा की पैदावार हैं और पार्टी में एक बड़े नेता बन कर उभरने की क्षमता रखते हैं.
उनसे जुड़े बयानों में एक ये है कि उनकी पार्टी केवल हिन्दुओं के लिए है. मैंने भाषण के बाद उन्हें इस बयान का हवाला देकर उनसे पूछा कि क्या वो मुस्लिम इलाक़ों में भी जाकर वोट मांग रहे हैं तो वो भड़के और कहा कि ये सवाल सांप्रदायिक चश्मे से पूछा गया है.
ये याद दिलाने पर कि उनके "सांप्रदायिक" बयानों पर ये सवाल आधारित है उन्होंने कहा, "मैं माइनॉरिटी-मेजॉरिटी नहीं मानता. हमारे लिए हमारे चुनावी क्षेत्र के सभी वोटर बंगलोरियन हैं"
उन्होंने अपने पुराने बयानों पर टिप्पणी करते हुए कहा, "अगर कांग्रेस मुस्लिम वोट मांगे तो वो सेक्युलर है और अगर हम हिन्दुओं की बात करें तो सांप्रदायिक?"
तेजस्वी पार्टी की युवा विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के रास्ते बीजेपी में आये और अच्छा बोलने के गुण के कारण पार्टी के ऊंची पायदानों पर चढ़ते गए.
वो इस समय पार्टी के कर्नाटक यूनिट के महासचिव हैं.
उम्मीदवारी ने किया हैरान
इस चुनावी क्षेत्र से पार्टी ने जब उनके नाम का ऐलान किया तो सभी हैरान रह गए.
बंगलुरु दक्षिण लोकसभा सीट 1996 से पूर्व मंत्री अनंत कुमार के पास था. उनकी 2018 में अचानक मृत्यु ने निर्वाचन क्षेत्र में एक रिक्तता पैदा कर दी. अनंत कुमार की पत्नी तेजस्विनी के लिए भाजपा ने तेजस्वी सूर्य को प्राथमिकता दी.
इस फैसले से वो आज भी नाराज़ बताई जाती हैं. मगर उन्होंने पार्टी के फैसले को स्वीकार कर लिया है.
पार्टी के एक कार्यकर्ता ने कहा कि उन्हें इस सीट को नहीं छोड़ना चाहिए था. "वो निर्दलीय उमीदवार बन कर चुनाव लड़तीं तो उनकी जीत यक़ीनी थी."
लेकिन तेजस्वी के लिए समस्या दूर नहीं हुई है. हमने इस चुनावी क्षेत्र में कुछ दिनों तक घूमने के बाद ये अंदाज़ा लगाया कि उन्हें उम्मीदवार बनाये जाने के फैसले से पार्टी के कुछ नेता अब भी नाराज़ हैं.
लेकिन तेजस्वी कहते हैं ये बात अब पुरानी हो चुकी है. "हमें पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं का आशीर्वाद हासिल है."
तेजस्वी का मुक़ाबला कांग्रेस के दिग्गज नेता बी.के हरिप्रसाद से होगा जो उनसे दोगुनी उम्र के हैं.
तेजस्वी जिन मुद्दों को चुनावी रैलियों में उजागर कर रहे हैं उनमे बंगलुरु को "वर्ल्ड क्लास" शहर बनाने का वचन शामिल है.
मोदी को फिर प्रधानमंत्री बनाना लक्ष्य
लेकिन उनके लिए "इस चुनाव का मुख्य मुद्दा" नरेंद्र मोदी को एक बार फिर प्रधान मंत्री बनाना है.
वो कहते हैं, "इस चुनाव का मुख्य एजेंडा यह है कि लोग नरेंद्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं या नहीं. लोग एक आवाज़ में कह रहे हैं कि वो मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं. इस चुनाव का ये मुख्य मुद्दा है"
उनके अनुसार मोदी का "एक बार प्रधानमंत्री बनने का मतलब होगा भारत सुरक्षित हाथों में है, प्रगति की राह पर आगे बढ़ रहा है"
बंगलुरु साउथ चुनावी क्षेत्र बीजेपी का गढ़ समझा जाता है.
दक्षिण भारत के पांच राज्यों में केवल कर्नाटक एक ऐसा राज्य है जहाँ बीजेपी अन्य सभी पार्टियों पर हावी है. पिछले आम चुनाव में इसे 28 सीटों में से 17 सीटें मिली थीं.
कर्नाटक को छोड़ कर दक्षिण भारत के दूसरे राज्यों में बीजेपी इतनी कमज़ोर क्यों है? इसके जवाब में तेजस्वी कहते हैं, "बीजेपी कांग्रेस पार्टी के मुक़ाबले में एक नयी पार्टी है. किसी भी पार्टी को अपने पैर जमाने में समय लगता है. हम कम समय में तेज़ी से आगे बढ़े हैं और हमारा ग्रोथ होती रहेगी"
जिस आसानी से वह रैलियों को संबोधित करते हैं वह सराहनीय है