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क्या गरीबों के खाते में हर साल 72 हजार डालने का वादा करके चुनावी बाजी पलट चुके हैं राहुल?

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नई दिल्ली- इस साल जब चुनाव की घोषणा से पहले मोदी सरकार ने 12 करोड़ गरीब किसानों के खाते में हर साल 6 हजार रूपये आर्थिक मदद के तौर पर सीधे डालने की घोषणा की थी, तो उसे नरेंद्र मोदी का बहुत बड़ा मास्टरस्ट्रोक माना गया था। लेकिन, अब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 5 करोड़ गरीबों के खाते में हर साल उससे भी 12 गुना ज्यादा रकम डालने का वादा करके अबतक के सभी चुनावी वादों को फेल कर दिया है। सवाल उठना लाजिमी है कि क्या राहुल का चुनावी वादा, मोदी की लागू हो चुकी स्कीम पर भारी पड़ने वाली है? क्या राहुल का यह दांव 2019 के लोकसभा चुनाव में गेम चेंजर साबित होने जा रहा है?

अबतक का सबसे बड़ा चुनावी वादा

अबतक का सबसे बड़ा चुनावी वादा

राहुल गांधी के वादे के मुताबिक उनकी सरकार आने पर देश की आबादी के 20% अत्यंत गरीब परिवारों को हर साल 72 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। इस मिनिमम बेसिक गारंटी स्कीम के तहत 6-6 हजार रुपये महीने के हिसाब से ये रकम देश के 5 करोड़ गरीबों के खातों में सीधे डाली जाएगी। यानि अगर एक परिवार में 5 सदस्य हैं, तो इसका फायदा लगभग 25 करोड़ लोगों को मिलेगा। खुद राहुल गांधी के मुताबिक दुनिया का कोई भी देश अबतक इतनी बड़ी कल्याणकारी स्कीम लागू करने के बारे में नहीं सोच पाया, जैसा कि उन्होंने सोचा है। अपनी इस योजना को उन्होंने 'न्याय' का नाम दिया है। अगर राहुल के वादे को आंकड़े में बदलें तो उनकी इस स्कीम के लागू होने पर सरकारी खजाने पर सालाना 3.60 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। यहां इस बात पर गौर करना जरूरी है कि राहुल ने विश्व की सबसे बड़ी चुनावी घोषणा तो कर दी है, लेकिन इसके लिए वो पैसों का इंतजाम कहां से करेंगे, इसका कोई इरादा नहीं जताया है।

सभी सब्सिडी मिलाकर भी राहुल का वादा भारी

सभी सब्सिडी मिलाकर भी राहुल का वादा भारी

देश में इस समय गरीबों और किसानों को विभिन्न प्रकार की सब्सिडी दी जाती है। एक आंकड़े के मुताबिक इस सब्सिडी पर सरकार सालाना करीब 2.94 लाख करोड़ रुपए खर्च करती है। इसमें मनरेगा (MNREGA) का 60,000 करोड़ रुपये का बजट भी शामिल है। यानि, राहुल की ओर से गरीबों के खाते में डालने के लिए किया गया वादा ( 3.60 लाख करोड़) कुल सब्सिडी से भी करीब 70 हजार करोड़ रुपये ज्यादा है। मोदी सरकार के पिछले बजट में रक्षा बजट को बढ़ाकर 3 लाख करोड़ रुपये के पार कर दिया गया था। सरकार इसपर अपनी खूब वाहवाही करा रही थी। लेकिन, राहुल का नया आइडिया देश के भारी-भरकम रक्षा बजट से भी करीब 60 हजार करोड़ रुपये ज्यादा है।

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पीएम-किसान की हकीकत

पीएम-किसान की हकीकत

मोदी सरकार ने इसी साल फरवरी में देश के 12 करोड़ किसानों के लिए पीएम किसान सम्मान निधि की शुरुआत की है। यानि, इस सहायता के दायरे में देश की करीब 60 करोड़ आबादी आ रही है। इसके तहत जिन किसानों के पास 5 करोड़ हेक्टेयर से कम कृषि भूमि है, उन्हें सरकार हर साल 6 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने लगी है। इसके लिए इस साल के बजट में 75 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है। करोड़ों किसानों के खातों में सहायता की पहली किस्त पहुंच भी चुकी है और दूसरी किस्त पहुंचने का भी इंतजार हो रहा है। इस योजना के पीछे सरकार ने यह मंशा जताई है कि अगर छोटे और सीमांत किसानों को साल में 2-2 हजार की तीन किस्तें मिलेंगी, तो वे खेती के छोटे-मोटे कार्य कर सकेंगे। जैसे- बीज, पानी का इंतजाम कर सकेंगे। इस सहायता में किसानों की जींदगी संवरने की गारंटी तो नहीं है, लेकिन उन्हें समय-समय पर आर्थिक हौसला देने का प्रयास किया गया लगता है।

अब सवाल उठना लाजिमी है कि अगर राहुल ने मोदी की चुनावी योजना को मात देने के लिए इतना बड़ा चुनावी वादा किया है, तो उन्हें इसके लिए पैसों के इंतजाम के बारे में भी विस्तार से बताना चाहिए। क्या वे जनता के खजाने पर भारी पड़ने वाले अपने वादे को पूरा करने के लिए मध्यम वर्ग पर टैक्स का बोझ डालेंगे या देश को फिर से कर्ज के जाल में उलझाना चाहेंगे? सवाल ये भी है कि इस तरह की स्कीम की कोई समय-सीमा होगी या यह अनंत काल के लिए चालू रहेगा? सवाल ये भी है कि गरीबों के खातों में बिना काम के पैसे डालने की जगह वह उनके लिए रोजगार की कोई कारगर योजना क्यों नहीं लेकर आ रहे हैं, जिससे देश के नागरिकों को न तो मुफ्त में रोटी तोड़ने की आदत पड़ेगी और अगर 5 करोड़ की आबादी काम पर लगेगी तो देश की अर्थव्यवस्था ही मजबूत होगी। क्योंकि, अबतक राहुल गांधी मोदी सरकार पर सालाना 1 करोड़ रोजगार नहीं दे पाने का आरोप लगा रहे हैं, जबकि मोदी दावा करते हैं कि मुद्रा योजना से हजारों करोड़ का लोन लेकर देश का युवा रोजगार मांगने वाला ही नहीं, रोजगार देने वाला भी बनने लगा है।

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English summary
will promise of Rs 72,000 for India's poor every year by Rahul Gandhi be a election game-changer
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