RCEP में शामिल होने से भारत के इनकार के बाद डोरे डालने में जुटा चीन
नई दिल्ली- चीन ने कहा है कि वह उन सभी लंबित पड़े मुद्दों का सुलझाने के लिए तैयार है, जिसके चलते भारत क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) में शामिल नहीं हो रहा है। चीन ने भारत के इनकार के एक दिन बाद मंगलवार को कहा कि वह आपसी समझदारी और सुविधा से पुराने मुद्दों को सुलझाने के लिए तैयार है, जिसे भारत ने आरसीईपी में नहीं जुड़ने के लिए उठाया है। चीन ने कहा है कि वह भारत के जल्द से जल्द क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी में शामिल होने का स्वागत करेगा। बता दें कि सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी ने कई मुद्दों पर भारत के हित में सही समाधान नहीं दिखने के बाद समझौते से बाहर रहना ही बेहतर समझा था।
भारत की चिंताओं का समाधान करेंगे- चीन
मंगलवार
को
बीजिंग
में
चीनी
विदेश
मंत्रालय
से
सवाल
किया
गया
कि
भारत
ने
उसके
सस्ते
उत्पादों
से
घरेलू
उद्योगों
को
होने
वाले
संभावित
नुकसान
के
मद्देनजर
ही
आरसीईपी
में
शामिल
होने
से
इनकार
किया
है।
इसपर
चीनी
विदेश
मंत्रालय
के
प्रवक्ता
गेंग
शुआंग
ने
कहा
कि
चीन,
भारत
के
इस
डील
में
शामिल
होने
का
स्वागत
करेगा।
उन्होंने
कहा
कि,
"आरसीईपी
खुला
है।
हम
बातचीत
के
लिए
आपसी
समझदारी
और
सुविधा
के
सिद्धांत
का
पालन
करेंगे
और
भारत
की
ओर
से
उठाई
गई
पुरानी
समस्याओं
का
समाधान
करेंगे
और
भारत
के
जल्द
शामिल
होने
का
स्वागत
करेंगे।"
उन्होंने
कहा
कि
आरसीईपी
एक
क्षेत्रीय
व्यापार
समझौता
है
और
यह
परस्पर
लाभकारी
है।
भारत को अच्छे-अच्छे सपने दिखा रहा है चीन
चीन
ने
दावा
किया
है
कि
अगर
इस
समझौते
पर
भारत
हस्ताक्षर
करता
है
और
अगर
यह
लागू
होता
है
तो
यह
भारत
के
उत्पादों
को
चीन
और
दूसरे
भागीदार
देशों
तक
पहुंच
के
लिए
अनुकूल
होगा।
उसके
मुताबिक
इसी
तरह
यह
समझौता
चीन
के
सामानों
के
भी
भारत
और
दूसरे
भागीदार
देशों
तक
पहुंचाने
में
मददगार
साबित
होगा।
शुआंग
के
मुताबिक,
"यह
दो-तरफा
और
पूरक
है
और
मुझे
यह
बताना
चाहिए
कि
चीन
और
भारत
दोनों
उभरते
हुए
बड़े
विकासशील
देश
हैं।
हमारे
पास
270
करोड़
लोगों
का
विशाल
बाजार
है
और
इस
बाजार
में
बहुत
बड़ी
क्षमता
है।"
उन्होंने
बताया
कि
पिछले
पांच
वर्षों
में
भारत
से
चीन
के
आयात
में
15
फीसदी
की
बढ़ोतरी
हुई
है।
उन्होंने
दावा
किया
कि
चीन
जानबूझकर
भारत
के
खिलाफ
ट्रेड
सरप्लस
की
स्थिति
नहीं
अपनाता।
उनके
मुताबिक
दोनों
देश
निवेश,
उत्पादन
क्षमता
और
पर्यटन
में
सतत
सहयोग
और
संतुलित
विकास
के
क्षेत्र
में
सहयोग
कर
सकते
हैं।
भारत ने आरसीईपी का हिस्सा बनने से किया है इनकार
बता
दें
कि
सोमवार
को
भारत
ने
आरसीईपी
का
हिस्सा
बनने
से
साफ
इनकार
कर
दिया
था।
प्रधानमंत्री
मोदी
ने
कहा
था
कि
मौजूदा
रूप
में
यह
समझौता
आरसीईपी
की
मूल
भावना
और
मान्य
निर्देशित
सिद्धांतों
को
पूरी
तरह
से
प्रतिबिंबित
नहीं
करता।
उन्होंने
यह
भी
कहा
था
कि
ये
भारत
के
लंबित
मुद्दों
और
चिंताओं
का
भी
संतोषजनक
समाधान
नहीं
करता।
ऐसी
स्थिति
में
भारत
के
लिए
इसमें
शामिल
होना
संभव
नहीं
है।
बता
दें
कि
यह
समझौता
सदस्य
देशों
को
एक-दूसरे
के
साथ
व्यापार
करने
की
सुविधाएं
देता
है।
इसमें
सदस्य
देशों
पर
आयात-निर्यात
पर
टैक्स
या
तो
बहुत
कम
लगता
है
या
लगता
ही
नहीं
है।
इस
समझौते
पर
भारत
के
अलावा
10
आसियान
देश,
चीन,
जापान,
दक्षिण
कोरिया,
ऑस्ट्रेलिया
और
न्यूजीलैंड
को
हस्ताक्षर
करना
था।
माना
जा
रहा
है
कि
भारत
के
इससे
बाहर
निकलने
की
सबसे
बड़ी
वजह
इसमें
चीन
को
मिलने
वाली
प्राथमिकता
है।
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