सौरव गांगुली बंगाल में BJP से चुनाव लड़ेंगे? TMC सांसद सौगत रॉय के बयान से अटकलें तेज
नई दिल्ली- बीसीसीआई के अध्यक्ष और भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कैप्टन सौरव गांगुली के पश्चिम बंगाल चुनाव में भाजपा का चेहरा होने की अटकलें फिर से तेज हो गई हैं। इन कयासबाजियों को खुद तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत राय के एक इंटरव्यू से हवा मिली है। पूछे जाने पर भारतीय जनता पार्टी के लोग भी इस संभावना से इनकार नहीं कर रहे हैं। हालांकि, खुद गांगुली की ओर से अब तक इन बातों को खारिज ही किया जाता रहा है। वैसे बंगाल चुनाव को जीतने के लिए बीजेपी इस बार जितनी ताकत झोंक रही है, उसके हिसाब से वह वहां पर ममता बनर्जी के मुकाबले एक दमदार चेहरे की बहुत ही ज्यादा कमी महसूस कर रही है।
क्या
कहा
है
तृणमूल
नेता
ने?
हाल
ही
में
एक
इंटरव्यू
में
तृणमूल
कांग्रेस
के
सांसद
सौगत
राय
से
जब
यह
सवाल
किया
गया
कि
इस
बारे
में
बहुत
चर्चा
हो
रही
है
कि
सौरव
गांगुली
राजनीति
में
आ
सकते
हैं,
अगर
ऐसा
होता
है
तो
आप
इसे
कैसे
देखेंगे
तो
उन्होंने
कहा,
"नहीं....इससे
खुश
नहीं
होंगे।
सौरव
सभी
बंगालियों
के
आइकन
हैं।
बंगाल
से
सिर्फ
एक
भारतीय
क्रिकेट
का
कप्तान.....
वो
अपने
टीवी
शो
की
वजह
से
भी
लोकप्रिय
हैं।
लेकिन,
सौरव
का
राजनीति
में
कोई
बैकग्राउंड
नहीं
है।
वह
राजनीति
में
अच्छा
नहीं
कर
पाएंगे।
वह
नहीं
जानते
की
देश
और
गरीबों
की
क्या
समस्याएं
हैं
......उन्होंने
गरीब
और
गरीबी
को
नहीं
देखा
है......
मजदूरों
की
समस्या
नहीं
जानते........बीजेपी.....देखिए
डूबते
को
तिनके
का
सहारा
चाहिए।
क्योंकि,
आप
देखिए
बीजेपी
कोई
सीएम
का
चेहरा
नहीं
तलाश
पाई
है।
इसलिए
वह
इस
तरह
की
अफवाहें
उड़ा
रही
है।"
भाजपा
सूत्र
ने
क्या
कहा?
जब
वन
इंडिया
ने
सौगत
रॉय
के
बयान
के
संदर्भ
में
दिल्ली
में
भाजपा
के
एक
सूत्र
से
बात
की
तो
उन्होंने
बताया
कि
"बहुत
ज्यादा
संभावना
है
कि
सौरव
गांगुली
को
पार्टी
पश्चिम
बंगाल
में
चुनाव
लड़वा
सकती
है।
पार्टी
के
अंदर
इस
तरह
के
कयास
काफी
समय
से
लगाए
जा
रहे
हैं।"
दरअसल,
पश्चिम
बंगाल
में
टीएमसी
सुप्रीमो
ममता
बनर्जी
के
मुकाबले
भाजपा
से
भारतीय
क्रिकेट
के
'दादा'
सौरव
गांगुली
के
मैदान
उतरने
की
चर्चा
पहली
बार
नहीं
हो
रही
है।
बेशक
बीजेपी
को
वहां
एक
ऐसे
विश्वसनीय
चेहरे
की
दरकार
है,
जो
टीएमसी
की
'दीदी'
के
बंगाल
गौरव
की
काट
भी
हो
और
भाजपा
के
राष्ट्रीय
नेतृत्व
से
जिसे
तालमेल
मिलाने
में
भी
खास
दिक्कत
ना
हो।
बीसीसीआई
का
समीकरण?
कहा
जाता
है
कि
गांगुली
के
2021
पश्चिम
बंगाल
विधानसभा
चुनाव
में
बीजेपी
की
अगुवाई
करने
की
चर्चा
तभी
से
शुरू
हो
चुकी
है,
जब
से
पिछले
साल
नवंबर
में
उन्हें
बीसीसीआई
अध्यक्ष
बनाने
में
केंद्रीय
गृहमंत्री
अमित
शाह
के
अलावा
दो
और
मंत्रियों
ने
बड़ी
भूमिका
निभाई
थी।
हालांकि,
खुद
गांगुली
अपने
बीसीसीआई
अध्यक्ष
बनने
में
किसी
राजनीतिक
भूमिका
को
सिरे
से
खारिज
कर
चुके
हैं।
लेकिन,
दादा
इस
बात
को
झूठला
नहीं
सकते
कि
जब
वह
बीसीसीआई
जैसे
प्रभावी
क्रिकेट
संस्था
के
अध्यक्ष
की
कुर्सी
पर
हैं
तो
उसके
सचिव
की
कुर्सी
पर
अमित
शाह
के
बेटे
जय
शाह
विराजमान
हैं।
मतलब,
प्रत्यक्ष
तौर
पर
ना
सही,
लेकिन
परोक्ष
तौर
पर
दादा
देश
की
राजनीति
से
पूरी
तरह
अनजाने
भी
नहीं
हैं।
स्कूल
की
जमीन
लौटाई
यही
नहीं
क्रिकेट
के
दादा
का
बंगाल
की
दीदी
से
राजनीतिक
समीकरण
भी
किसी
से
छिपा
नहीं
है।
जब
वे
बंगाल
क्रिकेट
एसोसिएशन
के
अध्यक्ष
बने
थे
तो
उसके
पीछे
भी
कहीं
ना
कहीं
मुख्यमंत्री
का
रोल
अहम
रहा
था।
लेकिन,
जब
कुछ
महीने
पहले
उनकी
मुख्यमंत्री
से
मिलकर
दो
एकड़
सरकारी
जमीन
लौटा
देने
की
खबरें
आईं
तो
लगा
कि
हो
सकता
है
कि
दादा
को
कुछ
नया
रास्ता
भी
दिख
गया
है।
उन्हें
टीएमसी
सरकार
ने
वह
जमीन
स्कूल
बनाने
के
लिए
दी
थी।
भाजपा
को
बंगाल
में
चाहिए
एक
धाकड़
चेहरा
वैसे
जहां
तक
भारतीय
जनता
पार्टी
की
बात
है
तो
वह
पश्चिम
बंगाल
में
विधानसभा
चुनाव
जीतने
के
लिए
कोई
कसर
नहीं
छोड़
रही
है।
पार्टी
के
राष्ट्रीय
अध्यक्ष
रहते
हुए
अमित
शाह
ने
इस
राज्य
की
जो
कमान
संभाली
थी,
वह
देश
के
गृहमंत्री
रहते
हुए
भी
उनके
पास
बरकरार
है।
इसमें
कोई
दो
राय
नहीं
कि
उनकी
मेहनत
का
2019
के
लोकसभा
में
असर
भी
दिखा
और
पार्टी
ने
अपना
प्रदर्शन
कई
गुना
बेहतर
कर
लिया।
पिछले
दिनों
जब
वह
बंगाल
दौरे
पर
आए
थे
तो
उनसे
भी
गांगुली
को
लेकर
सवाल
पूछा
गया
था।
तब
उन्होंने
कहा
था
कि
अभी
तक
ऐसी
कोई
बात
हुई
नहीं
और
ऐसा
कुछ
हुआ
तो
बता
दिया
जाएगा।